चरक अस्पताल के शिशु वार्ड व एनआईसीयू में सुबह 9.40 तक किसी भी डॉक्टर का राउण्ड नहीं

आरएमओ ने कहा…डॉक्टर ओपीडी में हो सकते हैं

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

advertisement

उज्जैन। सरकारी अस्पतालों का स्टाफ किस प्रकार मनमर्जी से ड्यूटी करता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डॉक्टर्स नियमों को तांक पर रखकर समय से अस्पताल नहीं पहुंचते, तलाश करें तो पता चलता है वार्ड में होंगे, वार्ड में पूछो तो पता चलता है ओपीडी में होंगे, जबकि सच्चाई यह कि सुबह 9.40 तक अस्पताल में डॉक्टर पहुंचे ही नहीं थे।

पीआईसीयू में भर्ती हैं 12 बच्चे

advertisement

सुबह 9.40 पर चरक अस्पताल के पीआईसीयू में पूछताछ करने पर पता चला कि यहां 12 बच्चे भर्ती हैं। बोर्ड पर ऑन ड्यूटी डॉक्टर के स्थान पर डॉ. एस.के. जैन का नाम लिखा था। इस वार्ड के प्रभारी डॉ. शाक्य हैं। कर्मचारियों ने बताया कि अभी तक कोई डॉक्टर राउण्ड पर नहीं आए हैं। इधर शिशुओं की ओपीडी में सुबह 10.00 बजे डॉ. आरती अस्तावत मौजूद थीं। एक मरीज उपचार के लिये पहुंचा था। यहां कोई गंभीर मरीज की लाइन नहीं लगी थी।

सीधी बात : आरएमओ के साथ

advertisement

शिशु वार्ड और पीआईसीयू में डॉक्टर्स द्वारा राउण्ड नहीं किये जाने के संबंध में आरएमओ डॉ. निधि जैन से चर्चा की गई जो इस प्रकार है :-

शिशु वार्ड और पीआईसीयू में डॉक्टर्स राउण्ड पर नहीं पहुंचे।
पीआईसीयू में किसकी ड्यूटी है अभी पूछकर बताती हूं, 2-3 कर्मचारियों से फोन पर पूछने के बाद डॉ. आरती अस्तावत की ड्यूटी है।

अभी 9.50 हो चुके हैं, मैडम ने वार्ड में राउण्ड नहीं किया
वह ओपीडी में हो सकती हैं। वहां जाकर चैक कर लें, कोई गंभीर मरीज होता है तो कई बार डॉक्टर्स पहले ओपीडी में चले जाते हैं।

पीआईसीयू के ड्यूटी चार्ट पर डॉ. एस.के. जैन का नाम लिखा है
वह क्लास वन डॉक्टर हैं। ऑन कॉल ड्यूटी पर रहते हैं। यदि एक दिन में चार बार भी आना हो तो अस्पताल पहुंचकर ड्यूटी करते हैं।

रात में भी राउण्ड पर डॉक्टर नहीं आये…

सुबह 9.20 बजे चरक अस्पताल की दूसरी मंजिल स्थित शिशु वार्ड कमरा नंबर 102। यहां भर्ती दिव्यांशी 4 माह का निमोनिया का उपचार चल रहा है। वह पांच दिन से इस वार्ड में भर्ती है। दिव्यांशी की मां सविता ने बताया कि रात में कोई डॉक्टर राउण्ड पर नहीं आये थे।

आरोही 7 वर्ष भी इसी वार्ड में भर्ती है। तबियत बिगडऩे पर रविवार को ओपीडी में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने वार्ड में भर्ती किया था उसके बाद सोमवार सुबह तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आये। उसकी दादी ने बताया कि मेरे सामने कोई डॉक्टर नहीं आये। स्टाफ के लोग ही बाटल लगाने व दवा देने का काम कर रहे हैं। मेरी गैरमौजूदगी में कोई डॉक्टर आये हों तो पता नहीं।

यह हैं डॉक्टर्स ड्यूटी के नियम

सुबह 9 बजे से 2 बजे की शिफ्ट में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर्स को निर्धारित समय पर अस्पताल पहुंचकर पहले वार्डों में भर्ती मरीजों को देखना होता है। उसके बाद ओपीडी में बैठकर मरीजों का परीक्षण करते हैं, लेकिन स्थिति यह है कि डॉक्टर्स निर्धारित समय से 30 से 50 मिनिट लेट पहुंचने के बाद अपनी मर्जी से वार्ड अथवा ओपीडी में पहुंच जाते हैं।

Related Articles

close