सिविल सर्जन 9 बजे बोले…5 मिनट में आता हूं… लेकिन 11 बजे तक नहीं पहुंचे थे अपने कक्ष में

यह है जिला चिकित्सालय उज्जैन के हाल… डॉक्टर्स ड्यूटी से गायब

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सिविल सर्जन 9 बजे बोले…5 मिनट में आता हूं… लेकिन 11 बजे तक नहीं पहुंचे थे अपने कक्ष में

मेडिसीन ओपीडी का समय 9 बजे से: 15 मरीज, डॉक्टर एक भी नहीं

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कैलाश शर्मा|उज्जैन। जिला अस्पताल में देरी से आना डॉक्टर्स की आदत में शुमार हो गया है। जिला अस्पताल में अस्पताल आए मरीजों को समय पर इलाज की सुविधा मिले, इसके लिए सुबह ९ बजे डॉक्टरों को ड्यूटी पर पहुंचना होता है, लेकिन वे समय पर नहीं पहुंचते।

बुधवार को अक्षरविश्व टीम सुबह 9 बजे जिला अस्पताल पहुंची। दो घंटे का समय बिताया। डॉक्टरों के ड्यूटी पर आने के समय पर नजर रखी। डॉक्टरों के लेट पहुंचने की स्थिति एक दिन की नहीं है। बल्कि यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। उदासीनता का आलम यह है कि लेटलतीफी को लेकर कोई देखने वाला नहीं है। हद तो यह प्रभारी सिविल सर्जन डॉ.पीएन वर्मा ही अस्पताल नहीं आए थे। फोन पर जब डॉक्टर्स के लेट आने के संबंध में प्रतिक्रिया चाही तो वे बोले 5 मिनट में आता हूं।

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इसके बाद भी करीब 25 से 30  मिनट तक उनके जिला चिकित्सालय में कोई अते-पते नहीं थे। इस दौरान हमारी टीम ने डॉक्टर्स ड्यूटी की पड़ताल की तो कुछ डॉक्टर्स,समय पर अस्पताल पहुंचे ही नहीं थे।

जो देरी से आए वे हाजरी लगाकर चायपान के लिए चल गए। मरीज इंतजार ही करते रहें। जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी की समस्या अपनी जगह है, लेकिन जो डॉक्टर वर्तमान में पदस्थ हैं वह भी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से नहीं कर रहे, कारण यह कि सिविल सर्जन और सीएमएचओ कभी भी अस्पताल में निरीक्षण, डॉक्टरों की ड्यूटी, वार्डों की स्थिति चैक नहीं करते। मेडिकल ऑफिसरों की लापरवाही और अनदेखी की वजह से मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है।

सिविल सर्जन 9 बजे बोले….इसके बाद भी करीब 25 से 30 मिनट तक उनके जिला चिकित्सालय में कोई अते-पते नहीं थे। इस दौरान हमारी टीम ने डॉक्टर्स ड्यूटी की पड़ताल की तो कुछ डॉक्टर्स,समय पर अस्पताल पहुंचे ही नहीं थे। जो देरी से आए वे हाजरी लगाकर चायपान के लिए चल गए। मरीज इंतजार ही करते रहें।

जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी की समस्या अपनी जगह है, लेकिन जो डॉक्टर वर्तमान में पदस्थ हैं वह भी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से नहीं कर रहे, कारण यह कि सिविल सर्जन और सीएमएचओ कभी भी अस्पताल में निरीक्षण, डॉक्टरों की ड्यूटी, वार्डों की स्थिति चैक नहीं करते। मेडिकल ऑफिसरों की लापरवाही और अनदेखी की वजह से मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है।

समय सुबह 9.00 बजे

जनरल ओपीडी में चार डॉक्टर्स की ड्यूटी थी। दो बीएएमएस और दो एलोपैथी के डॉक्टरों की ड्यूटी सुबह 9 बजे से लगती है। 9.05 पर एक बीएएमएस डॉक्टर पहुंचे। सबसे पहले कुत्तों के काटने से गंभीर घायल को देखा। आयुर्वेद के डॉक्टर ने इंजेक्शन आदि लिखकर आगे बढ़ा दिया। इसके बाद एक बुखार और दूसरे हार्ट में दर्द के मरीज को भी इन्होंने ही देखकर उपचार किया। 9.15 पर एक डॉक्टर एलोपैथिक पहुंची।

समय सुबह 10.30 बजे

मेडिसीन ओपीडी में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं। मरीज अपना नंबर लगाकर बैठे थे। कम्पाउण्डर और वार्ड बाय मरीजों इंट्री करने में जुटे थे। एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। जानकारी मिली कि डॉ. राजावत की ड्यूटी थी लेकिन वह डायलिसीस विभाग में कुछ काम देख रहे हैं। एचओडी डॉ. अजय निगम अवकाश पर हैं।

सिविल सर्जन का कोई समय निर्धारित नहीं

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. पी.एन. वर्मा को इसी ओपीडी के बाहर से अवगत कराया गया कि 10.30 बजे हैं। मेडीसीन ओपीडी के बाहर 15 से अधिक मरीज डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं। डॉ. वर्मा ने कहा कि मैं स्वयं 5 मिनिट में आता हूं, लेकिन 11 बजे तक डॉ. वर्मा जिला अस्पताल नहीं पहुंचे। उनके कार्यालय का दरवाजा बंद था। अंदर बैठे कर्मचारी ने बताया कि डॉक्टर साहब का कोई समय निश्चित नहीं हैं। अधिकांश समय चरक अस्पताल में ही बैठना पसंद करते हैं। जब टाइम मिलता है तो यहां आते हैं।

क्या है मेडिसीन ओपीडी

वायरल फीवर से लेकर और अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों का मेडीसीन ओपीडी में उपचार होता है। स्टाफ का तर्क यह कि डॉक्टर पहले वार्डों में भर्ती मरीजों को देखते हैं फिर ओपीडी के मरीजों का उपचार करते हैं। वार्ड की वस्तुस्थिति यह थी कि भर्ती मरीजों की संख्या नाममात्र थी जिन्हें सुबह 9 बजे पहुंचने वाले डॉक्टर अधिक से अधिक 15 मिनिट में चेक कर सकते थे फिर भी 11 बजे तक मेडिसीन ओपीडी में कोई डॉक्टर नहीं पहुंचे।

पहले अटेंडेंस, फिर चाय-नाश्ता उसके बाद मरीज

डॉक्टरों की भाषा में गंभीर मरीज के लिये जीवन का एक-एक क्षण बहुत कीमती होता है। यदि उसे समय पर उपचार मिल जाये तो ठीक नहीं तो मौत निश्चित होती है, लेकिन सिविल अस्पताल की स्थिति यह है कि अधिकांश डॉक्टर पहले आरएमओ कार्यालय में हस्ताक्षर करते हैं फिर बहादुरगंज की तरफ वाले गेट पर चाय, सिगरेट करते हैं और फिर मूड बनाकर वार्ड में मरीज देखने पहुंचते हैं।

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