महाकालेश्वर मंदिर में ऑनलाइन दर्शन बुकिंग 1 जुलाई तक फुल

By AV NEWS

कल सुबह 6 बजे से पंजीकृत भक्त करेंगे दर्शन

महाकालेश्वर मंदिर में करीब पोने तीन माह बाद एक बार फिर श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कल प्रात: 6 से रात्रि 8 बजे तक दर्शन करवाए जाएंगे। कुल 7 स्लॉट 500-500 भक्तों के बनाए गए हैं,जिसके लिए 2-2 घण्टे का समय रखा गया है। ताकि कोरोना प्रोटोकाल का पालन हो सके। मंदिर में ऑनलाइन बुकिंग 1 जुलाई तक की हो चुकी है।

उज्जैन।मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार कल प्रात: 6 बजे से दर्शन कर सिलसिला प्रारंभ हो जाएगा। कियोस्क बनाया गया है। यहां भक्तों को आकर अपना ऑनलाइन पंजीयन दिखाना होगा तथा मांगने पर कोरोन के टीके का प्रमाण पत्र अथवा आरटीपीसीआर की निगेटिव्ह रिपोर्ट देना होगी। इसके बाद ही प्रवश्ेा दिया जाएगा। प्रवेश 4 नम्बर गेट से होगा ओर निकासी 5 नम्बर गेट से। सशुल्क दर्शन के लिए 250 रू. की रसीद भी काटी जाएगी। भक्त 6 बजे से पूर्व भी पहुंच सकते हैं। भक्तों को पूष्प,प्रसादी ले जाने की अनुमति रहेगी।

मॉल-मंडी खोल दी…गर्भगृह से परेशानी….?

28 जून से महाकालेश्वर मंदिर खुलने के साथ ही पंडे, पुजारियों में असंतोष भी देखा जा रहा है। इनका आरोप है कि जिला प्रशासन ने मॉल खोल दिए, मंडी खोल दी। मुख्यमंत्री ने रविवार का जनता कफ्र्यू हटा दिया। इसके बाद जिला प्रशासन को महाकाल मंदिर के गर्भगृह के बारे में सोचना चाहिए। भक्तों को अभिषेक की रसीद काटकर आने दिया जाए। यदि 1500 रू. की अभिषेक की रसीद कटवाकर भक्त आता है और एक हजार लोग भी रसीद कटवाते हैं तो 15 लाख रू. प्रति दिन की आवक होगी। इसमें से 16 पुजारी और 22 पंडों को भी लाभ होगा। कम से कम उन्हे यह सुविधा देना चाहिए। ताकि मंदिर की आय बढ़े वहीं 16 पुजारी एवं 22 पंडों को उसका एक हिस्सा मिल सके और वे भी परिवार चला सकें।

महाकाल मंदिर के समीप खुदाई में निकला परमारकालीन शिव मंदिर, गर्भगृह और तीन तरफ से प्रवेश द्वार भी मिले

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर के विकास कार्यो के तहत चल रही खुदाई के बीच मंदिर के समीप से एक शिव मंदिर निकला है। इस मंदिर में गर्भगृह अलग से है और प्रवेश द्वार तीन तरफ से है। मंदिर के पिल्लर पर अप्सराओं की प्रतिमाएं हैं वहीं नंदी की खण्डित प्रतिमा भी बाहर निकल आई है। राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इस खुदाई कार्य की मानीटरिंग चल रही है। भोपाल से सोमवार को टीम आएगी,ऐसा सूत्रों का दावा है।

वहीं जो ढांचा मिला है,उसे देखकर पता चलता है कि वह परमारकालीन है। परमार काल में यह मंदिर या तोआततायियों के हाथों टूटा होगा या फिर किसी कारण से इस मंदिर की उपादेयता को लेकर प्रश्नचिंह खड़े होने पर इसे बूर दिया गया होगा। अभी दो हिस्सों में जो ढांचा दिखाई दे रहा है,उसकी करीब सात दिन में खुदाई के बाद पूरी स्थिति साफ होगी। पुरातत्वविद् शुभम केवलिया के अनुसार राज्य पुरातत्व विभाग की देखरेख में यह काम चल रहा है। अत: वे ही इस पर प्रकाश डालेंगे। यह सही है कि परमारकालीन मंदिर निकला है और खुदाई के बाद ही स्पष्ट होगा कि अंदर की स्थिति क्या है?

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