उज्जैन में Black Fungus : 12 वर्षीय बालिका को चाहिए एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन, एक 7 हजार का, लगेंगे 60

इंदौर से उज्जैन जिला चिकित्सालय में इलाज कराने पहुंची गरीब परिवार की बालिका, इंजेक्शन नि:शुल्क उपलब्ध नहीं, कलेक्टर से मदद की दरकार
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उज्जैन। जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए नि:शुल्क वार्ड कल से खोल दिया गया है। यहां अभी तक दो मरीज भर्ती हो चुके हैं। इनमें एक 12 वर्षीय लड़की है,जो गरीब परिवार से है। इसके एंटी फंगस इंजेक्शन एम्फोटेरेसिन-बी 50 एमजी लगाया जाना है। यह इंजेक्शन करीब 7 से साढ़े 7 हजार रुपए में एक आता है।
चूंकि परिवार गरीब है, इसलिए वह इसे इंजेक्शन नहीं लगवा सकता है। इस लड़की को करीब 60 इंजेक्शन लगेंगे, ऐसा चिकित्सकों का कहना है। इस स्थिति में करीब सवा चार लाख रूपयों का इंतजाम परिवारजनों के लिए करना मुश्किल है। यही कारण रहा कि शनिवार को भी 12 वर्षीय लड़की को इंजेक्शन नहीं लग सका, क्योंकि परिजनों के पास रूपये नहीं थे। आज सिविल सर्जन डॉ.पी.एन.वर्मा ने परिजनों से कहाकि वे कलेक्टर से मिलें तथा उपचार नि:शुल्क हो जाए, इसके लिए आग्रह करे।
डॉॅ.वर्मा के अनुसार जिला अस्पताल में उन्होने 10 लाख रू.कीमत का एंडोस्कोप और सर्जरी के उपकरण अपनी ओर से आगामी समय तक के लिए नि:शुल्क दे दिए हैं। चूंकि उक्त इंजेक्शन शासन से अस्पताल को नहीं मिले हैं,ऐसे में बाजार से ही खरीदकर लगाना होंगे। इसका बजट जिला अस्पताल के पास नहीं है। आनेवाले समय में संभव है,ऐसे और भी केस आए। इस स्थिति में हमने कलेक्टर से मार्गदर्शन मांगा है। साथ ही उक्त परिवार को कलेक्टर से मिलने भेजा है। ताकि वहां से कोई मदद मिल जाए।
MYH, इंदौर से वापस आ गया परिवार
उक्त लड़की के उपचार के लिए परिजन MYH हास्पिटल इंदौर गए थे। वहां उपचार न होने के कारण पुन: उज्जैन आ गए और यहां भर्ती करवाया। परिजनों के अनुसार वहां भी रूपयों से महंगी दवाई खरीदने की बात की गई, हमारे पास रूपये नहीं थे। इसलिए वापस आ गए।
इनका कहना है…
आर डी गार्डी में नोडल अधिकारी डॉ.सुधाकर वैद्य के अनुसार हमारे यहां जिला प्रशासन के माध्यम से मरीजो को इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। लेकिन नि: शुल्क नहीं है। मरीज के परिजनों को ही खरीदना है।सिविल सर्जन डॉ.पी.एन.वर्मा के अनुसार शासन ने उक्त एंटी फंगल इंजेक्शन नि: शुल्क उपलब्ध नहीं करवाए हैं। भर्ती मरीजों को इंजेक्शन लिखे जा रहे हैं। दुकान का पता बताया जा रहा है,जहां मिल जाएंगे। खरीदना उन्हे ही है। ड्रग इंस्पेक्टर धर्मसिंह कुशवाह के अनुसार प्रशासन द्वारा लोगों की सुविधा के लिए और कालाबाजारी रोकने के लिए कमेटी के निर्देश पर इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। नि:शुल्क व्यवस्था नहीं है।
और इधर शासकीय माधवनगर अस्पताल में दवाईयों का अभाव
उज्जैन। माधवनगर अस्पताल में दवाईयों का अभाव है। गरीब मरीज बाहर से दवाईयां खरीद नहीं पा रहे हैं। इधर उपचार के अभाव में आशंका है कि मरीजों की मौत न हो जाए। इस बात से डॉक्टर्स भी भयभीत तो है,लेकिन व्यवस्था के चलते उन्होने लम्बे समय से चुप्पी साध रखी है।
शा.माधवनगर में कोविड मरीजों को लगाए जाने वाले दो तरह के एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन समाप्त हो गए हैं। इसीप्रकार से खून पतला करने के लिए आवश्यक इंजेक्शन का भी अभाव है। यह इंजेक्शन मरीजों को सुबह और शाम आवश्यक रूप से लगाए जाते हैं। यहां भर्ती कुछ मरीजों के परिजनों का कहना है कि हम इतने गरीब हैं कि मरीज को जेब से दूध भी नहीं पिला सकते। डॉक्टर पर्ची पर तीन तरह के इंजेक्शन लगाने हेतु बाजार से खरीदकर लाने का कह देते हैं। हमारे पास रूपये ही नहीं,तो कहां से लाएं? इनके अभाव में मरीज की तबियत खराब हो रही है।
उपचार के लिए तीनों इंजेक्शन आवश्यक…
हॉस्पिटल प्रभारी डॉ.विक्रम रघुवंशी के अनुसार दो तरह के एंटीबायोटिक्स एवं खून पतला करने का एक इंजेक्शन लम्बे समय से शासन से नहीं मिल रहा है। ऐसे में मरीज के परिजनों को बाजार से खरीदने के लिए मजबूरन कहना पड़ रहा है। चंूकि कोविड के उपचार में ये तीनों इंजेक्शन अति आवश्यक है, ऐसे में हम भी मजबूर हैं।