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उज्जैन उत्तर से विधानसभा लडऩे की मंशा रखने वाले एक वरिष्ठ नेता पूरी तरह नजरअंदाज…

उज्जैन उत्तर से विधानसभा लडऩे की मंशा रखने वाले एक वरिष्ठ नेता पूरी तरह नजरअंदाज…

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चार नेता मिलकर सभी पर भारी पड़े, समर्थकों को मौका देने के लिए आपस में तय कर लिए नाम

28 पूर्व पार्षदों के टिकट काटे

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पिछली बार की 4 महिला पार्षदों को फिर से मौका मिला है।

6 मुस्लिमों को टिकट दिया है। जिनमें 1 पुरुष और 5 महिलाएं है।

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उज्जैन।नगर निगम चुनाव 2022 के लिए भाजपा ने गुरुवार रात को 49  प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के बाद शुक्रवार सुबह शेष 5 वार्डों के लिए भी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसमें गत परिषद की तुलना में भारी बदलाव किया है। 28 पूर्व पार्षदों के टिकट काट दिए गए है। दल बदल कर आने वालों को मौका मिला है। वहीं पार्टी के तीन बागियों को टिकट दिए गए है। शुक्रवार सुबह भाजपा ने पांच वार्डों के प्रत्याशी घोषित कर अपने सभी पार्षद पद के उम्मीद्वार तय कर दिए हैं। नामांकन दाखिल करने का कल अंतिम दिन है।

टिकट वितरण में चला जमकर समर्थकवाद…टिकट वितरण में जमकर समर्थकवाद

चला है। पार्टी के अंदर खानों से आ रही खबरों के अनुसार चार नेताओं ने आपस मेें अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए अघोषित गठजोड़ और समझौता कर लिया। इन नेताओं ने अपने-अपने नाम तय कर उनको टिकट दिलाने के लिए जो गठजोड़ किया उसे पूरा करने के लिए एक जाजम पर आ गए।

भाजपा ने 54 वार्डों के लिए के पार्षद पद के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इस टिकट वितरण में उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन की चली है, 24 वार्डों के प्रत्याशी विधायक जैन गुट के हैं, जबकि 22 उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव व 2 सांसद समर्थक हैं।

सिंधिया गुट से भी दो प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। उज्जैन उत्तर से विधानसभा चुनाव लडऩे की मंशा रखने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल जैन कालूहेडा को नगर निगम चुनाव टिकट वितरण में पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।

पांच वार्डों में खींचतान के बाद नाम घोषित: भाजपा द्वारा पहली सूची में पांच (6, 23, 29, 38 और 42) वार्ड के प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए थे। इन वार्डों के लिए 10 दावेदार मैदान में थे।

इनको लेकर जमकर खींचतान चल रही थी। आखिरकार शुक्रवार सुबह पार्टी ने उक्त पांचों वार्ड में उम्मीदवार घोषित कर दिए। इसमें वार्ड-6 से शिवेन्द्र तिवारी, 23 से रजत मेहता,29 से रामेश्वर दुबे, 38 से अनिल गुप्ता और वार्ड 42 से अंजली पटेल को उम्मीदवार बनाया है।

इस बार भी जीतीं तो कलावती यादव होंगी प्रदेश की सबसे सीनियर पार्षद…

भाजपा की पहली सूची में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव की बहन कलावती यादव को वार्ड 14 से पुन: प्रत्याशी बनाया। पार्टी ने उन्हें छटी बार मौका दिया है।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार प्रदेश भर में 16 नगर निगमों के पार्षदों की जो सूची जारी की गई है उसमें भाजपा की ओर से कलावती यादव सबसे अधिक बार पार्षद का चुनाव लडऩे वाली नेता है।

चुनाव जीतने की स्थिति में वे संभवत: प्रदेश की सबसे वरिष्ठ पार्षद होगी। इधर कलावती यादव को टिकट मिलने के संबंध में पार्टी सूत्रों का कहना है कि वे निगम अध्यक्ष के सबसे प्रबल दावेदार भी है। सब कुछ ठीक रहा तो कलावती यादव ही आने वाली परिषद् की अध्यक्ष होगी।

दलबदल करने वालो को टिकट, बागियों को भी मिला मौका

दलबदल करने वाले तीन नेताओं को कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं पूर्व के नगर निगम चुनाव में पार्टी से बगावत करने वालों तीन नेताओं को फिर से मौका दिया गया है। कुछ समय पूर्व रामेश्वर दुबे ने पार्टी से बगावत कर अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था। वही शिवेंद्र तिवारी ने पिछला चुनाव भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए थे।

