उज्जैन:सिविल अस्पताल में भीड़ बनाकर आते हैं परिजन और मरीजों का अपने हिसाब से करवाना चाहते हैं उपचार

अब सरकारी अस्पताल में शुरू होगा पास सिस्टम, कैमरे से होगी निगरानी
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उज्जैन।सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज और उनके परिजन डॉक्टरों व स्टाफ के साथ पुलिसकर्मियों से अभद्रता, विवाद और मारपीट तक करते हैं। पिछले चार दिनों में दो विवाद के मामले सिविल अस्पताल से सामने आये। इसके पीछे सिविल सर्जन और डॉक्टर अनेक कारण बताते हैं जिनमें मुख्य यह है कि मरीजों के परिजन भीड़ में एक साथ आते हैं और अपनी मर्जी से उपचार करवाना चाहते हैं।
डॉ. अजय दिवाकर ने बताया कि सिविल अस्पताल ओपीडी में गंभीर मरीजों को लाया जाता है। मरीज के साथ 15-20 की संख्या में परिजन व परिचित होते हैं। डॉक्टर मरीज की स्थिति समझकर उपचार शुरू करता है, लेकिन भीड़ में आये लोग अपनी मर्जी से उपचार करने की जिद करते हैं। डॉक्टर को ही अनेक प्रकार की सलाह देकर नेताओं और अधिकारियों से मोबाइल पर बात कराते हैं। मरीज की स्थिति जांचने और उपचार शुरू करने से पहले मोबाइल पर कैसे बात कर सकते हैं, लेकिन इंकार करने पर मरीज के साथ आये परिजन नाराज होकर डॉक्टर के साथ ही अभद्रता और विवाद करने लग जाते हैं। डॉ. विक्रम रघुवंशी ने बताया कि मरीज के साथ भीड़ में आये लोग डॉक्टर को निर्देश देते हैं, कैसे उपचार करना है, जबकि यह स्थिति प्रायवेट अस्पतालों में नहीं होती। कई बार तो मरीज के साथ आये लोग ऑपरेशन थियेटर में भी घुस जाते हैं। स्टाफ के लोग या पुलिसकर्मी उन्हें रोकते हैं तो विवाद और मारपीट करने लगते हैं। अस्पताल में पुलिस चौकी है, लेकिन एक-दो पुलिसकर्मी स्थिति को नहीं संभाल पाते।
प्रायवेट से अधिक सुविधा, लेकिन लोग लापरवाह
जिला अस्पताल में प्रायवेट अस्पतालों के मुकाबले अधिक सुविधा है। इमरजेंसी में 24 घंटे एमबीबीएस डॉक्टर उपलब्ध होते हैं, जबकि अधिकांश प्रायवेट अस्पतालों में बीएमएचएस मरीजों को देखते हैं। मरीज की हालत गंभीर होने पर विशेषज्ञ को कॉल ड्यूटी पर बुलाया जाता है, दवा और उपचार मुफ्त होता है बावजूद इसके कई उत्तेजित होकर यहीं हंगामा, विवाद और मारपीट करते हैं।
प्रायवेट अस्पतालों में क्यों नहीं होते विवाद
डॉक्टरों ने बताया प्रायवेट अस्पताल में नियमों का सख्ती से पालन कराया जाता है। प्रायवेट अस्पताल में प्रवेश करते ही मरीज के परिजनों से काउंटर पर फीस जमा कराई जाती है। ओपीडी या वार्ड में भीड़ को प्रवेश नहीं दिया जाता। यदि मरीज के परिजन हंगामा करते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, यह प्रक्रिया सरकारी अस्पताल में नहीं होती।
पुरानी व्यवस्था से हालात पर काबू के प्रयास
पिछले कुछ दिनों से सिविल अस्पताल में लोगों द्वारा विवाद और मारपीट की घटनाएं होने के बाद पुरानी पास की व्यवस्था को फिर से लागू किया जा रहा है। मरीजों से मिलने आने वाले परिजनों को 5 रुपये शुल्क देना होगा जबकि चरक अस्पताल में शुल्क 20 रुपये रहेगा। वार्डों, परिसरों, इमरजेंसी और ओपीडी में कैमरे लगाये गये हैं जहां से मरीजों और उनके परिजनों पर निगरानी रखी जायेगी। पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर चौकी पर पुलिसफोर्स बढ़ाने की मांग की गई है।
डॉ. पी.एन. वर्मा, प्रभारी सिविल सर्जन