उज्जैन स्मार्ट सिटी की लापरवाही….

महाकाल महालोक में ग्रहों का क्रम और दशा ही बदल दी

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उज्जैन। जब से शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम प्रारंभ हुआ है,तभी से सभी को यह शिकायत है कि प्रोजेक्ट होने वाले काम प्लानिंग,टैंडर,वर्क आर्डर काम करने वाली कंपनी तो दूर योजना में क्या होने वाला है यह शहर को ही पता नहीं है। नतीजतन अधिकारी जो तय करते है वही हो रहा है,फिर चाहे वह गलत या विसंगतिपूर्ण हो। ऐसी ही एक लापरवाही महाकाल कॉरिडोर के श्री महाकाल लोक-1 में सामने आई है। यहां नवग्रहों का क्रम और दशा ही बदल दी गई है।

महाकाल मंदिर के पीछे रुद्रसागर के किनारे स्मार्ट सिटी ने नया कॉरिडोर विकसित किया है। 900 मीटर लंबे इस कॉरिडोर में 190 मूर्तियां, म्यूरल्स में शिव, शक्ति और श्रीकृष्ण से संबंधित मूर्तियों के माध्यम से धार्मिक कथानकों की जानकारी श्रद्धालुओं को मिलेगी। इनके अलावा सप्त ऋषि,नवग्रह, शिव आनंद तांडव सहित अनेक कथानकों को इनमें प्रदर्शित किया गया है। शिव स्तंभ और म्यूरल्स पर उनसे संबंधित संस्कृत श्लोक भी उकेरे गए हैं।

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महाकाल लोक-१ के नवग्रह में ग्रहों की स्थापना के क्रम में गलतियां है। इसमें सूर्य केंद्र में और इसके चारों तरफ परिक्रमा क्रम में गुरु, बुध, चंद्र, शुक्र, मंगल, राहू, शनि और केतु के नाम शिलालेख पर ग्रहों की जानकारी है। सबसे बड़ी बात यह है कि महाकाल लोक में आने वाले अनेक श्रद्धालु यह स्थापित 17 म्यूरल्स और मूर्तियों का अंजाने में पूजन भी कर रहे है। बहरहाल महाकाल लोक-1 के नवग्रह में ग्रहों शिलालेख की स्थापना में बड़ी विसंगति नजर आ रही है।

इस संबंध में स्मार्ट सिटी के सीईओ आशीष पाठक से कई बार मोबाइल पर संपर्क किया गया लेकिन चर्चा नहीं हो सकी। वहीं जानकारों ने भी विसंगति की पुष्टि की लेकिन नाम सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।

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कल्चरल कमेटी ने नहीं दिया ध्यान

महाकालेश्वर मंदिर के नए कॉरिडोर में लगाई गई मूर्तियों, म्यूरल्स और श्लोक आदि में किसी तरह की विसंगति या गलती नहीं हो,इस का परीक्षण और अध्ययन के प्रामाणिकता के लिए कल्चरल कमेटी बनाई गई थी। मूर्तियों, म्यूरल्स व श्लोकों का धार्मिक महत्व होने से कल्चरल कमेटी के विशेषज्ञों से उनका परीक्षण कराया था ताकि समय रहते उनमें सुधार किया जा सके। इधर इस काम से जुड़े लोग बताते हैं कि निर्माण के दौरान कई बार फेरबदल हुआ है।

इससे कुछ त्रुटियां सामने आई थी उन्हें कमेटी की देखरेख में सुधारा गया ,लेकिन नवग्रह की स्थिति पर किसी ने गौर ही नहीं किया। इस कमेटी ने लोकार्पण के से पहले कल्चरल कमेटी ने 17 आपत्तियां ली थी। कमेटी ने कॉरिडोर का दौरा कर 17 बिंदु पर संशोधन सुझाए दिए थे। इनमें 7 म्यूरल्स व 4 श्लोक बदले जाएंगे तथा 6 मूर्तियों में सुधार का निर्णय कर बदलाव भी किया था।

ग्रहों को रखने और स्थापित करने की दो स्थिति…

जानकारों के अनुसार हिन्दू रिवाज के अनुसार, नवग्रह को आम तौर पर एक एकल वर्ग में रखा जाता है जिसमें सूर्य केंद्र में और अन्य देवता सूर्य के आसपास होते हैं। इनमें से किसी भी देवता का मुख एक दूसरे की तरफ नहीं होता। ग्रहों को रखने और स्थापित करने में ग्रहों की 2 प्रकार की अवस्थिति होती है, एक अगम प्रदीष्ठ और दूसरी वैदिक प्रदिष्ठ।

अगम प्रदिष्ठ में: सूर्य केंद्र में इसके बाद चंद्र, बुध, बृहस्पति, शुक्र, मंगल, शनि,राहू,और केतु स्थित होते हैं।

वैदिक प्रदिष्ट में: सूर्य केंद्र में ही होता है, इसके बाद शुक्र, मंगल, शनि, बृहस्पति, चंद्र, राहू, केतु और बुध स्थित होता है।

त्रिवेणी शनि मंदिर में यह है ग्रहों की स्थिति

इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी शनि मंदिर में सूर्य केंद्र में है, इसके बाद शुक्र,चंद्र, मंगल, राहू, शनि,केतु, बृहस्पति और बुध स्थित है। महाकाल लोक-1 के नवग्रह में ग्रहों की स्थिति उक्त तीनों स्थिति से भिन्न है। जो ग्रहों के ग्रहों के गलत क्रम-दशा को बयां कर रही है।

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