उज्जैन के रजिस्ट्रार ऑफिस का प्रभारी बाबू नारायणसिंह रावत 3 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ाया

सुबह 11:40 बजे लोकायुक्त ने किया ट्रेप…

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उज्जैन। सुबह लोकायुक्त की टीम ने भरतपुरी स्थित पंजीयन कार्यालय के बाबू को 3 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़कर उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। शैलेन्द्र सिंह परमार निवासी तराना को जमीन रजिस्ट्री की कॉपी की आवश्यकता थी। वह पंजीयन कार्यालय भरतपुरी पहुंचा। यहां स्टोर शाखा के प्रभारी बाबू नारायण सिंह रावत ने शैलेन्द्र से नकल देने के बदले 4 हजार रुपयों की मांग की।

शैलेन्द्र ने इसकी शिकायत लोकायुक्त एसपी से कल शाम की थी। लोकायुक्त अधिकारियों ने योजनाबद्ध तरीके से शैलेन्द्र को रुपये लेकर सुबह पंजीयन कार्यालय भेजा। यहां शैलेन्द्र ने तीन हजार रुपये नारायण सिंह रावत को दिये जिसे रावत ने लिफाफे में रख दिया। इशारा पाकर लोकायुक्त की टीम तुरंत कार्यालय में पहुंची। रावत को पकड़कर उससे रुपये दिखाने को कहा। रावत ने लिफाफे में रखे रुपये निकालकर लोकायुक्त अधिकारियों को दिये जिसके बाद रावत के हाथ भी धुलाए गए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया।

पिता प्रभारी-बेटा सर्विस प्रोवाइडर…
प्रभारी बाबू नारायण सिंह रावत का पुत्र स्वयं रजिस्ट्रार कार्यालय में सर्विस प्रोवाइडर के रूप में काम करता है। बताया जाता है कि रजिस्ट्री अथवा उससे जुड़े किसी भी कागज व नकल के बदले उसके बेटे द्वारा लोगों को फंसाकर काम के बदले 4 से 5 हजार रुपये तक लिये जाते थे। इसकी शिकायत कार्यालय के अधिकारियों के पास पहुंच चुकी थी लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है कि रावत के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जानकारी मिलती है तो उसकी भी जांच की जायेगी।

रिश्वत के रुपयों से बनाया शॉपिंग कॉम्पलेक्स
रजिस्ट्रार कार्यालय के भृत्य और प्रभारी बाबू के बारे में बताया जाता है कि उसके द्वारा भ्रष्टाचार के जरिये लाखों की कमाई की है। रावत का मक्सीरोड़ पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स बताया जा रहा है और रजिस्ट्रार ऑफिस से जुड़े लोगों में यह भी चर्चा है कि रावत की अन्य स्थानों पर भी प्रापर्टी है।

पहले भी रिश्वत देकर ले चुका था नकल…
बताया जाता है कि शैलेन्द्र सिंह परमार ने स्वयं की जमीन की रजिस्ट्री की नकल 12 मार्च को प्रभारी बाबू नारायण सिंह से निकलवाई थी। उस समय शैलेन्द्र ने नारायण को 5 हजार रुपये की रिश्वत दी थी। दूसरी बार चाचा की जमीन की रजिस्ट्री निकलवाने गया तो रावत ने 4 हजार रुपये मांगे जबकि पंजीयन कार्यालय से नकल निकलवाने का शुल्क 200 रुपये है।

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