इसके अलावा विकास मालवीय भी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरकर पार्षद बने थे। पार्टी ने शिवेन्द्र तिवारी को 6 नंबर, रामेश्वर दुबे को 29 वार्ड से मौका दिया है, वहीं वार्ड 50 से पार्टी ने विकास मालवीय की पत्नी को प्रत्याशी बनाया है। संतोष व्यास भी बागी होकर चुनाव लड़े और जीते, बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे।

भाजपा से बगावत कर नगर निगम का पिछला चुनाव लडऩे वाले संतोष व्यास को टिकट नहीं मिला है, और ना ही उनकी पत्नी को मौका दिया गया है।

कांग्रेस से आए दिलीप परमार, संग्राम सिंह भाटिया और बाबूलाल बाघेला की पत्नी सुमन बाघेला को टिकट मिला है। कुछ ही समय पूर्व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले जय सिंह दरबार के भाई विजयसिंह दरबार को पार्टी को पार्टी ने टिकट नहीं दी।

इधर सूची जारी होते ही अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के आरोप लगना शुरू

आक्रोश नहीं थमा तो पड़ेगा जीत के आंकड़ों पर असर

उज्जैन। गुरूवार रात्रि को जैसे ही भाजपा ने 49 वार्डो की पहली अधिकृत सूची जारी की। आज दिन में शेष 5 पांच वार्डों से भी उम्मीदवारों का नाम फाइनल हो गया। कल आई सूची के बाद से ही कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।

वार्डों में रात्रि में ही कार्यकर्ताओं की बैठकें हो गई तथा दावा किया गया कि जनप्रतिनिधियों ने जमीनी कार्यकर्ताओं की मांग को दरकिनार करके अपने समर्थकों को टिकट दिलवाया है। पिछले एक सप्ताह से भाजपा के अनेक कार्यकर्ता पार्षद के चुनाव का टिकट प्राप्त करने के लिए वार्डो में सारे समीकरण जमा लिए थे। वहीं अपने आकाओं के माध्यम से भी दावेदारी पुख्ता करने में लगे हुए थे।

वे अपनी बात अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक भी पहुंचा चुके थे। कई वार्डों में कुछ लोगों की टिकट पक्की भी मानी जा रही थी। इस बीच टिकटों के वितरण को लेकर बनाई गई संभागीय समिति में जब वार्ड वार नाम रखे गए तो समीकरण अचानक बदलने लगे। जो नाम पेनल में शीर्ष पर थे, वे हाशिए पर आ गए।

जो भी कोर कमेटी में बात होती थी वह तुरंत बाहर आ जाती थी जिससे दावेदार फिर से सक्रीय होकर प्रयास करने लग जाते। इस सिलसिले को बंद करने के लिए कथित रूप से चार जनप्रतिनिधियों/दायित्ववानों ने एकमत से फैसला ले लिया की जो भी नाम तय करना है वह फाइनल मानकर तय कर लिए जाए और आपस में टकराने के बजाय अपने समर्थकों को टिकट दे दिया जाए । इस कमेटी में शामिल एक प्रदेश स्तरीय नेता के अनुसार इन सबका नतीजा हुआ कि कई वार्डो में जीत के नजदीक वाले दावेदारों को घर बैठा दिया गया।

सोशल मीडिया पर प्रचार शुरू, लिस्ट आई तो नाम गायब…

गुरुवार को कुछ दावेदारों ने दावेदारी से हटकर सुबह से ही जीताने के लिए वोट मांगने का काम सोशल मीडिया पर शुरू कर दिया। वहीं मोबाइल फोन पर अपने समर्थन के लिए चर्चा शुरू कर दी।

जब ऐसे दावेदारों से पूछा गया कि अभी तो अधिकृत सूची जारी नहीं हुई, ऐसे में आप कैसे प्रत्याशी बन गए? उनका जवाब था- हमे तो हमारे शीर्ष नेताओं ने हरी झंडी दे दी। अब जब उन्होने कह दिया कि करो तैयारी, तो नाम काटनेवाला कौन हो सकता है? जारी हुई सूची में नाम गायब होने पर उनके चेहरे पर मायूसी छा गई।

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