कब है हरतालिका तीज, महत्व, तिथि, पूजन विधि

By AV NEWS

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. हरतालिका तीज के दिन महिलाएं पूजा के पहले सोलह श्रृंगार करती हैं और लाल रंग के वस्त्र पहती हैं. माना जाता है कि कुंवारी कन्याएं मन में सुयोग्य वर पाने की कामना करते हुए इस दिन शिवजी को पूजती हैं. आइए जानते हैं हरतालिका तीज का महत्व, तिथि, पूजन विधि

हरतालिका तीज 2023 शुभ योग

इस साल हरतालिका तीज का व्रत रवि योग, इंद्र योग के संयोग में रखा जाएगा. खास बात ये है कि हरतालिका तीज के दिन सोमवार पड़ रहा है. ये व्रत और सोमवार का दिन दोनों ही शिव जी को समर्पित है. ऐसे में हरतालिका तीज की पूजा से महादेव बहुत प्रसन्न होंगे.

इंद्र योग – 18 सितंबर 2023, सुबह 04.28 – 19 सितंबर 2023, सुबह 04.24
रवि योग – 18 सितंबर 2023, 12.08 – 19 सितंबर 2023, सुबह 06.08
सोमवार का दिन

कैसे पड़ा हरतालिका तीज व्रत का नाम 

पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती मन ही मन शिव जी को अपना पति मान चुकी थी लेकिन उनके पिता जी ने उनका विवाह विष्णु जी से तय कर दिया था. ऐसे में पार्वती जी की सहेलियां उनका अपहरण कर जंगल में ले गईं. जहां माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया, भूखे प्यासे रहकर साधना करती रही.

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन देवी पार्वती ने मिट्‌टी के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा. शिव जी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी स्वीकार कर लिया. माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर जंगल में लाईं थी इसलिए इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है.

पूजन सामग्री

हरतालिका तीज पूजा के लिए सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति की जरूरत होती है। इसके अलावा पीला वस्त्र, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही शहद और 16 श्रृंगार का सामान सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम आदि।

हरतालिका तीज पूजा विधि

इस विशेष दिन पर सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और नए या साफ वस्त्र धारण करें। इस बाद शुभ मुहूर्त में दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें। हरतालिका तीज व्रत के दिन माता पार्वती, भगवान शिव और गणपति जी की विशेष उपासना की जाती है।

पूजा से पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमा स्थापित करें। फिर विधि-विधान से पूजा कर, व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती जरूर करें। बता दें कि माता पार्वती की उपासना के समय ‘ॐ उमायै नमः’ मंत्र का जाप करें और भगवान शिव की उपासना के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का निरंतर जाप करते रहें।

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