बच्चों की परवरिश के लिए ज्वाइंट फैमिली है बेहतर?

ज्वाइंट फैमिली में बच्चों की परवरिश किस हद तक फायदेमंद है या फिर कहां तक नुकसानदेह है, यह तो लम्बे समय से विवाद का विषय रहा है। ज्वाइंट फैमिली हो या न्यूक्लियर फैमिली दोनों में ही कुछ अच्छाइयां और बुराइयां भी होती हैं।वैसे भी बच्चों की परवरिश का हक उनके माता-पिता का होता है और यह बात अपने परिवार के माहौल के हिसाब से उन्हें खुद ही तय करना पड़ता है कि वे कैसा माहौल अपने बच्चों को देना चाहते हैं।
क्या है ज्वाइंट फैमिली
ज्वाइंट फैमिली का मतलब एक ऐसे सुखी परिवार से है, जहां एक ही घर में दो-तीन पीढ़ी के लोग आपसी प्रेम के साथ रहते हों, एक ही रसोई में खाना बनता हो और सम्पत्ति का बंटवारा न हुआ हो। फैमिली का सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति ही घर का मालिक हो। जहां सभी लोग आपसी प्रेम और सौहार्द से रहते हैं, लेकिन कहते हैं न जहां दो बर्तन हों, वहां आवाजें तो आती ही हैं। तो आइए जानते हैं, ज्वाइंट फैमिली में बच्चों की परवरिश करने के फायदे और नुकसान के बारे में।
ज्वाइंट फैमिली में रहने के हैं ये फायदे
ज्वाइंट फैमिली में रहकर बच्चों में आपसी सहयोग और धैर्य की भावना का विकास होता है।
माता-पिता अगर बच्चों से कहीं दूर गए हों या फिर दोनों ही जॉब करते हों, तो उन्हें ये टेंशन नहीं रहती कि उनके बच्चों की देखभाल कौन करेगा ।
बच्चों की चिंता किए बगैर उनके माता-पिता अपने काम पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं।
बच्चों में आदर और सेवा की भावना का भी विकास होता है, साथ ही एकसाथ समय बिताने से उनका सम्पूर्ण विकास होता है।
सुख-दुख में एक दूसरे का साथ निभाने की भावना का भी विकास होता है।
नुकसान
ज्वाइंट फैमिली में बच्चों की परवरिश कई लोगों के हाथों में होती है ,ऐसे में हो सकता है कि आप जिस चीज़ के लिए अपने बच्चे को मना कर रहे हैं और वही चीज़ दूसरे फैमिली मेम्बर को सही लग रही है, तो ऐसे में बच्चा सही-गलत का निर्णय नहीं कर पाएगा और दिशाहीन हो जाएगा।
बच्चों पर अपने माता-पिता का कंट्रोल नहीं रह जाता है और वे जिद्दी हो जाते हैं।
ज्वाइंट फैमिली में कई लोग रहते हैं और सबकी मानसिकता अलग होती है। अगर ऐसी परिस्थिति में घर में हिंसा हो रही हो, तो घरेलू हिंसा का प्रभाव बच्चों को अवसाद का शिकरा बना देता है।
बेशक ज्वाइंट फैमिली में कुछ खामियां भी हैं लेकिन इससे अलग हट कर हम अपने संस्कारों और संस्कृतियों से दूर हो जाते हैं जिसका दुष्प्रभाव बच्चों की परवरिश पर पड़ता है।