न झूले पूरी तरह लगे और ना ही लगी पूरी दुकानें, आयोजन बना महज औपचारिकता

कार्तिक मेला… कार्यक्रमों का फोल्डर तक नहीं बंटा शहर में

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

advertisement

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:कार्तिक मेले में रविवार का दिन व्यापारियों के लिये खास हुआ करता था। आज मेला प्रारंभ होने के बाद पहला रविवार है, लेकिन स्थिति यह है कि न तो झूले लग पाए हैं और न ही सभी दुकानें लगीं।

मेले में लगने वाले झूले यहां पहुंचने वालों के लिये मुख्य आकर्षण होता है। सुबह व्यापारियों द्वारा झूले तैयार करने का काम किया जा रहा था। उनका कहना था कि मेला शुरू हुए तो 5 दिन हो गये लेकिन नगर निगम द्वारा जमीन आवंटन की कार्रवाई में लेटलतीफी के चलते हम अपने झूले तैयार नहीं कर पाये। आज रविवार है संभवत: अच्छी ग्राहकी होगी, लेकिन अधूरा मेला कौन देखने आएगा इसको लेकर भी संशय बरकरार है।

advertisement

इधर नगर निगम द्वारा मेले का शुभारंभ करने के साथ ही मेला मंच पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन कार्यक्रम सुनने और देखने के लिये दर्शक ही नहीं पहुंच रहे। नगर निगम द्वारा मेले में 500 से अधिक दुकानों के लिए टीन के शेड बनाये गए हैं जिनमें से अधिकांश खाली हैं। कुछ खिलौने व नारी श्रृंगार का सामान बेचने वालों ने यहां दुकानें जरूर लगाई हैं। व्यापारियों का कहना है कि दुकानें तो लगा लीं लेकिन लोग नहीं आ रहे ऐसे में खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है।

पुलिस और कंट्रोल रूम शुरू हुआ….

advertisement

कार्तिक मेले में पहुंचने वाले लोगों की सुरक्षा और मदद के लिए अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गई है वहीं नगर निगम द्वारा एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है। यहां पर 24 घंटे पुलिस अफसर ड्यूटी पर तैनात हैं, लेकिन मेले में भीड़ नहीं है और शहर के अधिकांश लोगों को मेले की जानकारी भी नहीं है।

इसलिये बिगड़ी व्यवस्था

व्यापारियों ने चर्चा में बताया कि कार्तिक मेला पारंपरिक रूप से कार्तिक पूर्णिमा पर शुरू हो जाता था। मेले में दुकान और झूलों के आवंटन की कार्यवाही इससे पहले ही पूरी कर ली जाती थी। खास बात यह कि कार्तिक पूर्णिमा पर मेले के व्यापारियों द्वारा इतना व्यापार कर लिया जाता था जिससे पूरे माह मेले में होने वाले खर्च का आधा हिस्सा निकल जाता था। इस वर्ष निर्धारित तिथि से 11 दिन बाद मेले का शुभारंभ हुआ और दुकान आवंटन की प्रक्रिया इसके बाद तक चलती रही।

व्यापारियों ने दूसरे जिलों में लगने वाले मेले का रुख कर लिया और वर्तमान में मेले की अधिकांश दुकानें खाली ही पड़ी हैं। वहीं झूले वाले कार्तिक पूर्णिमा से पहले कार्तिक मेला ग्राउंड पहुंचे लेकिन नगर निगम अफसरों ने उन्हें झूले आदि सामान यहां नहीं रखने दिया था, उन्होंने दूसरी जगह किराया देकर अपने झूले रखे और अब वहां से मेला ग्राउंड तक लाने में डबल किराया व समय लग रहा है।

Related Articles

close