उज्जैन संभाग के कोरोना योद्धा…लॉकडाउन और अनलॉक के दौर में बगैर थके सतत अपनी सेवाएं दे रहे हैं डॉ. सोनानिया

  • बगैर थके आज भी जुटे हैं कोरोना मरीजों की सेवा में
  • पांच घण्टे की नींद भी टूट जाती है इमरजेंसी कॉल पर
  •  योगा और पौष्टिक भोजन इन दो बातों से नहीं किया समझोता

उज्जैन:आज से 100 वर्ष बाद भी उज्जैन शहर में कोरोना महामारी की बात होगी तो एक शासकीय चिकित्सक का हमेशा जिक्र होगा,जिनका नाम है डॉ.एच पी सोनानिया। वह व्यक्तित्व जो लॉकडाउन और अनलॉक के दौर में सतत सेवा दे रहा है वह भी बगैर थके। जिला हॉस्पिटल में एमडी मेडिसीन के पद पर लम्बे समय से कार्यरत डॉ.सोनानिया के बारे में पहली बार शहरवासियों ने स्वाईन फ्लू बीमारी के वक्त सुना था। यह बीमारी भी महामारी के रूप में उस समय सामने आई थी और शा.माधवनगर हॉस्पिटल में एक स्वाईन फ्लू वार्ड बनाया गया था। उस समय अन्य कोई चिकित्सक यहां सेवा देने को तैयार नहीं था। डॉ.सोनानिया से इस चैलेंज को स्वीकार किया। पहले दौर में मौतों का सिलसिला चला, जिसे उन्होने थामा। यह महामारी समय के साथ थम गई।

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कोरोना संक्रमण: शुरू में तो पीपीई कीट भी नहीं थी…
जब कोरोना महामारी का दौर शुरू हुआ तो मार्च माह में सबसे पहले डॉ.सोनानिया को याद किया गया। शा.माधवनगर में एक वार्ड में इस रोग के मरीजों को रखा गया और उनके उपचार की जवाबदारी डॉ.सोनानिया के पास आई। उस समय न तो पीपीई कीट थी ओर न ही इस महामारी को लेकर टिप्स। डॉ.सोनानिया ने अपने पूर्व अनुभव के आधार पर इस बीमारी से पीडि़त मरीजों का उपचार शुरू किया जो आज तक जारी है।

तीन माह से आयसोलेट हैं अपने घर पर
डॉ.सोनानिया के अनुसार मार्च माह में कोरोना के लक्षणवाले मरीजों का आना शुरू हो गया था। तभी से वे अपने घर के एक अलग कक्ष में स्वयं को आयसोलेट किए हुए है। उनके कक्ष में पत्नी और बेटा चाय-दूध-नाश्ता-भोजन रख देते हैं। सभी से रात्रि में सामाजिक दूरी के साथ मिलना हो जाता है। कपड़े अलग से मशीन में धुलते हैं वहीं बर्तन भी अन्य बर्तनों में शामिल नहीं करते हैं। पूरा समय मरीजों के बीच में गुजरता है। ऐसे में यह सावधानी आवश्यक है। मोबाइल फोन पर माताजी से बात हो जाती है, जोकि पेतृक गांव में रहती हैं। रोजाना रात्रि में मोबाइल पर बात करके तबियत के बारे में पूछती है और कहती है कि बेटा-भगवान ने जिस काम के लिए तुम्हे बनाया, खूब सेवा करो। यही सबसे बड़ा पूण्य है। सामान्य परिवार से निकलकर आए डॉ.सोनानिया का जीवन भी सामान्य तो है ही चिकित्सा सेवा में आनेवाले नए लोगों के लिए प्रेरणादायी भी है।

यह है दिनचर्या…
डॉ.सोनानिया के अनुसार वे प्रात: 6 बजे उठते हैं और कुनकुना पानी पीकर योग-व्यायाम-प्राणायाम करते हैं। स्नान, पूजन के बाद पौष्टिक नाश्ता लेते हैं, नाश्ते का मेनू होता है-अनाज एवं दालों के अंकुरित दानेे। इसके साथ वे एक गिलास हल्दी का दूध पीते हैं। दोपहर के भोजन का समय निर्धारित नहीं रहता है, इसलिए नाश्ता भरपेट कर लेते हैं। दोपहर का भोजन अनेक बार स्टॉफ एवं रोगियों के लिए आनेवाले भोजन में से ही कर लेते हैं। 9 बजे हॉस्पिटल आ जाते हैं। रात्रि 8 से 9 बजे तक घर जाते हैं। इमरजेंसी कॉल होने पर रात्रि में भी हॉस्पिटल आते हैं।

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