सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन पर बनी कॉलोनियों का मामला

प्रशासन ने रहवासियों को पक्ष रखने के लिए दी मोहलत

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मकान खाली करने के नोटिस पर दिया धरना…..

उज्जैन।सिंहस्थ भूमि पर बने मकानों को खाली करने के नोटिस और मुनादी के बाद यह मामला गर्मा गया है। इस कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में मकानों को खाली करने के अंतिम नोटिस के विरोध में बड़ी संख्या में नागरिक प्रशासनिक संकुल पहुंचे थे।

करीब ढाई घंटे चले धरने के बाद प्रशासन ने रहवासियों को पक्ष रखने तक कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन दिया,इसके बाद धरना खत्म हुआ नगर निगम की टीम ने रविवार को मुनादी करके सिंहस्थ क्षेत्र में गुलमोहर व रामनगर कॉलोनी के रहवासियों को मकान खाली करने का अल्टीमेटम दिया था।

सिंहस्थ क्षेत्र में बसी कॉलोनी गुलमोहर, रामनगर, ग्यारसीनगर सहित ज्ञान टेकरी के रहवासी प्रशासनिक संकुल भवन पहुंचे और मकान नहीं तोडऩे को लेकर प्रदर्शन कर परिसर में धरने दिया। ढ़ाई घंटे चला धरना-प्रदर्शन प्रशासन के आश्वासन पर समाप्त हुआ। प्रशासन ने फिलहाल कार्रवाई टाल दी है। सभी पांचों कॉलोनियों से दो-दो प्रतिनिधियों व कांग्रेस नेताओं के साथ अधिकारियों की बैठक होगी। बैठक में तय होगा कि आगे क्या किया जाए।

एसडीएम कल्याणी पांडे ने बताया कि मंगलवार से होने वाली कार्रवाई फिलहाल स्थगित कर दी है। रहवासियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक रखी हैं, जिसमें तय होगा कि आगे क्या किया जाए। प्रदर्शन के दौरान विधायक महेश परमार,नगर निगम नेता प्रतिपक्ष रविराय, कांग्रेस के सोनू शर्मा, अजीत सिंह, आदि कांग्रेसी शामिल रहे। बता दें के है कि सिंहस्थ क्षेत्र व मेले के लिए आरक्षित जमीन पर निर्माण प्रतिबंधित हैं। बावजूद सिंहस्थ 2016 के बाद मेला क्षेत्र में ही कॉलोनियां कट गई। नगर निगम ने पांच कॉलोनियों के 331 अवैध निर्माण, अतिक्रमण-मकान चिह्नित किए है।

विधायक ने एसडीएम के हाथ जोड़े, पैर तक पड़े
धरने के दौरान विधायक महेश परमार ने मकान नहीं तोडऩे की गुहार लगाते हुए महिला एसडीएम कल्याणी पांडे के हाथ जोड़े, पैर तक पड़े। विधायक परमार ने कहा जब सिंहस्थ क्षेत्र में मकान बन रहे थे तो प्रशासनिक अमला कहां था। गरीबों के मकान तोडऩे से पहले उन अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए जिन अधिकारियों की देख रेख में उन मकानों की रजिस्ट्री हुई है। क्षेत्र में विकास कार्य हुए है।

निर्माण पूर्णत: प्रतिबंधित है…. सिंहस्थ मेला अधिनियम 1955 में लागू हुआ था। मेला शिप्रा किनारे और शहर के पास ही लगे इसलिए यहां की जमीन संरक्षित रखी जाती है। इसमें अवैध निर्माण पर 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान है। मेले के लिए आरक्षित जमीन पर पक्के निर्माण पूर्णत: प्रतिबंधित है।

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