चीकू स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक फलों में से एक है। यही वजह है कि मार्केट में चीकू की मांग काफी ज्यादा है। चिकित्सक भी बीमार व्यक्ति को चीकू खाने की अक्सर सलाह देते हैं कि क्योंकि यह फल शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। चीकू में विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसके अलावा भी कई अन्य पोषक तत्व, खनिज, विटामिन आदि पाए जाते हैं।
आमतौर पर बाजार में चीकू का रेट 100 रुपए से 120 रुपए प्रति किलो का रेट रहता है। छोटे और मध्यम वर्गीय किसान चीकू की खेती कर काफी ज्यादा लाभ उठा सकते हैं। छोटे किसान को इसकी खेती से सबसे ज्यादा लाभ है क्योंकि छोटे किसान कम रकबा में इसकी खेती को करेंगे, उत्पादन को सीधे उपभोक्ताओं को बिक्री कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। अनाज के उत्पादन में सामान्य तौर पर ऐसे देखने को नहीं मिलता है। पारंपरिक खेती में किसान अपनी फसल को बिचौलियों को बेच कर कम मुनाफा कमा पाते हैं, जबकि चीकू का मार्केट रेट ज्यादा होता है। इसलिए किसान सीधे उपभोक्ताओं को अपनी फसल की बिक्री कर सकते हैं।
उपयुक्त जलवायु
चीकू की खेती में ज्यादा सर्द जलवायु जैसे पाला पडऩे जैसी जलवायु उचित नहीं होती है। चीकू की खेती के लिए तापमान 10 से 38 डिग्री के बीच होना चाहिए। इस खेती के लिए तापमान न तो बहुत अधिक होना चाहिए और ना हीं बहुत कम।
चीकू की बुआई का उचित समय
वर्षा आधारित क्षेत्र में चीकू की बुआई की बात करें तो सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक इसकी बुआई की जा सकती है। वहीं सिंचित क्षेत्र में अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर के पहले सप्ताह तक बुआई पूरी कर लेनी चाहिए।
बीजोपचार
चीकू की खेती में सही बीजोपचार का होना जरूरी है। सीड प्राइमिंग के सबसे पहले बीज को 4 से 5 घंटे पानी में भिगो दें। 6 ग्राम किग्रा ट्राइकोडरमा और 1 ग्राम प्रति किलोग्राम वीटावैक्स से बीज उपचार कर सकते हैं। इसके अलावा राइजोबियम कल्चर से भी बीज उपचार किया जा सकता है। 200 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज का उपयोग कर सकते हैं।