गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी में MBBS की पुस्तकों का किया विमोचन

By AV NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से देश में पहली बार एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराए जाने का शुभारंभ हो गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजधानी के लाल परेड ग्राउंड पर आयोजित कार्यक्रम में रिमोट का बटन दबाकर एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीन पुस्तकों का विमोचन किया। कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान, चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री विश्‍वास सारंग, प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा, उच्‍च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष बीडी शर्मा समेत कई गणमान्‍य लोगों ने अपनी उपस्‍थिति दर्ज कराई।

लाल परेड मैदान में आयोजित कार्यक्रम हिदी में ज्ञान का प्रकाश” में करीब 30 हजार विद्यार्थियों के अलावा चिकित्सा और हिंदी क्षेत्र के जानकार शामिल हुए।कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण दिन है। इसे स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। यह क्षण जो है पूरे देश में शिक्षा क्षेत्र के पुनर्जागरण क्षण हैं, पुनर्निर्माण का क्षण है। मोदी जी ने क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल-इंजीनियरिंग की शिक्षा का आव्हान किया था। शिवराज जी ने सबसे पहले प्रयास किया।

देश में आठ भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। शोध-अनुसंधान भी अपनी भाषा में करने की सुविधा देंगे। इसके लिए काफी मेहनत की गई। सोचने की प्रक्रिया मातृ भाषा में ही हो सकती है। इसलिए दुनिया भर के लोगों ने मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया। मातृभाषा में पढा़ई हो तो भारत के युवा विश्व के किसी युवा से कम नहीं। मोदीजी ने विश्व के किसी भी मंच पर हिंदी में बात की।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अंग्रेजी न जानने के कारण युवा हीनभावना से ग्रसित होते हैं। ऐसे बच्चों की जिंदगी में शाह नया सबेरा लेकर आए हैं। यह काम तो आजादी के बाद ही हो जाना चाहिए था। मप्र आज आल्हादित है। उन्होंने पाप किया था, जिन पर आजादी के बाद सरकार चलाने की जिम्मेदारी थी।

उनका तन भी अंग्रेजी, मन भी अंग्रेजी था। हमने अपने महापुरुषों को भी आपमान किया। तात्याटोपे नगर टीटी नगर हो गए। आई लव यू बुदनी यह क्या है। प्रधानमंत्री ने कई बड़े काम किए पर सबसे बड़ा काम मातृभाषा के लिए किया। आज प्रधानमंत्री का संकल्प पूरा हो रहा है। हिंदी को भी हमने क्लिष्‍ट नहीं किया। इसी साल 6 इंजीनियर और 6 पालीटेक्निक में हिंदी में पढ़ाई होगी। आइआइटी और आइआइएम की पढ़ाई भी हम हिंदी में कराएंगे।

इससे पहले प्रदेश के चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि देश और मप्र के इतिहास में आज परिवर्तन हो रहा है। मध्‍य प्रदेश इस देश में पहला राज्य जो हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कराएगा। यह कठिन काम था पर हमने शोध करके तय किया हम कैसे करेंगे। मेडिकल यूजी-पीजी की किताबों का भी रूपांतरण करेंगे।

कार्यक्रम में मौजूद लखनऊ के डा. सूर्यकांत ने कहा कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की कोशिश 30 साल से उत्तर प्रदेश कर रहा है। मप्र ने बाजी मार ली। डा. सूर्यकांत ने 1991 में हिंदी में थीसिस लिखी थी।

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