प्रदेश का सबसे महंगा कार्तिक मेला

By AV NEWS

जीएसटी, ई-टेंडरिंग और बीमा ने तोड़ी व्यापारियों की कमर, मनोरंजन के नाम पर जनता पर भार

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:प्रदेश में सबसे बड़ा मेला ग्वालियर में आयोजित किया जाता है। वहां की और उज्जैन में आयोजित कार्तिक मेले की व्यवस्था में काफी अंतर हैं। मेला व्यापारी और व्यापारी अध्य्क्ष की माने तो ये सबसे महंगा मेला हैं। मनोरंजन और पौराणिक परम्परा पर सरकारी नीतियों का दबाव मालवा की संस्कृति को आने वाले समय में खत्म कर सकती हैं। बाहरी और स्थानीय व्यापारियों की उम्मीदें टूट चुकी हैं।

लाखों रुपयों का इन्वेस्टमेन्ट कर चुके व्यापारी 15 दिनों के बाद भी मायूस और हताश बैठे हैं। नियमनुसार मेले की अविध 1 माह की होती हैं और परंपरा से मेला चौदस की रात्रि से दूसरे दिन पूर्णिमा की सुबह तक चरम पर होता था। व्यापारी इसी दौर में मुनाफा कमाते थे और उत्साह के जनता को मनोरंजन प्रदान करते थे लेकिन अब समय के साथ मेले का मनोरंजन मन में रह सकता है।

मेले की महंगाई की वजह

पहली बार निगम ने व्यापारियों पर ई -टेडरिंग, जीएसटी और बीमा की शर्तें जरूरी रखी जिससे दोगुना राशि चुकाना पड़ी। आचार संहिता के कारण जमीनों का आवंटन देरी से हुआ। मेला प्रांगण में सामान उतारने की परमिशन समय पर नहीं मिली। लेबर और ट्रांसपोर्टिंग दोगुना हुआ। यही भार अब मनोरंजन के नाम पर जनता से वसूला जाएगा।

व्यापारियों में डर

व्यापारियों की दबी ज़ुबान कहती हैं कि हम कुछ बोलेंगे तो परेशानी बढ़ेगी। 65 वर्षों से अधिक कार्तिक मेले में व्यवसाय करने वाले शहर के कुछ व्यापारियों की माने तो ई और रि-टेंडर प्रणाली ने बिजनेस को नुकसान दिया है।

कोई सुविधा नहीं

कार्तिक मेले में लोग और अधिकांश व्यापारी परिवारों के साथ आते हैं, लेकिन निगम ने शौचालय, पानी, साफ-सफाई के साथ किसी भी प्रकार की सुविधाए उपलब्ध नहीं करवाई हैं। एक किलोमीटर की दूरी तय कर पीने के पानी से प्यास बुझाई जा रही है।

झूला झोन खतरे का कारण

इस बार अधूरे निर्माण कार्य के कारण झूला सेक्टर के व्यापारी परेशान है। मेला क्षेत्र की बाउंड्रीवॉल का निर्माण नहीं हुआ हैं। बडऩगर सहित अन्य कस्बों को जोडऩे वाले इस रोड से झूला सेक्टर को जोड़ा गया हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं।

निगम की कमाई करोड़ों में

व्यापारियों की माने तो निगम ने मेले को मनोरंजन नहीं व्यावसायिक बना दिया हैं जो दुकाने या जमीन पहले तीन से चार लाख की थी वो अब ई- टेंडर के कारण छह से सात लाख में लेना पड़ रही हैं सिर्फ 22 झूलों से ही निगम को करोड़ों की आय हुई हैं।

व्यापारियों की नाराजगी दूर की जाएगी

हर प्रक्रिया में समय लगता हैं। मेला विधिवत 7 दिसंबर से शुरू हुआ हैं। निगम का मेला प्रांगण में स्थाई शौचालय हैं। अस्थाई की व्यवस्था की जा रही हैं। अब तक 200 दुकाने खाली हैं। रिटेंडर करेंगे। निगम को पहली बार 2.50 करोड़ की रिकार्ड तोड़ आय हुई हैं। चार-पांच दिनों में मेला पूर्ण रूप लेगा। व्यापारियों की नाराजगी दूर करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं| आदित्य नागर निगम उपायुक्त

Share This Article