विवाह पंचमी की तिथि, मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि

By AV News

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन उनकी पूजा अर्चना करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। इतना ही नहीं वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है। हर साल अयोध्या में विवाह पंचमी के पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सभी मंदिरों को भव्य तरीके से सजाकर, यहां राम रथ यात्रा निकाली जाती है। मान्यता है कि इस दिन तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस भी पूरी की गई थी। इसलिए विवाह पंचमी पर इसका पाठ करना बेहद लाभदायक होता है।

विवाह पंचमी की तिथि, मुहूर्त

पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष महा के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 5 दिसंबर, 2024 12 बजकर 49 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 6 दिसंबर 12 बजकर 7 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, विवाह पंचमी का त्योहार 6 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी.

पूजा विधि

विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के पूजास्थल की गंगा जल से सफाई करें। एक चौकी लें और उस पर नया लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों को विराजमान करें। इसके बाद दोनों को पीले फूल आर्पित करें। इसके बाद एक थाल लें। उसमें एक घी का दीपक जला कर रखें। पूजा के अंत में भगवान राम और माता सीता की आरती करें। मान्यता है कि इस तरह विधिवत पूजा करने से विवाह संबंधी बाधा दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

विवाह पंचमी का महत्व

विवाह पंचमी लोगों को पति-पत्नी के बीच के पवित्र बंधन का महत्व सिखाती है. यह लोगों को सच्चे प्यार, समर्पण और निष्ठा का पाठ पढ़ाती है. विवाह पंचमी का पर्व लोगों को भगवान राम और माता सीता के आदर्श जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर देता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान राम और माता सीता की पूजा ने करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके साथ ही जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है.

ये है विवाह पंचमी मनाने की वजह

सनातन धर्म में भगवान श्रीराम और माता सीता की जोड़ी को एक आदर्श वैवाहिक जोड़ी के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर राम जी और माता सीता विवाह बंधन में बंधे थे। इसी वजह से हर साल इसी तिथि को उनकी विवाह की वर्षगांठ के रूप में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। जातक इस दिन सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही मंदिर या गरीब लोगों में अन्न और धन का दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दान करने से जातक को जीवन में कभी भी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है।

अगर आपको काफी समय से मेहनत करने के बाद भी सुयोग्य जीवनसाथी नहीं मिल पा रहा है ​तो आपको विवाह पंचमी के दिन व्रत रखकर प्रभु राम और सीता का विधि विधान से पूजन करें और उनका विवाह करवाएं और उनके समक्ष एक योग्य जीवनसाथी प्राप्त करने की प्रार्थना करें. साथ ही राह में आ रही सभी मुश्किलों को हल करने की कामना करें. ऐसा करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं.

करें कोई भी मांगलिक कार्य
विवाह पंचमी के दिन किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य कर सकते हैं. इसके लिए शुभ मुहूर्त नहीं देखा जाता है. विवाह पंचमी के दिन मुंडन, जनेऊ, शादी-विवाह इत्यादि करना अत्यंत शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन कोई भी नई चीजों की जैसे वाहन, जमीन, आभूषण इत्यादि की खरीदारी करना भी शुभ होता है.

विवाह की समस्या जल्द होगी दूर
श्रीराम और माता सीता की जोड़ी को आदर्श माना जाता है. अगर आपके वैवाहिक जीवन में किसी तरह की समस्या है तो आपको रामचरितमानस में लिखे राम-सीता प्रसंग का पाठ कर सकते हैं. इसके बाद प्रभु से अपनी समस्या को दूर करने की प्रार्थना करें. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं समाप्त होने लगती हैं. माना जाता है कि रामचरितमानस विवाह पंचमी के दिन ही पूरी हुई थी, इसलिए अगर आप इस दिन घर में इसका पाठ करवाते हैं तो घर की नकारात्मकता दूर होती है और सुख शांति आती है.

संतान सुख की होगी प्राप्ति
अगर आपके जीवन में संतान सुख नहीं हैं, तो भी ये दिन आपके लिए बहुत शुभ है. राम और सीता की लव कुश की तरह तेजस्वी संतानें थीं. इस दिन आपको श्रीराम और माता सीता का पूजन करते समय आप श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें और उनसे ओजस्वी संतान प्राप्ति की कामना करें. इससे आपकी मनोकामना पूरी हो सकती है, साथ ही आपकी यदि पहले से कोई संतान है और ​उसे किसी तरह की समस्या है, तो वो समस्या भी दूर हो सकती है.

आप विवाह पंचमी के शुभ मौके पर रामचरितमानस की इन चौपाइयों का पाठ कर सकते हैं। इससे प्रभु श्रीराम भी प्रसन्न होते हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।

रामचरितमानस की चौपाइयां

हरि अनंत हरि कथा अनंता ।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता ॥
रामचंद्र के चरित सुहाए ।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए ॥

इस चौपाई का अर्थ है कि हरि अनंत हैं और उनका कोई पार नहीं पा सकता है। साथ ही उनकी कथा भी अनंत ही है। सभी संत लोग उस कथा को बहुत प्रकार से कहते और सुनते हैं। ये पक्तिंया कहती हैं कि भगवान श्री रामचंद्र के सुंदर चरित्र का कोई बखान नहीं कर सकता, क्योंकि सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।

जा पर कृपा राम की होई ।
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥

ये पक्तिंया कहती हैं कि जिन पर भगवान राम जी की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू नहीं सकता। जिन लोगों पर परमात्मा की कृपा हो जाती है उस पर तो सभी की कृपा बनी ही रहती हैं। जिसके अंदर कपट, झूठ और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति राम बसते हैं। इतना ही नहीं उनके ऊपर प्रभु की कृपा सदैव होती है।

अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर, भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर ।
काम क्रोध मद गज पंचानन, बसहु निरंतर जन मन कानन।।

इसका अर्थ है कि हे गुणों के मंदिर ! आप सगुण और निर्गुण दोनों है। आपका प्रबल प्रताप सूर्य के प्रकाश के समान काम, क्रोध, मद और अज्ञान रूपी अंधकार का नाश करने वाला है। आप हमेशा ही अपने भक्तजनों के मन रूपी वन में निवास करने वाले हैं।

कहु तात अस मोर प्रनामा ।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा ॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥

ये पक्तिंया कहती हैं कि हे भगवान श्री राम! आपको मेरा प्रणाम और मेरा आपसे ये निवेदन है कि – हे प्रभु! अगर आप सभी प्रकार से पूर्ण हैं अर्थात आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है, तथापि दीन-दुखियों पर दया करना आपका प्रकृति है, अतः हे नाथ! आप मेरे भारी संकट को हर लीजिए।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा ।
को करि तर्क बढ़ावै साखा ॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा ।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ॥

अर्थ है कि जो कुछ भी संसार में राम ने रच रखा है, वही होगा। इसलिए इस विषय में तर्क करने का कोई लाभ नहीं होगा। ऐसा कहकर भगवान शिव हरि का नाम जपने लगे और सती वहां गईं जहां सुख के धाम प्रभु राम थे।

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