महाकाल महाकाल मंदिर के बाहर की मैदानी हकीकत
जनसमूह को महाकाल दर्शन और सवारी के बाद निकालने के प्लान की जरूरत, जहां से चलते हैं वहां पहुंचने की राह आसान नहीं
उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण के दौरान देशभर के श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे रहे। आम दिनों की अपेक्षा शनिवार, रविवार और सोमवार को भीड़ अधिक रहती है। कहने को तो मंदिर प्रबंध समिति ने भक्तों के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं, मगर जमीनी हकीकत कुछ और है जो पिछले दो सोमवार से उजागर हो गई हैं।
मंदिर समिति का दावा है कि श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए बेहतर प्लानिंग की है। सोमवार को क्राउड मैनेजमेंट फेल होने के बाद जब दर्शनार्थियों से चर्चा की तो कई कारण सामने आए। इनमें से दो प्रमुख हैं एक श्रद्धालुओं का आमना-सामना होना और दूसरा जहां (पार्किंग या पैदल जोन) से चल थे वहां पहुंचने की राह आसान नहीं होना। ऐसे में दर्शन के लिए आने और जाने वाले समूहों का दबाव एक ही जगह बन जाता हैं।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण कार्य के चलते मंदिर तक आने व जाने की कई गलियां पूरी तरह बंद होने से प्रशासन के सामने अधिक विकल्प नहीं हैं। पर जो रास्ते उपलब्ध हैं उसकी प्लानिंग ठीक नहीं की जिससे भीड़ के एक ही तरफ से आने व जाने के रास्ते होने से श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है।
प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के वाहन पार्किंग की व्यवस्था कर्कराज मंदिर, कार्तिक मेला ग्राउंड में की हैं। वाहन पार्क कराने के बाद श्रद्धालुओं को नृसिंह घाट से दत्त अखाड़ा की गली से होकर चारधाम मंदिर के पास जाना होता है। जहां जूता स्टैंड और क्लॉक रूम है। इसके बाद बैरिकेट्स से लाइन में शंख द्वार तक पहुंचाया जाता हैं। इस दौरान बैरिकेड्स के बीच धक्के खाते कीचड, कंकड़ से होकर उमस, गर्मी, बरसात का सामना कर श्रद्धालु शंख द्वार पहुंचते हैं।
हरसिद्धि चौराहे पर मशक्कत
हरसिद्धि चौराहे पर दर्शन करने जाने और दर्शन कर लौटकर आने वालों का सामना होता है, सबसे मशक्कत यहीं हो रही है। श्रद्धालुओं की लाइन चारधाम मंदिर से लगती है। प्रसाद विक्रय काउंटर,जूता स्टैंड और क्लॉक सेंटर भी यहीं है। इसी जगह पर मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं का दबाव तो दूसरी ओर चारधाम से जूते व सामान लेकर वापस लौटने के लिए परेशान श्रद्धालुओं का आमना सामना हो जाता है।
मंदिर से निकलने पर जाना होता है हरसिद्धि पहुंचा देते है चौबीस खंबा
दर्शन कर निर्गम द्वार (एग्जिट गेट) से बाहर निकलने पर श्रद्धालुओं को पुन: जूता स्टैंड/क्लॉक रूम वाली जगह जाना होता है, लेकिन उन्हें सीधे वहां नहीं जाने दिया जाता क्योंकि उस ओर से मंदिर परिसर में प्रवेश का मार्ग हैं। श्रद्धालुओं को पुराने महाकाल प्रवचन हॉल/धर्मशाला के पीछे से बड़े गणेश मंदिर/रूद्रसागर की ओर बढ़ा दिया जाता हैं।
श्रद्धालु को रास्ता पता नहीं होने पर हरसिद्धि माता मंदिर पहुंचने की बजाए चौबीस खंबा माता जी मंदिर-गुदरी चौराहे पर निकलते हैं। पार्किंग की जगह पूछते हुए कहारवाड़ी से हरसिद्धि की पाल (हाटकेश्वर धाम नागर धर्मशाला) पहुंचते हैं तो श्रद्धालुओं को यह पता नहीं होता के आगे की ओर पहुंचे तो रास्ता बंद। यही स्तिथि बड़े गणेश मंदिर और आनंद शंकर व्यास जी के निवास के बीच की गली में बनती हैं।
यह स्थिति रही:
भीड़ बढऩे से सुगम दर्शन की बेसिक प्लानिंग पूरी तरह गड़बड़ा गई। इसे मिस मैनेंजमेंट इसलिए कहा जाएगा क्योंकि अगर लाखों लोग शहर में आ रहे तो उसका प्लान व तैयारी भी उस हिसाब से होना चाहिए थी। जिसका उदाहरण हमने सिंहस्थ 2016 में देखा था। जब इससे कई गुना ज्यादा श्रद्धालुओं के आने पर भी व्यवस्था नहीं बिगड़ी थी। श्रद्धालुओं को रास्ते मालूम नहीं होने से भी व्यवस्था बिगडऩा एक बड़ी वजह मानी जा सकती है।
केवल आगे बढाने का काम:
बताते हैं कि महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था और सुरक्षा सहित यातायात की व्यवस्था बनाये रखने के लिए 1500 से अधिक पुलिसकर्मी को तैनात किया गया था। इस बल के पास केवल लोगों को आगे बढ़ाने के अलावा कोई काम नहीं था। बंद रास्ते का पूछने पर एक जवाब मिलता हैं ‘इधर से हटों उधर जाएं। ‘पर किधर जाएं इसका जवाब नहीं मिलता हैं..।
ऐसे किया जा सकता बेहतर क्राउड मैनेजमेंट
हरसिद्धि से चारधाम मंदिर के सामने, त्रिवेणी संग्रहालय, फेसेलिटी सेंटर, शंख द्वार, निर्गम द्वार, बड़े गणेश मंदिर और रुद्रसागर के पास से हरसिद्धि तक जोन बनाकर इसके दो सेक्टर एक प्रवेश सेक्टर, दूसरा निर्गम सेक्टर विभक्त कर सेंटर हरसिद्धि चौराहा रखा जाए।
दोनों सेक्टरों को वनवे रखा जाए
प्रसादी और जूता स्टैंड-क्लॉक रूम एक जगह रखने की बजाय अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न पॉइंटों पर रखा जाए।
हरसिद्धि चौराहे पर केवल जूता स्टैंड और क्लॉक सेंटर बनाया जाए।
प्रवेश सेक्टर, निर्गम सेक्टर को वन-वे रखा जाए।
पूरे झोन को हर तरह की दुकानों से मुक्त रखा जाए।
मार्ग संकेतक विस्तार से लगाए जाए।
पांच सौ मीटर पहले सभी वाहन प्रतिबंधित करना होंगे।
श्रद्धालुओं को महाकाल दर्शन और सवारी के बाद निकालने के प्लान की जरूरत है।