कर्मठता के मार्तण्ड व सेवाव्रत से सुधाकर : दादा माहुरकर

श्री जयवंतराव गुलाबराव माहुरकर का नाम आज देश के ट्रेड यूनियन संगठनों के शीर्षस्थ नेताओं में गिना जाता है। श्री जयवंत भाई माहुरकर करीब 10 लाख रेल कर्मियों की आशा के केन्द्र थे। कर्मठता के मार्तण्ड तथा सेवाव्रत के सुधाकर श्री माहुरकर अपनी संकल्पशक्ति, दूरदृष्टि, प्रतिबद्धता, प्रत्युत्पन्नमति, निर्णय क्षमता, कर्म कौशल तथा छात्र जीवन से आज पर्यन्त सकारात्मक सोच के सद्गुणों तथा बेदाग कार्यशैली व बेबाक जीवन पद्धति के कारण आदर्श व्यक्तित्व के रूप में लोकमान्य हैं।
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माधव कॉलिज उज्जैन में सन् 1953 में भर्ती होकर श्री माहुरकर ने छात्र राजनीति में सदैव अपना दबदबा बनाए रखा, वहीं एक सुसंस्कृत अनुशासनप्रिय छात्र नेता के रूप में वे अपने गुरुजनों, सहपाठियों, साथियों में निरंतर लोकप्रिय बने रहे। अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. अधूरा छोड़कर उन्होंने एम.ए. समाजशास्त्र में किया किन्तु शैक्षिक जगत से परिस्थितिवश मुंह मोड़कर वे रेलवे में गार्ड बन गए। यह था उनके लिए ब्लेसिंग इन डिजग़ाइस’। बाद में वे ट्रेड यूनियन से जुड़े तथा आज वे लाखों रेलकर्मियों की आशाओं के केन्द्र थे। दि. 16 मार्च 2005 को श्री माहुरकर के जन्मदिन पर उन्हें रेलवे राज्यमंत्री श्री नरेनभाई रथवा की उपस्थिति में वडोदरा में रेलकर्मियों ने रक्तदान कर तुला में तौला।
दि. 1 मई 2010 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री अशोक चव्हाण ने इन्हें 15 हजार रेलकर्मियों की उपस्थिति में ‘द्रोणाचार्य अवार्ड’ से सम्मानित किया तथा यह कहा कि यह सम्मान श्री माहुरकर को ट्रेड यूनियन नेता के लंबे सफर में रेले नहीं रोकने के लिए दिया जा रहा है। इस पुस्तक का विमोचन दि. 17 अप्रैल 2015 को केन्द्रीय रेलवे मंत्री माननीय श्री सुरेश प्रभु द्वारा अपराह्न में किया गया। श्री प्रभु ने अपने भाषण में श्री माहुरकर के यशस्वी कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें समस्त रेलकर्मियों का ‘रोल मॉडल निरुपित किया। वे रेल जगत् में दादा के नाम से मशहूर हैं।
इन्हें सन् 2000 में अमेरिकन बायोग्रेफिकल इंस्टीट्यूट नार्थ केरोलिना अमेरिका द्वारा ‘मेन ऑव द ईयर’अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी आत्मकथा ‘द गार्डियन : जे.जी. माहुरकर की संक्षिप्त जीवनी है। श्री जे.जी. माहुरकर के ज्येष्ठ सुपुत्र श्री उदय माहुरकर लोकप्रिय पत्रिका इंडिया टुडे में उप संपादक है तथा उनके द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की जीवनी पर लिखी पुस्तक बहुचर्चित, बहुपठित एवं बहुप्रशंसित है।बड़ौदा के शाही गायकवाड़ परिवार, अभिनेता दिलीप कुमार, राजकुमार, राज बब्बर, अमिताभ बच्चन, माधवराव सिंधिया, पी.सी. सेठी, जस्टिस ए.जी. कुरैशी, डॉ. राजेन्द्र जैन, भगवती शर्मा आदि से उनकी घनिष्ठता रही। वे अपने पीछे पत्नी कामिनी, 3 पुत्र उदय, इन्द्रजीत व शतवीर सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
– रमेश दीक्षित वरिष्ठ लेखक व श्री माहुरकर के सहपाठी