खबर का असर : सुबह 9 बजे के पहले ही जिला चिकित्सालय पहुंचे डॉक्टर्स…

खबर का असर : सुबह 9 बजे के पहले ही जिला चिकित्सालय पहुंचे डॉक्टर्स…

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नर्सिंग स्टॉफ के साथ हर वार्ड के प्रत्येक पलंग पर जा कर मरीज के हाल जान रहे थे

उज्जैन।गुरुवार की सुबह जिला चिकित्सालय का माहौल कुछ बदला-बदला था। आमतौर पर ड्यूटी में लेतलाली करने वाले अधिकांश डाक्टर्स सुबह 9 अस्पताल परिसर,वार्ड के राउंड पर नजर आ रहे थे। नर्सिंग स्टॉफ के साथ हर वार्ड के प्रत्येक पंलग पर जा कर मरीज हालचाल जान रहे थे।

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दरअसल संभाग के सबसे बड़े जिला चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं के कारण भर्ती मरीजों के कष्ट कम होने की बजाए बड़ रहे थे। डॉक्टर्स समय से ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे।

इसे देखते हुए ‘अक्षर विश्व’ ने ‘सामाजिक सरोकार’ के दायित्व का निर्वाहन करते हुए ‘आमजन’ की आवाज को जिम्मेदारों तक पहुंचाने के उद्देश्य से 13 दिसंबर और 14 दिसंबर के अंक में दो खबरें जिम्मेदारी के साथ प्रकाशित की। इसका असर हुआ कि जिला चिकित्सालय का अमला गुरुवार को हरकत में आया और 80 प्रतिशत डाक्टर्स समय से ड्यूटी पर आ गए।

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80 प्रतिशत डॉक्टर ड्यूटी पर समय से पहुंचे

जिला अस्पताल में प्रभारी सिविल सर्जन हो या डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते। जिस कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्थिति यह है कि दिन में एक बार यदि किसी मरीज को चेक कर लिया तो उसका नंबर 24 घंटे बाद आता है। मरीजों की आवाज बनकर अक्षर विश्व द्वारा समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

इन वार्डों के मरीजों को देखने कोई नहीं आया

जिला अस्पताल के डी वार्ड महिला मेडिसीन, सी वार्ड पुरुष मेडिसीन, एफ वार्ड इन तीनों वार्डों में डॉ. अनूप निगम की ड्यूटी की सूचना बोर्ड पर लिखी थी लेकिन डॉ. निगम सुबह 10.30 बजे तक किसी भी वार्ड में नहीं पहुंचे थे। ओपीडी, स्पेशल ओपीडी दोनों जगह तलाश किया तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि डॉ. निगम अवकाश पर हैं। उनकी जगह डॉ. राजावत देखेंगे लेकिन वे डायलिसीस का कार्य करवा रहे थे। स्पेशल ओपीडी में 15 मरीज उपचार के लिये डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे।

डॉक्टर दौड़ते-भागते आए- कोई वीआईपी नहीं, कोई विशेष ड्यूटी नहीं फिर भी डॉक्टर दौड़ते भागते आरएमओ कार्यालय में रखे उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने की होड़ लगा रहे थे। डॉक्टरों की लेटलतीफी के कारण मरीजों की जान सांसत में पडऩे की खबर के बाद अफसरों ने डॉक्टरों को हिदायत दी जिसका परिणाम है कि गुरुवार सुबह 9 बजे तक अधिकांश डॉक्टर अस्पताल पहुंच चुके हैं और अपने-अपने वार्डों की ओर रुख कर रहे हैं।

