उज्जैन :अवैध कॉलोनियों को वैध करने में उलझन

सिर्फ कागजों पर सीमित है प्रक्रिया

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उज्जैन। प्रदेश शासन ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए नई गाइड लाइन दी थी। नियमों के दायरे में आने वाली सभी अवैध कॉलोनियों को प्रक्रिया के तहत वैध किया जाना था। उज्जैन में निगम के रिकॉर्ड में 175 अवैध कॉलोनियां शामिल हैं। पिछले एक साल से कागजी घोड़े तो खूब दौड़े, लेकिन एक भी कॉलोनी वैध नहीं हो सकी। अभी तक निगम प्रशासन सिर्फ फाइलों से खेल रहा है। अधिकारी टेबल से नहीं उठना चाहते और अवैध कॉलोनियां काटने वाले कॉलोनाइजर्स जेब ढीली करना नहीं चाहते।

नगर निगम के अधीन 54 वाडो्रं में 175 अवैध कॉलोनियां चिन्हित की गईं, जिन्हें वैध करने के लिए प्रक्रिया जारी की गई थी। महीनों भर निगम की कॉलोनी सेल में इंजीनियर और बाबू एक-एक अवैध कॉलोनी की स्क्रीनिंग कर उसे वैध कराने के लिए मशक्कत में जुटे रहे। वर्ष 2018 में शुरू हुई प्रक्रिया के बाद अब तक महज 34 कॉलोनियों की फाइल तैयार हो सकी है, जिन्हें वैध किया जा सकता है।

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हालांकि यह सिर्फ निगम की तैयारी है। इन अवैध कॉलोनियों को बनाने वाले कॉलोनाइजर्स अब भी आगे आकर राशि जमा करने को तैयार नहीं हैं। जैसे ही शासन द्वारा तय किया गया नियम व राशि की जानकारी उन्हें लगती है तो वे बिचक जाते हैं और फिर लौटकर निगम की तरफ देखते तक नहीं। इसी लापरवाही के कारण निगम में फाइलें अलमारी से बाहर आती हैं और फिर वापस अंदर पहुंच जाती हैं।

रहवासियों को देना होगी 20 फीसदी राशि

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सरकार की नई गाइड लाइन के अनुसार, अवैध कॉलोनियों के विकास में 80 फीसदी राशि मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना से दी जाएगी। यदि कम पड़ती है तो विशेष निधि से राशि दी जा सकती है, जबकि 20 फीसदी राशि अवैध कॉलोनियों के रहवासी संघ को मिलाना होगी। यह जरूर है कि जिसने कॉलोनी बनाई है, वह एक मुश्त राशि भरे तो रहवासी संघ पर आर्थिक बोझ नहीं आएगा।

वैध करने की यह है शर्त

31 दिसंबर 2016 तक अस्तित्व में आई ऐसी अवैध कॉलोनियां जो भूमि विकास योजना में मुख्य मार्ग, उद्यान, खेल के मैदान, सांस्कृतिक आस्तियों के क्षेत्र, नदी, तालाब, नाले, सिंहस्थ मेला क्षेत्र से मुक्त है और आमोद-प्रमोद क्षेत्र की भूमि पर विकसित नहीं हैं उन्हें नियमित यानी वैध किया जाएगा।

अवैध से वैध होने में यह फायदा मिलेगा

अवैध से वैध होने पर कॉलोनी में नगर निगम विकास कार्य करने लगेगा। निगम से भवन निर्माण का नक्शा पास होगा। बैंक से निर्माण के लिए लोन मिलने लगेगा। प्रकाश और सीवेज, पानी, सड़क की सुविधा नगर निगम उपलब्ध करवाएगा। इनमें सांसद, विधायक व पार्षद निधि सहित शासन की विशेष निधि से बिना रोक-टोक के विकास कार्य कराए जा सकेंगे।

न्यायालय के आदेश ने 34 कॉलोनियों को वैध करने से रोक दिया

शहर में 175 अवैध कॉलोनियां हैं, जिनमें से 34 कालोनियों को विधानसभा चुनाव-2018 से पहले वैध किया गया था। हालांकि हाईकोर्ट की डबल बैंच ने धारा 15-ए को शून्य घोषित कर दिया था, जिसके तहत कालोनी को वैध किया जा रहा था। कोर्ट के इस आदेश से अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की संपूर्ण प्रक्रिया निरस्त हो गई थी। उसके बाद उज्जैन में अवैध कालोनी को वैध करने की प्रक्रिया नहीं हुई, लेकिन शहर में अवैध कालोनियों की संख्या लगातार बढ़ती गई। प्रदेश सरकार ने अवैध कॉलोनी का मामले को लेकर कहा कि कोर्ट के आदेशानुसार अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा।

मालूम हो कि कोर्ट ने शासन को यह स्वतंत्रता दी है कि नगर निगम एक्ट की धारा 292 ई के प्राविधानों के तहत अवैध कॉलोनी को वैध किया जा सकता है। ऐसे में उज्जैन की 175 अवैध कॉलोनियां में से 34 कॉलोनियों को वैध करने योग्य माना था। इन कॉलोनियों के लिए नगर निगम ने सार्वजनिक अधिसूचना जारी कर लोगों से शुल्क जमा कराया था। कुछ कॉलोनियों में शिविर लगाकर शुल्क भी ले लिया था, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद उज्जैन में भी अब तक कोई भी अवैध कॉलोनी वैध नहीं हो पाई।

इसलिए नहीं लेते अनुमति

  • शासन के नियमानुसार, 5 एकड़ से कम भूमि का कॉलोनी के रूप में रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता इसलिए बगैर अनुमति कॉलोनी खड़ी कर देते हैं।
  • कॉलोनी के कुल भूखंड का 25 प्रतिशत भूखंड निगम में बंधक रखना पड़ता है।
  • वैध कॉलोनाइजर्स के लिए वर्तमान में जीएसटी, रेरा का पालन, 14 विभागों की एनओसी आवश्यक होती है।
  • विभाग में एनओसी के लिए फीस जमा करना पड़ती है।
  • वैध कॉलोनियों में ईडब्ल्यूएस भूखंड छोडऩा, पार्क, एसटीपी प्लांट लगाना अनिवार्य किया गया है।

मुझे कुछ नहीं पता
उज्जैन नगर निगम में अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया किस स्थिति में है मुझे नहीं पता। शहर में कितनी कॉलोनियों को वैध करने का प्रस्ताव है, यह भी जानकारी नहीं है।
जीएस कंठिल, अधीक्षण यंत्री और कॉलोनी सेल प्रभारी नगर निगम उज्जैन

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