उज्जैन : प्रायवेट बसों का संचालन है बंद, ५ हजार से अधिक लोगों पर रोजगार का संकट

ड्रायवर-कंडक्टर को नहीं मिल रहा वेतन, सभी को फिर से परिवहन शुरू होने का इंतजार
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। लॉकडाउन और जनता कफ्र्यू के बीच प्रायवेट बसों के चक्के भी थमे हुए हैं। बसों का परिवहन बंद होने के बाद से इनके भरोसे अपना घर चला रहे ड्रायवर एवं कंडक्टर भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इनको इंतजार है उस दिन का जब सरकार बसों का संचालन शुरू करने के आदेश दे और ये काम पर आ जाएं, ताकि इनको वेतन मिलना पुन: शुरू हो जाए। इस समय तो इनको वेतन के लाले पड़े हुए हैं।
बस मालिक के खिलाफ ये कुछ बोलने से रहे। ऐसे में नाम प्रकाशित न करनेे की शर्त पर इतना ही कहते हैं सर, हमारे बुरे दिन चल रहे हैं। पता नहीं सरकार यह जनता कफ्र्यू कब समाप्त करेगी। बसें खड़ी होने के कारण सेठ ने तनख्वाह बंद कर दी है। जिस दिन बसों का परिवहन सरकार ने बंद किया। उसी दिन से तनख्वाह बंद हो गई। अब सभी ड्रायव्हरों के घर के बाहर उनके द्वारा चलाई जानेवाली बसें खड़ी है और ड्रायवर अपने घरों में बंद हैं। जिनके घर के आसपास जगह नहीं है, उन्होंने बसों को बाड़े में या बस स्टैण्ड पर खड़ा कर रखा है। गत वर्ष भी ऐसा ही हुआ था। दो वक्त की रोटी की समस्या हो गई थी। अब फिर घर पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
यह कहना है बस मालिकों का
बस मालिक रवि शुक्ला और बस संचालन का मैनेजमैंट देख रहे अरविंद तोमर का कहना है कि खड़ी बस भी रोजाना खर्चा मांगती है। हमारी एक बस का रोजाना का परमिट, फिटनेस, किस्त, मैंटेंनेंस और बीमा आदि मिलाकर 3 हजार रू. का खर्चा हो रहा है। आमदनी कुछ नहीं है। दबे स्वर में वे स्वीकारते हैं कि बसों का संचालन बंद है,ऐसे में कर्मचारियों को वेतन कैसे दें ?
800 बसें चलती है रोजाना उज्जैन से
शहर से 800 प्रायवेट बसों का संचालन होता है। बड़े रूट पर 200 का और छोटे रूट पर 600 का। इन बसों के संचालन के साथ कम से कम दो और अधिकतम तीन पारियों में तीन-तीन ड्रायव्हर एवं कंडक्टर को रोजगार मिलता है। ऐसे में करीब 5 हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। ये लोग 17 मई की बांट जोह रहे हैं। इन्हे आशा है कि इस तारीख के बाद सरकार बसों को चलाने के आदेश जारी कर देगी।