आरएमओ डॉ. शर्मा ने बताई आज ड्यूटी डॉक्टर्स की स्थिति

आरएमओ डॉ. भोजराज शर्मा ने बताया कि 80 प्रतिशत डॉक्टर निर्धारित समय पर ड्यूटी पर उपस्थित होकर वार्ड और ओपीडी में पहुंच चुके हैं, डॉ. निगम से समय को लेकर चर्चा की गई उनका कहना है कि मैं 24 घंटे ड्यूटी पर रहता हूं, रात में कॉल ड्यूटी पर भी आया था। डॉ. राजावत की माताजी की तबियत अचानक खराब होने के कारण वह छुट्टी पर हैं। दो बांडेड डॉक्टर कोर्स करने के लिये मुंबई गये हैं उन्हें कल ही रिलीव किया है इस कारण वार्डों में मेडिसीन के डॉक्टर समय पर उपस्थित नहीं हो पाये।

सीएमएचओ डॉ. शर्मा तो फोन भी रिसीव नहीं करते…

जिला अस्पताल में मरीजों की सुनवाई नहीं हो रही थी। जिम्मेदार अफसर प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. पी.एन. वर्मा स्वयं 10.30 बजे के बाद अस्पताल आते हैं। गंभीर मरीजों को जबरन प्रायवेट अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराना पड़ रहा है। स्टॉफ का ड्यूटी पर पहुंचने का कोई समय निश्चित नहीं था। इन समस्याओं को लेकर सीएमएचओ डॉ. संजय शर्मा से पिछले तीन दिनों में कई मर्तबा अलग-अलग फोन नंबरों से सीएमएचओ के दूरभाष क्रमांक 9452032502 पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने न तो कॉल रिसीव किया और न ही कॉल बैक किया।

अक्षर विश्व बनेगा आपकी आवाज

जिला चिकित्सालय, चरक भवन और माधवनगर अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर कोई शिकायत है तो अक्षर विश्व पीडि़त व्यक्ति की आवाज जिम्मेदारों तक पहुंचाएगा। अपनी समस्या 91742-91743 पर व्हाट्सएप करें।

सेवानिवृत्ति की कगार पर खड़े डॉक्टर ने व्यवस्थाओं पर उठाए सवाल…

डॉ. निगम बोले… सरकार ही रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं कर रही, मैं तो 24 घंटे ड्यूटी कर रहा…

उज्जैन। तीन दिनों से जिला अस्पताल के निर्धारित ड्यूटी टाईम सुबह 9.00 बजे तक अस्पताल में नहीं आने वाले डॉ. ए. निगम से समय पर अस्पताल नहीं आने के संबंध में चर्चा की गई तो उनका कहना था कि अस्पताल में मैं अकेला क्लास वन मेडीसीन डॉक्टर हूं।

पद रिक्त हैं लेकिन सरकार द्वारा नई नियुक्तियां नहीं की जा रहीं हैं। मैं स्वयं 24 घंटे ड्यूटी पर रहता हूं, कल भी रात में कॉल ड्यूटी की थी। मेरे पास चार वार्डों, मेडिसीन के अलावा जेल वार्ड का भी काम है जहां मरीजों को देखना पड़ता है। दो डॉक्टर कोर्स करने चले गये, डॉ. राजावत छुट्टी पर हैं।

इस कारण लंबी ड्यूटी करना पड़ रही है। वैसे भी मेरे रिटायरमेंट के 3-4 माह बचे हैं, मैं चाहूं तो छुट्टियां ले सकता हूं फिर भी मरीजों की सेवा कर रहा हूं। जब उनसे पूछा गया कि कितने दिनों तक 24 घंटे ड्यूटी कर लेंगे, समस्या का समाधान तो होता दिख नहीं रहा तो भी उनका कहना था कि मैं तो लंबे समय से 24 घंटे की ड्यूटी कर रहा हूं।

सरकार को चाहिये कि रिक्त पदों पर नई भर्तीयां करे। यह स्थिति अकेले सिविल अस्पताल की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। आप 24 घंटे में एक बार वार्ड में राउण्ड करते हैं सुबह भी समय पर नहीं आते तो डॉ. निगम ने बताया कि मैं कोई प्रायवेट अस्पताल में मरीज देखने नहीं जाता। वार्डों में मरीजों को जरूर देखता हूं।

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