उज्जैन : 12 वीं परीक्षा रद्द होने से थोड़ी खुशी थोड़ा गम

अक्षरविश्व द्वारा आयोजित पैनल डिस्कशन में खुल कर हुआ मंथन
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अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। सीबीएसई के साथ एमपी बोर्ड ने 12 वीं की परीक्षा रद्द कर दी है । शिक्षक और सबसे ज्यादा विद्यार्थियों के मन में अनेक सवाल उठ रहे हैं, की अब मार्किंग कैसे होगी, अच्छे पढऩे वाले बच्चों का क्या होगा। कोरोना संक्रमण के बावजूद घरों में पढ़ाई में जुटे विद्यार्थियों के साथ इस बार पालक भी अच्छे परिणाम की अपेक्षा कर रहे थे।
सभी स्ट्रीम के स्टूडेंट्स ऑनलाइन के अलावा ऑफलाइन परीक्षा भी देने की तैयारी का मन बना चुके थे । सभी को उम्मीद थी कि इस बार रिजल्ट बहुत अच्छा आएगा। बार-बार रिवीजन ने उन्हें और आत्वविश्वास से भर दिया था । इसी बीच परीक्षाएं रद्द हो गईं। अक्षर विश्व ने शहर के सीबीएसई व एम.पी. बोर्ड के अध्यापक व ऐसे विद्यार्थियों से अक्षर विश्व के स्टूडियो में पैनल डिस्कशन किया जिसमें परीक्षा रद्द होने पर चर्चा की गई। सभी विद्यार्थी सरकार के निर्णय से खुश नहीं हैं । उन्हें शिक्षा विभाग से कुछ ऐसी उम्मीद थी जो उनकी प्रतिभा का सही आंकलन कर सकती । परीक्षा रद्द करने से कोरोना की चेन ब्रेक तो अवश्य होगी परन्तु पढ़ाई को लगा ब्रेक कब खुलेगा, इस पर अभी तक कोई नीति सामने नहीं आई । सरकार को उन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए कोई योजना बनानी होगी जिससे उनके साथ न्याय पूरा हो सके ।
12वीं परीक्षा रद्द होने के मुद्दे पर अक्षरविश्व स्टूडियो में
शहर के विद्यार्थियों व शिक्षकों द्वारा पैनल डिस्कशन।
परीक्षा का कोई तरीका अवश्य निकालना था
होनहार विद्यार्थियों को नुकसान होगा मेधावी विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन हो पाएगा इसे लेकर संदेह है। कोई परीक्षा अवश्य लेनी चाहिए थी । इससे विद्यार्थियों को अच्छा महसूस होता। समाज 2020-2021 के विद्यार्थियों को निश्चित ही अलग ढंग से देखेगा। हमारी मेहनत का मूल्यांकन का कोई तरीका अवश्य निकालना था।
– श्रुति
कोविड आपदा को देखते हुए का निर्णय ठीक कहा जा सकता है, ज्ञानार्जन एक नियमित प्रक्रिया है, एक परीक्षा न देने से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। किन्तु सरकार को कोई तरीका निकाल कर विद्यार्थियों का मूल्यांकन करना चाहिए था। हम आगे मेहनत करके अपने आप को
सिद्ध करेंगे।
कोविड आपदा को देखते हुए शासन का निर्णय ठीक है। समाज से प्रतिक्रियाएं तो हर स्थिति में आती ही हैं । हमें और मेहनत करके अपने आप को आगे बढ़ाना होगा । परीक्षाएं स्थगित करने के अतिरिक्त कोई और रास्ता नहीं था।
क्या कहते हैं वरिष्ठ अध्यापक
वरिष्ठ अध्यापक परमार सर का मानना है की कोरोना की चेन को तोडऩे के लिए परीक्षा रद्द करने का निर्णय लेना बेहद जरुरी था । बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है । हां परीक्षा रद्द होने से मेरीटोरियस बच्चों के साथ न्याय नहीं हो पाएगा । परीक्षा में शामिल होकर वे अपनी योग्यता सिद्ध करते हैं और उच्च स्कोर प्राप्त करते हैं ।
सरकार का नियम उचित है
कामर्स की वरिष्ठ सीबीएसई अध्यापक कीर्ति मेडम सरकार के निर्णय को इस उचित मानती हैं । जिस तरह कोरोना की घातकता सामने आई उसे देखते हुए बच्चों को सुरक्षा देना सरकार की सबसे पहली जिम्मेदारी है । निश्चित ही इससे सभी विद्यार्थी एक श्रेणी में दिखेंगे । समाज भी ऐसी स्थिति में निकले बच्चों के साथ न्याय करेगा ।