माधवनगर के रिकॉर्ड रूम के डेथ ऑडिट रजिस्टर को आधार माने तो आंकड़े चौंकाने वाले

माधवनगर अस्पताल में 15 माह में 578 मौतें, 68 लोग मृत अवस्था में लाए गए
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CMHO बोले- महामारी में इतनी मौतें सामान्य
उज्जैन।माधवनगर के रिकार्ड रूम में स्थित डेथ ऑडिट के रजिस्टर को आधार बनाया जाए तो वहां दर्ज मौतों की संख्या और मृतकों के नाम, पते की स्थितियां चौंकाने वाली है। हालांकि चिकित्सक इन आंकड़ों को चौंकने की बजाय सामान्य बता रहे हैं। लेकिन कोरोना वायरस के प्रति लापरवाही, लोगों में जागरूकता का अभाव बताता है कि कोरोना प्रोटोकाल का पालन किया होता तो जिले में एक ही हॉस्पिटल में इतनी अधिक मौतें न हुई होती।
माधवनगर हॉस्पिटल में मार्च, 2020 से 20 जून,2021 तक करीब 15 माह में 578 मौतें हुई। इनमें कोरोना पॉजीटिव के अलावा उन लोगों की मौत का आंकड़ा अधिक है, जो प्रशासन के अनुसार निगेटिव होने के बाद अन्य बीमारियों के कारण काल के ग्रास बने। इनके अलावा 68 मामले ऐसे रहे जिनमें उपचार के लिए लोगों को यहां लाया गया और चिकित्सकों ने मृत घोषित किया। अर्थात् यहां लाने से पूर्व ही मौत हो चुकी थी।
ऐसे में इन आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो शहर के प्रायवेट नर्सिंग होम/हॉस्पिटल्स में, चरक भवन में, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में और जिले की तहसीलों में स्थित अन्य शासकीय एवं प्रायवेट हॉस्पिटल्स में कितनी मौतें हुई होगी? जो लोग अपने घरों पर ही काल के ग्रास बन गए तथा उनके परिजन उन्हे हॉस्पिटल तक नहीं ले जा पाए, गांवों में ही दाह संस्कार हो गया, उनकी संख्या भी यदि प्रशासन पारदर्शिता के साथ सामने लाए तो आंकड़ें चौकाने वाले नहीं, बल्कि भयावह होंगे। आंकड़ों की भाषा में देखें तो माधवनगर हॉस्पिटल में 15 माह में 578 मौत होना मतलब प्रतिमाह औसत 38 मौतें हुई। अर्थात् औसत प्रतिदिन 1 मौत। ज्ञात रहे माधवनगर में कभी 2 या 3 मौतें हुई तो कभी 9 से 11 तक। ऐसे में उक्त औसत को डॉक्टर्स सही ठहरा रहे हैं तथा इसे चौंकाने वाला आंकड़ा एक हॉस्पिटल विशेष के लिए नहीं मानते हैं।
आरडी गार्डी में अधिकांश गंभीर मरीज भेजे गए
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के कोरोना मामलों के नोडल अधिकारी डॉ.सुधाकर वैद्य के अनुसार यह औसत बहुत अच्छा है। कोरोना के सारे मामलों में माधवनगर हॉस्पिटल केंद्र बिंदु था। बावजूद इसके वहां औसत इतना कम आना बताता है कि वहां बहुत गंभीर मरीज पहुंचे ही नहीं। आर डी गार्डी में अधिकांश मरीज गंभीर भेजे गए। यहां मौतें अधिक हुई। हालांकि डॉ.वैद्य ने वहां हुइ मौतों का आंकड़ा बताने से इंकार कर दिया। साथ ही कहाकि अन्य प्रायवेट हास्पिटल, चरक के आंकड़े भी देखो। गांवों में तो गिनती भी नहीं की गई होगी।
सीएमचओ डॉ.महावीर खंडेलवाल ने कहा कि माधवनगर हॉस्पिटल में अच्छा उपचार हुआ, यही कारण है कि वहां मृतकों का औसत इतना कम है। महामारी में सामान्यतया मौते होती ही है।