रामघाट पर सुरक्षा और अन्य इंतजाम नहीं…

पर्व स्नान से बेखबर प्रशासन, भगवान भरोसे श्रद्धालु आए और चले गए

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन सिस्टम में तालमेल की कितनी कमी है यह स्थिति श्रावण अधिकमास के अंतिम दिन उजागर हो गई। प्रशासन, पुलिस इस बात से बेखबर रहा की बुधवार को अमावस्या है और इस दिन पर्व स्नान पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का जानकारी नही थी। नतीजतन घाटों पर न किसी की ड्यूटी लगी, न सुरक्षा के प्रबंध थे,सफाई का अभाव था। श्रद्धालु भगवान भरोसे आए और शिप्रा में स्नान किया, भगवान महाकालेश्वर के दर्शन कर चले गए।

कुछ वर्ष पहले प्रशासन द्वारा पर्व, तीज-त्यौहार पर होने वाले शिप्रा स्नान के लिए वार्षिक कैलेंडर इसलिए तैयार किया था, जिससे की व्यवस्था तैयार रखी जाए, श्रद्धालुओं को कोई असुविधा नहीं हो। प्रशासन कैलेंडर को भूल गया या फिर इसे अपडेट नहीं किया। शायद यही वजह रही कि बुधवार को अधिकमास की बड़ी अमावस्या होने के बाद भी कोई इंतजाम नही किए गए। एक जानकारी के अनुसार तड़के ३ बजे से सुबह ९ बजे तक दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अव्यवस्थाओं के बीच शिप्रा में स्नान किया।

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घाट और मार्गों पर रेलमपेल

आमतौर पर पर्व और अवसर विशेष पर शिप्रा में होने वाले स्नान के लिए प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य विभागों के कर्मचारियों-अधिकारियों की तैनाती की जाती है। इसके लिए बकायदा आदेश जारी किए जाते है। अधिकमास की अमावस्या पर ऐसा कुछ भी नजर नही आया। घाट पर श्रद्धालुओं को जैसा उचित लग रहा,वैसी अपनी व्यवस्था बनाकर स्थान कर रहे थे। घाट पर प्रशासन के कोई अधिकारी-कर्मचारी नही थे।

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मार्गों पर वाहनों की रेलमपेल रही। ई-रिक्शा और ऑटो व कार वाले तक अपने वाहन संकरी गलियों में लेकर घुस गए। मार्गों पर पुलिस के इंतजाम कमजोर रहे, जिसके चलते लोगों को जाम से जूझना पड़ा। बड़ा सवाल यहीं है कि जब पर्व स्नान था,तो उस अनुसार इंतजाम क्यों नहीं किए गए। कुल मिलाकर पर्व स्नान को लेकर कोई प्लानिंग नहीं किए जाने के चलते यह स्थिति निर्मित हो रही थी।

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