उज्जैन-दूसरी लहर: नवजात में भी बढ़ा कोरोना का संक्रमण

By AV NEWS

5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी हो रहे संक्रमित

लेकिन रिकवरी रेट सबसे बेहतर, जानिये बच्चों में बढ़ते संक्रमण के मामलों पर क्या कहते हैं शहर के प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ

उज्जैन।कोरोना वायरस के संक्रमण के दूसरे दौर में अब नवजात और १० वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी बढ़ी संख्या में संक्रमित पाए जा रहे हैं। यह पिछले दौर में ज्यादा देखने के लिए नहीं मिला था। आज स्थिति यह है की डिलेवरी होते ही बच्चे में संक्रमण देखा जा रहा है जिससे बच्चे के परिवार के लोग खासे चिंतिंत नजऱ आ रहे हैं। लेकिन इसमे सबसे बड़ी राहत की बात यह है की 0 से १० वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों में संक्रमित होने के बाद रिकवरी रेट बाकी आयु वर्ग के लोगों से बहुत बेहतर है। इसी सम्बन्ध में नवजातों में कोरोना वायरस की बारीकियों पर नजर डालने के लिए हमने शहर के प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील राठी से चर्चा की।

क्या करें यदि बच्चा संक्रमित हो जाए
डॉ. राठी का कहना है की यदि 5 वर्ष से कम आयु का बच्चा संक्रमित पाया जाए तो उसे भी आइसोलेशन में रखना ही एक मात्र रास्ता है। बच्चे के साथ उसकी मां भी आइसोलेशन में रहे और जब तक बच्चा ठीक ना हो जाए उसकी देखभाल एक ही सदस्य की जिम्मेदारी रहे जो उसके साथ आइसोलेशन में है। संक्रमित बच्चे को घर के बुज़ुर्गों से भी दूर रखा जाए।

रिकवरी रेट बेहतर
बच्चों में वायरस के लक्षणों और उसके जानलेवा स्वरुप के विषय में डॉ. राठी बताते हैं की बच्चों में यह संक्रमण होने पर साधारण बुखार या सर्दी खांसी के ही लक्षण देखने में आए हैं जो बिना किसी विशेष क्लीनिकल ट्रायल के ठीक हो जाते हैं। इस वायरस ने बच्चों में किसी बड़ी बीमारी का स्वरुप लिया हो ऐसा अभी तक देखने में नहीं आया है।

बच्चों से बड़ों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक
डॉक्टर राठी बताते हैं की छोटे बच्चों में रिकवरी रेट तो बेहतर है, परन्तु उनसे दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक है। इतने काम उम्र के बच्चे ना तो मास्क पहन सकते हैं और ना ही सैनिटाइजर का उपयोग। जिसके चलते उनके साथ पूरे समय रहने वाले लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। बड़ों के शरीर में यह वायरस किस हद तक घातक हो सकता है यह तो आप और हम एक साल में देख चुके हैं।

सबसे अधिक शिशु रोग विशेषज्ञों की गई जान
हाल ही में हुई अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई सर्वे और स्टडी में यह बात सामने आई है की पूरे विश्व भर में जिन डॉक्टर्स ने कोरोना से जंग लड़ते हुए अपनी जान गंवाई है उनमे सबसे अधिक संख्या शिशु रोग विशेषज्ञों की है। बच्चों के क्लीनिकल ट्रायल के समय या उनके टीकाकरण जैसी आम क्रियाओं के चलते शिशु रोग विशेषज्ञ अधिक संक्रमित हो रहे हैं।

वैक्सीन अभी दूर है
डॉ. राठी बताते हैं कि नवजातों और बच्चों के लिए अभी कोरोना वैक्सीन नहीं आई है। ग्लोबल लेवल पर बात करें तो अभी अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन्स ट्रायल फेस में है। बच्चों की वैक्सीन में कोई भी कंपनी जल्दबाजी नहीं करना चाहती। संभवत: २०२१ के अंत तक ही बच्चों की कोरोना वैक्सीन आमजन के लिए उपलब्ध हो पाएगी।

Share This Article