उज्जैन : एक और डेम की जरूरत, गंभीर और शिप्रा के भरोसे नहीं पिला सकते पूरे शहर को पानी

विश्व जल दिवस आज…

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आज पूरा विश्व जल दिवस मना रहा है। पानी की एक एक बूंद को सहेजना और शुद्ध पेयजल को संरक्षित करना विश्व के लिये चुनौती बना हुआ है। इससे शहरवासी भी अछूते नहीं हैं। शहर में पेयजल सप्लाय के नये स्त्रोत सृजन की वर्षों से योजनाएं तो बनीं लेकिन अब तक सिर्फ कागजों पर ही सिमटी हैं आज भी शहर के लोग वर्ष 1992 में बने गंभीर बांध पर निर्भर हैं, लेकिन जनसंख्या और पेयजल सप्लाय के मान से गंभीर बांध का पानी कम पडऩे लगा है।

उज्जैन। आने वाले वषोज़्ं में शहर के लिये पेयजल की समस्या सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ सकता है। फिलहाल शहर में पेयजल सप्लाय का एकमात्र स्त्रोत है गंभीर बांध। इसकी क्षमता 2250 एमसीएफटी है, जो वतज़्मान में शहर में पेयजल सप्लाय के मान से 500 एमसीएफटी कम है। इसकी पूतिज़् पीएचई विभाग द्वारा उंडासा, साहेबखेड़ी तालाब और शिप्रा नदी में नमज़्दा का पानी लाकर की जा रही है। यह सभी व्यवस्थाएं वैकल्पिक हैं क्योंकि नमज़्दा का पानी शिप्रा नदी तक लाने में लाखों रुपये खचज़् होता है। कुछ वषोज़्ं पहले सेवरखेड़ी में एक और बांध बनाने की योजना एरिगेशन व पीएचई विभाग द्वारा तैयार की गई थी। इस योजना में बारिश के दौरान शिप्रा नदी के पानी को बांध में एकत्रित किया जाना था और

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समय समय पर इसी पानी को शिप्रा नदी में छोड़कर पेयजल सप्लाय के रूप में उपयोग किया जाना था। हालांकि जमीन अधिग्रहण और जनप्रतिनिधियों के विरोध के बीच यह योजना आज भी कागजों पर ही सिमटी है यदि समय रहते शहर में पेयजल सप्लाय के लिये एक और बांध तैयार नहीं होता तो शहरवासियों को पीने के पानी के लिये समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

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हमें तो अभी से परेशानी आ रही

पीएचई कायज़्पालन यंत्री अतुल तिवारी ने बताया कि गंभीर बांध तत्कालिन जनसंख्या के मान से तैयार किया था, लेकिन वतज़्मान में बांध की क्षमता 2250 एमसीएफटी से अधिक पेयजल सप्लाय के लिये पानी की आवश्यकता होती है। इसकी पूतिज़् शिप्रा नदी व उंडासा, साहेबखेड़ी तालाबों से करते हैं। यदि समय पर बारिश न हो तो शहर में एक दिन छोड़कर पेयजल सप्लाय करना पड़ता है। शहरवासियों को वषज़् भर पेयजल की आपूतिज़् करने में अभी से परेशानी आ रही है। सेवरखेड़ी डेम का प्रोजेक्ट बनकर तैयार है, लेकिन उस पर क्या हो रहा है इसकी जानकारी नहीं।

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