Advertisement

धनिया कैसे उगाएं? इस तरह करें धनिये की खेती

धनिया/सिलेंट्रो एक लोकप्रिय मसाला है जिसका उपयोग भारत की हर एक सब्जी में किया जाता है। इसे इसकी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए पसंद किया जाता है। लोग अक्सर आश्चर्य करते हैं कि धनिया एक जड़ी बूटी है या झाड़ी। खैर, धनिया एक तेजी से बढ़ने वाली वार्षिक जड़ी बूटी है जो वसंत और पतझड़ के ठंडे मौसम में सबसे अच्छी तरह बढ़ती है। समय की परवाह किए बिना इसकी हमेशा मांग रहती है। यह बाजार और रिटर्न को लेकर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ताकत बन रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, धनिया और इसी तरह के अन्य मसालों की मांग 40% से अधिक बढ़ गई है, जिससे उत्पादकों को पारंपरिक फसलों की तुलना में 25% तक अधिक पैसा मिल रहा है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

धनिया की खेती की किस्में

उत्तम बीज वाली किस्में

धनिया की इस किस्म में बीजो की गुणवत्ता काफी अच्छी पाई जाती है | इसके बीजो से सुगन्धित तेल की मात्रा भी अधिक पाई जाती है | इस तरह की धनिया के लिए आर सी आर 435, आरसीआर 684, और सिम्पो एस 33 किस्में तैयार की गई है |

Advertisement

पत्तीदार धनिया की किस्में

धनिया की इस किस्म को पत्तियों को उगाने के लिए तैयार किया गया है | इसमें पौधों में निकलने वाली पत्तियों का आकार काफी बड़ा पाया जाता है | इसमें ए सी आर 1, गुजरात धनिया- 2 और आर सी आर 728 आदि किस्में शामिल है |

Advertisement

पत्ती और बीज दोनों की मिश्रित किस्में

धनिया की इस किस्म से बीज और पत्तियां दोनों ही अच्छी गुणवत्ता वाली प्राप्त हो जाती है | यह किस्म अधिक समय में तैयार होती है | इसके पत्तियों की कटाई आरम्भ में की जाती है, जिसके बाद उन पौधों पर बीज आने आरम्भ होते है | इसमें आर सी आर 446, पंत हरीतिमा, पूसा चयन- 360 और जे डी-1 आदि किस्में शामिल होती है |

जे डी-1

धनिया की इस किस्म को तैयार होने में 120 से 130 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधों में निकलने वाले दाने आकार में माध्यम और गोल होते है | यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों ही जगहों पर उगाई जाती है | इसके पौधे उकठा रोग रहित होते है, जिससे प्रति हेक्टेयर 14 से 16 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है |

आर सी आर 480

इस किस्म के पौधों को पककर तैयार होने में 120 से 130 दिन का समय लग जाता है | धनिया की इस किस्म को केवल सिंचित जगहों पर उगाया जाता है, जिसमे निकलने वाले पौधों और दानो का आकार सामान्य होता है | इसके पौधों में उकठा, भभूतिया निरोधक और स्टेम गाल रोग नहीं देखने को मिलता है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 12 से 14 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

गुजरात धनिया 2

धनिया की इस किस्म को तैयार होने में 110 से 115 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधों में निकलने वाली पत्तियां आकार में सामान्य और पौधा शाखाओ युक्त होता है | इसमें निकलने वाली पत्तियां हरे रंग की पाई जाती है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 16 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

मिट्टी और जलवायु आवश्यकताएँ

धनिया पत्तों के प्रयोजन के लिए पूरे वर्ष (बहुत गर्म मौसम यानी मार्च-मई को छोड़कर) उगाई जा सकती है। पाले से मुक्त शुष्क और ठंडा मौसम, विशेषकर फूल आने और फल लगने के दौरान, अच्छे उत्पादन के लिए अनुकूल होता है।
याद रखें: फूल आने और फल लगने की अवस्था के दौरान बादल छाए रहने का मौसम कीटों और बीमारियों के प्रकोप को बढ़ावा देता है।
भारी बारिश से फसल पर असर पड़ता है। हालाँकि, एक सिंचित फसल के रूप में, इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी पर की जा सकती है, बशर्ते पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ डाला जाए। धनिया के पौधे की उचित देखभाल के लिए, वर्षा आधारित परिस्थितियों में उच्च नमी धारण क्षमता वाली काली कपास मिट्टी की सिफारिश की जाती है।

