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मदद ‘भारी’ पड़ी पुलिस को

मदद ‘भारी’ पड़ी पुलिस को

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वाहन मालिक ने की दादागिरी

उज्जैन। वैसे पुलिस की छबि को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहते है। पुलिस का सूत्र/ध्येय वाक्य ‘जनसेवा-देश भक्ति।’ इस क्रम में अपने दायित्व को पूरा करने पहुंची यातायात पुलिस को वाहन मालिकों की दादागिरी का सामना करना पड़ गया। आखिरकार एक फोन के बाद यातायात पुलिस के अमले को बगैर जुर्माना वसूल करे, लौटना पड़ा।

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दरअसल लगातार बरसात के कारण शिप्रा के जलस्तर में वृद्धि होने से बडऩगर रोड स्थित छोटी रपट के पास कुछ चार पहिया वाहन अवैधानिक तौर पर खड़े थे। इस दौरान नदी के तेजी से पानी बढऩे के कारण वाहन आधे-आधे डूब गए थे। किसी ने इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रुम दी।

यातायात पुलिस की क्रेन और अमला गाडिय़ों को निकालने की तैयारी कर रहा था कि गाड़ी मालिक वहां आ गए और यह कहते हुए भिड़े गए कि आप लोगों को किसने बुलाया है। मेरी गाड़ी हाथ लगाने की हिम्मत कैसे हुई? पुलिस ने कहा नियमानुसार के्रन का शुल्क चुकाना होगा, इसके लिए वह तैयार नहीं था।

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पुलिस ने कहा कि ठीक है आप ने प्रतिबंधित जोन में वाहन खड़े करने का जुर्माना तो भरना ही होगा। वाहन मालिक ने रौब झाड़ते हुए इधर-उधर फोन भी लगाए। एक फोन आने पर वाहन मालिक को बगैर जुर्माना वसूल के जाने दिया गया।

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