शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये 6 चीजें

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस पूरे महीने भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इन दिनों शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, चंदन और अक्षत चढ़ाने से शंकर भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं, वहीं कुछ चीजें भोलेनाथ को अर्पित करने की मनाही है.
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ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग पर ये चीजें चढ़ाने से शंकर भगवान नाराज हो सकते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं ये चीजें.
हल्दी– कई पूजा पाठ में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है पर शिव पूजन में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार,शिवलिंग पौरुष का प्रतीक है और हल्दी को सौंदर्य प्रसाधन का सामान माना जाता है. हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से भी है, इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ता है. शंकर भगवान को हल्दी अर्पित करने से चंद्रमा कमजोर होने लगता है.
कुमकुम या सिंदूर– महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती है. कुछ लोग इसे भगवान शिव को भी अर्पित करते हैं जबकि शिव पुराण में ये करने की मनाही है. शिव पुराण में महादेव को विनाशक बताया गया हैं, यही वजह है कि सिंदूर या कुमकुम से भगवान शिव की पूजा नहीं की जाती है.
तुलसी के पत्ते–पवित्र तुलसी का प्रयोग कई देवी-देवताओं की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है,हालांकि सावन या भगवान शिव की पूजा में इनका इस्तेमाल वर्जित माना गया है.पौराणिक कथाओं अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था,जिससे क्रोधित होकर तुलसी ने भगवान शिव को अपने दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया था.
लाल और केतकी के फूल– महादेव की पूजा में लाल फूल बिल्कुल भी नहीं चढ़ाए जाते हैं. एक कथा के अनुसार झूठ बोलने पर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप देते हुए कहा था कि शिवलिंग पर या शिव जी की पूजा में कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा.
नारियल पानी– नारियल को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसलिए इससे शिव जी का अभिषेक बिल्कुल नहीं करना चाहिए. शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली चीजों को ग्रहण करना वर्जित माना जाता है. इसलिए भी शिव पर नारियल का जल चढ़ाने की मनाही है.
शंख– भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था और शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए विष्णु भगवान की पूजा तो शंख से होती है लेकिन भगवान शिव की नहीं. महादेव को कभी भी शंख से जल अर्पित नहीं करना चाहिए.