बीजो की रोपाई

धनिया के बीजो की रोपाई बीज के रूप में की जाती है| अधिक नमी वाली भूमि में एक हेक्टेयर के खेत में धनिया के 15 से 20 KG बीजो की आवश्यकता होती है, तथा कम नमी वाले क्षेत्रों में 25 से 30 KG बीजो की आवश्यकता होती है| बीजो की रोपाई से पहले उन्हें कार्बेन्डाजिम और थाइरम की उचित मात्रा को मिलाकर बीज को उपचारित कर लें| इसके अतिरिक्त स्ट्रेप्टोमाइसिन 500 पीपीएम की उचित मात्रा से उपचारित कर बीज जनित रोगो से बीजो को बचाया जाता है|

धनिया के बीजो की रोपाई खेत में तैयार कतारों में की जाती है, इन कतारों को हल के माध्यम से तैयार कर लिया जाता है | तैयार की गई पंक्तियों के मध्य 30 CM की दूरी रखी जाती है, तथा बीजो के मध्य 10 CM की दूरी अवश्य रखे | बीजो की रोपाई भूमि में 4 CM की गहराई में की जाती है | बीजो की रोपाई अक्टूबर से दिसंबर के महीने तक कर देना होता है |

धनिया की खेती के लिए सिंचाई मार्गदर्शन

सबसे पहले बुआई के तुरंत बाद पानी देना चाहिए. सिंचाई की आवश्यकताएँ जलवायु, मिट्टी की नमी के स्तर और धनिये के पौधे के विकास के चरणों पर निर्भर करती हैं। सिंचाई का मानक कार्यक्रम बुआई के 30-35, 60-70, 80-90, 100-105 और 110-150 दिन बाद 5-6 सिंचाई है।

खरपतवार नियंत्रण

यह ब्लॉग चर्चा करता है कि घर और खेतों में धनिया कैसे उगाएं। अतः धनिया की खेती के दौरान पहली निराई-गुड़ाई बुआई के 30 दिन बाद की जाती है। सिंचित धनिये में दूसरी निराई-गुड़ाई खरपतवार की वृद्धि के आधार पर बुआई के 50 से 60 दिन के बीच की जा सकती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए शाकनाशी का भी उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, प्री-प्लांट फ्लुक्लोरेलिन @ 0.75 किग्रा/हेक्टेयर, प्री-इमर्जेंट ऑक्सीफ्लोरफेन @ 0.15 किग्रा/हेक्टेयर, या पेंडीमेथालिन @ 1.0 किग्रा/हेक्टेयर प्रभावी शाकनाशी हैं।

रोग एवं उनकी रोकथाम

चेपा रोग

इस किस्म का रोग पौधों पर कीट के रूप में दिखाई देता है | चेपा रोग पौधों पर फूल आने के दौरान आक्रमण करता है | इस किस्म का रोग अक्सर हल्की गर्मी में देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित पौधों पर हरे और पीले रंग के छोटे कीट दिखाई देने लगते है |

भभूतिया

धनिया के पौधों पर लगने वाला यह रोग कवक के रूप में आक्रमण करता है| इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां आरम्भ में सफ़ेद रंग की दिखाई देती है, किन्तु रोग से अधिक प्रभावित होने पर यही पत्तियां पीली पड़कर गिर जाती है | इस रोग से बचाव के लिए धनिये के पौधों पर एजाक्सिस्ट्रोबिन 23 एस सी या ट्रायकोडरमा विरडी की उचित का छिड़काव किया जाता है |

स्टेमगॉल

इस किस्म का रोग धनिया के पौधों पर अक्सर फफूंद की वजह से देखने को मिलता है | यह रोग लोंगिया नाम से पुकारा जाता है | यह रोग पौधों को अधिक प्रभावित करते है, इस रोग से प्रभावित पौधों पर गांठे बन जाती है, और तने पर भी सूजन दिखाई देने लगती है |

कटाई, पैदावार और लाभ

धनिया की फसल किस्मो के आधार पर बीज रोपाई के 110 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है | इसके पौधों की कटाई दो तरीके से की जाती है, जिसके लिए अलग-अलग समय निर्धारित है | यदि आप इसके पौधों की कटाई पत्तियों के लिए करना चाहते है, तो उसके लिए आपको पत्तियों के बड़ा होते ही काट लेना चाहिए | इसके आलावा यदि आप बीज के रूप में फसल प्राप्त करना चाहते है, तो उसके लिए थोड़ा इंतजार करना होता है, जब इसके पौधों में लगी पत्तियां पीली पड़कर गिर जाती है, और बीज पकना आरंभ कर देते है | उस दौरान इसकी कटाई कर ली जाती है| कटाई के बाद इन्हे धूप में अच्छे से सुखा लिया जाता है | पूरी तरह से सूखे बीजो से डंठलों को हटाकर बीज अलग कर लिए जाते है | धनिया का बाज़ारी भाव 60 रूपए प्रति किलो होता है | एक हेक्टेयर के खेत में 15 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है, जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से 50 हजार तक की कमाई आसानी से कर सकते है |

Related Articles