Advertisement

नदी में गहरा पानी-तेज बहाव और भक्तों की बाढ़, हर दिन डूब रहे लोग, शिप्रा नदी पर डेंजरस सिच्यूएशन…

एसडीईआरएफ के 16 और 15 होमगार्ड जवान फिर भी हो रही मौतें, क्योंकि ओटले पर दो फिट और अगले कदम पर 10 फीट गहराई

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शिप्रा नदी में इन दिनों हर रोज लोगों के नदी में डूबने की घटनाएं हो रही हैं। पिछले पांच दिनो में दो युवकों की डूबने से मौत हुई है।जबकि चार को बचाया भी गया। यदि तैराक दल और एसडीईआरएफ के जवान इन्हें नहीं बचा पाते तो मौत का आंकड़ा और ज्यादा बढ़ जाता। आखिर क्यों और कैसे शिप्रा में लोग स्नान के दौरान डूब रहे हैं? अक्षर विश्व की टीम ने इसकी पड़ताल की तो कुछ खामियां नजर आई और एक कारण यह भी सामने आया कि नदी घाट पर बने ओटलों के फेर में लोग डूब रहे हैं। शिप्रा नदी के रामघाट पर इन दिनों डेंजरस सिच्यूएशन बनी हुई है यहां नए व्यक्ति को स्नान के लिए नदी में उतरना खतरे से खाली नहीं है।

शिप्रा के रामघाट पर पिछले एक महीने से सिद्ध आश्रम और छतरी के सामने वाले रविदास घाट पर घटनाएं ज्यादा हुई है। यहां चार चढ़ाव और दो चौखट के बाद 8 फीट गहरा पानी है। चढ़ाव पर काई जमी हुई है। इसके अलावा नदी में जो एंगल खडे किए हुए है वे बचाव के लिए हैं लेकिन इन दिनों लोगों के नदी में डूबने का कारण बन रहे हैं। ये हल्का वजन पडऩे पर झूलने और डोलते लगते हैं जबकि लोग इन्हें पकड़कर नहाने की कोशिश करते हैं ।

Advertisement

जैसे वे इन्हें पकड़ते हैं ये झूल जाते हैं और लोग गहरे पानी में पहुंच जाते हैं। यह भी लापरवाही सामने आई है कि नदी में जो रस्सा बंधा हुआ वो इन दिनों नहीं है। पिछले दिनों शिप्रा मे आई बाढ़ सू पहले कुछ घाटों से इसे निकाल लिया और कुछ घाटों से यह रस्सा पानी के तेज बहाव में बह गया। इन दिनों नदी मे सुरक्षा की दृष्टि से कोई ठोस व्यवस्थाएं नहीं की गई है।

ओटले पर दो फीट, एक कदम पर 8 फीट गहराई

Advertisement

शिप्रा नदी के रामघाट पर ओटले बने हुए हैं इन ओटलों पर छोटी पत्थर की मूर्तियां भी बनी हुई है। नदी तल से ये करीब 12 फीट ऊंचे हैं और पानी बढऩे पर ये डूब जाते है जैसे ही पानी कम होता है तो ये दिखने लगते हैं। इन ओटलों पर अक्सर दो-ढाई फीट पानी होता है और ओटले से एक कदम आगे बढ़ाने पर पानी की गहराई सीधे 8 फीट है। नदी पर इस ओटलों और गहराई में एक कदम के अंतर में लोग डूब जाते हैं क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता कि ओटले के एक कदम पर इतनी ज्यादा गहराई होगी।

रैलिंग हो तो रूक सकती है घटनाएं, फव्वारों से स्नान भी है विकल्प

शिप्रा नदी में ओंकारेश्वर की नर्मदा नदी की तरह रैलिंग लगाई जा सकती है। लोग किसी भी हालत में इस रैलिंग को पार कर गहराई में नहीं जा सकते । इसके अलावा गंगा नदी की तरह जंजीर बांधकर भी लोगों को स्नान की सुविधा दी जा सकती है लेकिन हमारा सुस्त प्रशासन ऐसे गंभीर विषयों पर तुरंत निर्णय नहीं ले रहा इसाी अनिर्णय की स्थिति में लोगों की जान पर बन रही है।

इसके अलावा जानकारों का यह भी कहना है कि शिप्रा नदी में स्नान के लिए एक घाट ही तय कर दिया जाए बाकि घाटों को स्नान के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। जानकारों का यह भी कहना है कि बारिश के दौरान शिप्रा नदी में स्नान के लिए बाहर से आने वाले दर्शनार्थी और जिन्हें तैरना नहीं आता उनके लिए फव्वारों से स्नान बेहतर विकल्प हो सकता है।

5 दिन में गई दो युवाओं की जान, चार को बचाया

पिछले 5 दिनों में दो युवाओं की शिप्रा नदी के रामघाट पर नहाने के दौरान मौत हो गई। दोनों ही भोपाल के रहने वाले थे और दोस्तों के साथ महाकाल दर्शन के लिए आए थे। 7 जुलाई को रोहन नामक युवक की मौत हुई थी उसे उसके दोस्त नीरज ने बचाने की भी कोशिश की लेकिन वो खुद डूबने लगा। इसी दौरान एसडीआरएफ के जवान ने नीरज को बचा लिया जबकि रोहन डूब गया और जब उसे बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया तो उसकी मौत हो चुकी थी।

12 अगस्त शनिवार को भी इसी तरह की घटना हुई। भोपाल से तीन दोस्त उज्जैन घूमने और दर्शन के लिए आए थे। तीनों एक साथ नदी में उतरे और जब बाहर आने लगे तो पता चला कि तीसरा दोस्त नहीं है। दोस्त नदी में कब डूब गया उन्हें पता भी नहंी चला। जब वे नहाकर ऊपर आ गए तो ध्यान आया कि उनका एक साथी संदीप नहीं है उसे आसपास देखने के बाद पता चला कि नदी में डूबा है। वे चिल्लाने लगे और पुलिस को सूचित किया। तब एसडीईआरएफ के जवानों ने उसे नदी से बाहर निकाला। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। हालांकि इसी दौरान चार लोगों को बचाया भी गया है।

शिप्रा नदी में हो रही घटनाओं को रोकने के लिए 31 जवान शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे हैं। दुर्भाग्य से लोगों की मौत भी हो रही है लेकिन बचाया भी जा रहा है। । यहां घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि ओंकारेश्वर की तरह रैलिंग या जंजीर बांधी जाए, क्योंकि इन दिनों शिप्रा नदी पर डेंजरस सिच्यूएशन बनी हुई है।
संतोष जाट, होमगार्ड कमांडेंट एवं एसडीईआरएफ प्रभारी

Related Articles