सोलह दिवसीय महालय श्राद्ध पक्ष शुरू, इस बार तिथि क्षय नहीं

By AV NEWS

गयाकोठा, रामघाट और सिद्धवट पर तर्पण-पितृकर्म,

25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या

उज्जैन।भादौ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर आज से महालय श्राद्ध का आरंभ हुआ। इस बार श्राद्ध पक्ष में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। यह पक्ष पूरे 16 दिन का रहेगा। मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध करने से घर परिवार में सुख, समृद्धि आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है।

श्रावण मास के बाद फिर धार्मिक नगरी में श्राद्ध पक्ष में दूरदराज से धर्मालुजन आ रहे हैं। रामघाट, गयाकोठा और सिद्धवट घाट पर तर्पण-पिंडदान और श्राद्ध का विशेष महत्व है। पौराणिक एवं शास्त्रीय मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के निमित्त श्रद्धा का भाव अर्पित किया जाना चाहिए अर्थात श्रद्धा से पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान करना चाहिए।

पितृकर्म से पितरों को तृप्ति होने के साथ उनकी पद वृद्धि होती है। सांसारिक सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। राजेशगुरु मोरवाला, आनंदगुरु लोटावाला, अजय गुरु कुंडवाला, मोहन गुरु डंडावाला ने बताया कि रामघाट पर पितरों का पिंडदान और तर्पण करने से २८ तीर्थ का पुण्य प्राप्त होता है।

दस गुना अधिक फल

स्कंद पुराण के अवंती क्षेत्र महात्म्य में बताया गया है कि गया से भी दस गुना अधिक पुण्य महाकाल वन स्थित गया तीर्थ (गया कोठा उज्जैन) में श्राद्ध करने से मिलता है। जहां श्राद्ध फल से जन्म जन्मांतर से दुर्गति (नरक) में पड़े हुए पितर मुक्त हो जाते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार अवंतिका स्थित गयाकोठा तीर्थ में भी फल्गु नदी मानी गई हैं। उज्जैन में गयाकोठा तीर्थ के दक्षिण में विशाल तालाब है जिसमें फल्गु की विद्यमानता माना हैं। श्रीकृष्ण ने इसका संगम सिद्धवट के समीप शिप्रा नदी में कराया है।

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रामप्रसाद के साथ मुबारक ने भी किया पितृकर्म

श्राद्ध पक्ष के एक दिन पूर्व सिद्धवट पर ऐसा दृश्य दिखाई दिया जिसने चकित कर दिया। हिंंदू परिवार के साथ उनका मुस्लिम साथी भी आया था जिसने तर्पण कार्य में सहयोग किया। सिद्धवट घाट पर बडऩगर के लिकोदा ग्राम के रामप्रसाद तर्पण करने शुक्रवार को आए थे। उनके साथ मुबारक अली भी आए थे।

रामप्रसाद के साथ पितृकर्म की हर विधि में मुबारक अली सहयोगी बने। तीर्थपुरोहित पं. श्याम पंचोली लालघोड़ीवाले के अनुसार धर्म के नाम पर यहां कुछ गांवों में आज भी किसी तरह का भेदभाव नहीं हैं। सगे संबंधी की तरह धर्म की दीवारों को लांघ कर सभी एक-दूसरे के रीति-रिवाजों में शामिल होते हैं।

रामप्रसाद व मुबारक अली के बीच बरसों से पारिवारिक संबंध हैं। पं. पंचोली ने बताया कि अमेरिका के बड़ाया परिवार तथा दुबई के नाडिया परिवार ने पितृकर्म कराने के लिए संपर्क किया है। फिलहाल वे नहीं आ पा रहे हैं, इसलिए दोनों परिवार को ऑनलाइन श्राद्ध कराया जाएगा।

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