भैया… ऑटो को मीटर से चलाने में आपका ही घाटा है
पहले एक किलोमीटर के 20 एक सवारी के हैं, तीन या चार बैठाई तो सबके 20-20 रुपए लगेंगे
अक्षरविश्व रिपोर्टर ने स्वयं ग्राहक बनकर ऑटो में यात्रा की और ड्रायवर से मीटर का फंडा जाना वह इस प्रकार है
उज्जैन।एक तरफ आरटीओ द्वारा शहर में ऑटो को मीटर रीडिंग से चलाने के लिये अभियान चलाकर बगैर मीटर के ऑटो के चालान बनाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर जिन ऑटो चालकों ने अपने वाहन में मीटर लगवा लिये हैं वह मीटर रीडिंग से ऑटो चलाने को तैयार नहीं। उनके तर्क भी अजीब हैं जिन्हें सुनकर यात्री सोच में पड़ जाता है कि मीटर ऑन करवाएं या नहीं।
भैया इंदिरा नगर से रेलवे स्टेशन तक जाना है, कितने रुपए लेंगे?
80 रुपए लगेंगे।
यह तो ज्यादा हैं, 50 लगते हैं।
कितनी सवारी है, ज्यादा सामान तो नहीं
3 लोग हैं, अब सामान तो रहेगा ही।
चलो 60 दे देना, ठीक है बैठ जाओ।
आपने ऑटो में मीटर लगवा लिया।
हां, लगा है चालू करूं क्या
इसमें कैसे रुपये लगते हैं?
पहले किमी पर एक सवारी के 20 रुपये लगेंगे और दूसरे कि.मी. पर 17 रुपये देना होंगे।
मतलब एक किमी पर एक सवारी के 20 रुपये और तीन के 60।
हां तीन लोगों के 60 रुपये लगेंगे और दूसरा किमी चालू होने पर 17-17 रुपये ऊपर से।
यह तो सवारी के लिये घाटे का सौदा
हम लोग भी तो आरटीओ को यही समझा रहे हैं, लेकिन वह सुनता ही नहीं। चालान बना रहा है। मेरे दो ऑटो जब्त कर रखे हैं। जिन्हें छुड़ाने में 30-30 हजार का खर्चा आ रहा है।
आप तो बिना मीटर के चलो।
नहीं मैं मीटर चालू करके दिखाता हूं, इंदिरा नगर से रेलवे स्टेशन 2.5 कि.मी. होता है, मैं 60 रुपये ले रहा हूं तीनों सवारी के।
स्टेशन पहुंचते ही ऑटो ड्रायवर ने मीटर दिखाया और बोला देखा 20 रुपये किमी से ढाई किमी से कुछ अधिक होने पर 60 रुपये का बिल बनता है। हम किसी को लूट नहीं रहे, फिर भी यातायात पुलिस और आरटीओ के अफसर ऑटो जब्त कर रहे हैं।
कुल मिलाकर ऑटो चालक सवारी को बातों में उलझाकर मनमाना किराया वसूलने के फार्मूले बना चुके हैं। मीटर से आटो चलाना आरटीओ का दिखावा है क्योंकि जब शहर के यात्रियों को ही आटो चालक 20 रुपए प्रति सवारी बैठाने का झांसा देकर ठगने में लगे हैं तो शहर से बाहर के यात्रियों की हालत क्या होगी।