एक संत है, जो वैसे तो कई दिनों से शहर में एक्टिव है। वर्षों पूर्व पद पाने के लिए अखाड़ा भी बदल चुके है। यह अलग बात है कि अखाड़ा बदलने के बाद भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली। वे बीते कुछ समय राजनीति को लेकर अघोषित तौर पर सक्रिय है। सोशल मीडिया पर बगैर मांगे प्रतिक्रिया भी देने से पीछे नहीं है। हर दिन उनकी एक न एक प्रतिक्रिया सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उनके भक्त द्वारा जारी की जाती है। इसके बाद शहरवासी में यह चर्चा है कि महाराज को सपने में विधानसभा नजर आ रही है।
पुलिस का परिसर भी सुरक्षित नहीं
जब पुलिस ऐसा परिसर जहां कप्तान के साथ ही उनके अधिनस्थ बैठते हैं। 24 घंटे बल और सुरक्षाकर्मी रहते है, वहां चोरी हो जाए तो आम लोगों या शहर की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है। जी हां ऐसा हो गया है। पुलिस के पुराने रेडियो कार्यालय के भंडार में चोरी हो गई।
यह भंडार लगभग उसी परिसर में जहां पुलिस कंट्रोल रूम, एसपी और अन्य अधिकारियों के दफ्तर, महिला थाना है। इसके कुछ फासले पर ही माधन नगर थाना और पुलिसकर्मी अवासीय परिसर है। इतना सब होने के बाद बदमाश भंडार का ताला तोड़कर सामान चुराकर ले गए हैं। खास बात यह कि इसका प्रकरण भी निरीक्षक रेडियो शाखा प्रभारी द्वारा माधवनगर में दर्ज कराया गया है।
मनाने में पसीने आ रहे
भाजपा नेताओं को इन दिनों अपने नाराज कायकर्ताओं को मनाने में पसीने आ रहे हैं। बीते महीनों में कार्यकर्ताओं की नाराजगी का मुद्दा इतना तूल पकड़ चुका था कि केंद्रीय संगठन ने इस मामले में थोड़ी सी भी लापरवाही नहीं करने के निर्देश भाजपा की राज्य इकाई के पदाधिकारियों को दे दिए थे। उसके बाद से ही क्या विधायक, क्या सांसद और क्या पदाधिकारी… सब एक-एक कर कार्यकर्ताओं के घर पहुंच रहे हैं।
कार्यकर्ता भी नेताजी का स्वागत-सत्कार तो भरपूर कर रहे हैं लेकिन बात जैसे ही घर से बाहर निकलकर काम करने की आती है वे फट पड़ते हैं। सवाल होता है इसके पहले भी कितनी बार ठगा जा चुका हूं ऐसे ही आश्वासनों से। इस बार नहीं होगा कोई ग्यारंटी है क्या। जवाब न इधर होता है न उधर।
कितनों से कहें चुप रहने को हर कहीं तो राजदार हैं
दावेदारों की रेस में सबसे आगे खड़े भाजपाई विधायक इन दिनों नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं। विधायक जी ने अपने कार्यकाल के दौरान अपनी विधानसभा में लंबी-चौड़ी टीम तैयार कर ली थी। उनके माध्यम से पूरे क्षेत्र में शासकीय-अशासकीय स्तर के दर्जनों ‘कार्य’ संपादित हुए। अब उसी टीम में से कुछ के मन में विधायक बनने की इच्छा जागृत हो गई। यह इच्छा ही विधायक जी के दुख का कारण बन रही है।
दरअसल इच्छाधारी कार्यकर्ता को विधायक जी की कमजोर कडिय़ां और राज पता है इसलिए उगल भी नहीं सकते और निगल भी नहीं सकते की स्थिति बनने लगी है। उज्जैन और इंदौर संभाग के ऐसे पांच मामले संगठन के पास पहुंचे हैं जहां विधायक जी ने अपनी ही टीम के कार्यकर्ता को संभालने-समझाने की गुहार वरिष्ठ नेताओं को लगाई है। अब देखते हैं समझाइश असर दिखाती है या राज राज न रहकर राजफाश होता है।
यात्रा को ‘आशीर्वाद’ न देने वालों पर गड़ी हैं निगाहें..
भाजपा प्रदेश में जन आशीर्वाद यात्रा लेकर लोगों के बीच पहुंच रही है। अलग-अलग जिलों में केंद्रीय मंत्रियों सहित बड़े पदाधिकारियों को भी भेजा जा रहा है ताकि कार्यकर्ताओं के साथ-साथ लोगों में उत्साह बना रहे। बीते चुनाव में नाराजगी भाजपा को भारी पड़ी थी। इस बार भाजपाई फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रहे हैं। जिस जिले में यात्रा पहुंचने वाली होती है वहां प्रभारियों की टीम के साथ-साथ भाजपा की एक खूफिया टीम भी पहुंच जाती है। इस टीम का काम होता है स्थानीय गुटबाजी के चलते यात्रा से दूरी बनाने वालों पर नजर रखना। हाईकमान से भी सीधे निर्देश मिलने लगे हैं जो अब दूरी बनाए उसे तुरंत ‘दूर’ कर दो। शैलेष व्यास