अभी तो यहां महिलाओं के वेटिंग हॉल में रहता है पुरुषों का डेरा, गंदगी भी ठीक से साफ नहीं हो रही
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन: शहर के बीचोंबीच देवासगेट पर स्थित शहीद राजाभाऊ महाकाल बस स्टैण्ड के विकास को लेकर कईं सालों से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। जनता के बीच-बड़ी योजनाएं प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी जा रही है। पांच साल पहले जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इसे ट्रांजिट हब बनाने की बात की थी। इसके बाद शहर के दोनों बस स्टैण्ड को इंटरनेशनल हवाई अड्डे की तरह विकसित करने की योजना प्रस्तुत की गई।
गत वर्ष बस स्टैण्ड को लेकर एक और बड़ी योजना सामने आई। जिसमें बस स्टैण्ड को इंटर स्टेट बस टर्मिनल के रूप में विकसित करने की बात की गई। सच्चाई यह है कि ये बड़ी-बड़ी योजनाएं कागजों तक ही सीमित हैं। इन पर ठोस कार्रवाई कुछ भी नहीं हुई है।
बस स्टैण्ड पर बसों के पार्किंग की भी पर्याप्त जगह नहीं है। यहां से यात्रियों को सफर पर ले जाने वाली बसें देवासगेट से लेकर चामुंडा माता चौराहे तक जाम लगाती हैं। सफाई की बात की जाए तो गंदगी इतनी ज्यादा है कि यात्री मुंह पर कपड़ा लगाकर बदबू से बचते देखे जा सकते हैं।
यात्री प्रतिक्षालय की स्थिति ऐसी है कि बस स्टैण्ड पर महिला प्रतिक्षालय में पुरुषों का डेरा रहता है। मजदूर, भिखारी और पुरुष यात्रियों की रातें इसी प्रतिक्षालय में गुजरती है। शी लाउंज की योजना बताने वाले जिम्मेदार वर्तमान परिस्थितियों में महिला यात्रियों के लिए स्वच्छ-साफ सुथरा और सुरक्षित शौचालय भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।
सवाल यह है कि बस स्टैण्ड को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं बताने वाले जिम्मेदार क्या वर्तमान परिस्थितियों के मुताबिक बस स्टैंड पर सुविधाएं उपलब्ध करा पाएंगे?
बस स्टैण्ड की स्थिति
- 8671 वर्गमीटर
- 10 हजार यात्री प्रतिदिन
- 297 बस
- 24 दुकानें नगर निगम की लीज प
- 17 हजार रुपए दुकानों से प्रतिमाह किराय
- 50 रुपए राजस्थान परिवहन से पार्किंग शुल्क
बीते साल इंटर स्टेट बस टर्मिनल योजना प्रस्तुत की
8679 वर्ग मीटर परिक्षेत्र में फैले देवासगेट बस स्टैण्ड को साल २०२२ में इंटरस्टेट बस टर्मिनल बनाकर ई-टिकटिंग और शी लाउंज, स्वच्छ वेटिंग रूम और आधुनिक सुविधाएं देने की बात की गई थी। लेकिन बस स्टैण्ड की मौजूदा हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बस स्टैंड पर यात्री सुविधाओं के लिए हमारा प्रशासन कितना सजग है।
बताया जाता है कि नगर निगम बस स्टैण्ड को एसएसबीटी (इंटर स्टेट बस टर्मिनल) बनाएगा। निगम परिषद में इसकी स्वीकृति भी हो गई थी। दावा किया गया कि बस स्टैंड पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसी सुविधा मिलेगी। पांच साल पहले भी बस स्टैण्ड को ट्रांजिट हब बनाने की बात की गई थी यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई और चार साल बाद नई योजना बना दी गई।
5 साल पहले ट्रांजिट हब बनाने की बात की गई
पांच साल पहले स्मार्ट सिटी ने देवासगेट बस स्टैण्ड और रेलवे स्टेशन को मिलाकर मल्टी मॉडल बस टर्मिनल अर्थात ट्रांजिट हब बनाने की बात की थी। इसके लिए स्मार्ट सिटी ने विदेशी निवेशकों से संपर्क किया था। पांच साल पहले तत्कालीन स्मार्ट सिटी सीईओ अवधेश शर्मा ने योजना प्रस्तुत की थी और बताया था कि यह प्रोजेक्ट प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत आकार लेगा।
इस योजना में रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड को टर्मिनल के रूप में विकसित करने की बात हुई थी। जिसमें रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड के बीच आ रही धर्मशाला को हटाने पर भी मंथन हुआ था। इसी योजना को एक अलग स्वरूप में स्मार्ट सिटी ने प्रस्तुत किया।
रेलवे और बस स्टैण्ड को जोड़कर टर्मिनल बनाने की योजना बनाई लेकिन एक साल से यह कागज पर घूम रही है। अधिकारी बताते हैं कि यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके लिए पैसा केंद्र से आएगा। राजस्व, रेलवे और निजी जमीन को मिलाकर पूरा प्रोजेक्ट पूरा होगा।
इंटर स्टेट बस टर्मिनल योजना बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। इसकी डीपीआर बनाकर पीडब्ल्यूडी को भेजी है। प्रोजेक्ट की लागत का पूरा खर्च केंद्र सरकार से आएगा और रेलवे, राजस्व, पोस्ट ऑफिस की जमीन को लेकर भी बैठक कर निर्णय लिया जाएगा।
आशीष पाठक, सीईओ स्मार्ट सिटी