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2 साल की मासूम को ट्रेन में लावारिस छोड़ गया कोई…

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आपरेशन नन्हें फरिश्ते से पन्द्रह दिन में 9 बच्चों को आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन भेजा

उज्जैन। अपनों से रूठ कर या अनजाने में रेलवे स्टेशन अथवा रेलवे परिसर में आने वाले बच्चों को आरपीएफ द्वारा नन्हें फरिश्ते अभियान के तहत परिजनों से संपर्क कर उनके सुपुर्द किया जाता है और जिनके अपने नहीं होते उनको चाइल्ड लाइन भेजा जाता है। पिछले 15 दिनों में 9 बच्चों को आरपीएफ ने चाइल्ड लाइन भेजा जिनमें एक 2 वर्ष की मासूम बच्ची भी शामिल है।

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80 कैमरों से 24 घंटे स्टेशन पर नजर

आरपीएफ टीआई ने बताया कि प्लेटफार्म और परिसर को मिलाकर आरपीएफ के कुल 80 कैमरे अलग-अलग स्थानों पर लगे हैं जिनसे पूरे क्षेत्र में 24 घंटे नजर रखी जाती है। हाई फ्रिक्वेंसी वाले इन कैमरों की मदद से चोरों को पकडऩे, आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखनेे के अलावा लापता लोगों की तलाश भी की जाती है।

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पहले परिजनों की जानकारी लेते फिर चाइल्ड लाइन भेजते हैं

आरपीएफ टीआई पी.आर. मीना ने बताया कि ट्रेन अथवा प्लेटफार्म या रेलवे परिसर में यदि लावारिस हालत में बच्चे मिलते हैं तो पहले उनसे घर व परिजनों की जानकारी लेते हैं और परिजनों को सूचना देकर बुलाया जाता है।

कई ऐसे बच्चे भी होते हैं जो घर का पता, परिजनों का फोन नंबर आदि की जानकारी नहीं दे पाते। इस दौरान उन्हें चाइल्ड लाइन को सौंपकर परिजनों की अपने स्तर पर तलाश भी की जाती है। 1 सितम्बर से 15 सितम्बर के बीच 9 बच्चे ट्रेन और प्लेटफार्म पर मिल चुके हैं जिन्हें चाइल्ड लाइन भेजा गया है।

भोपाल-दाहोद ट्रेन में मिली थी बच्ची… भोपाल दाहोद ट्रेन में ऑन ड्यूटी टीटी राहुल कुशवाह ने आरपीएफ उपनिरीक्षक साजिद हुसैन को सूचना दी कि सी-1 कोच में एक दो वर्ष की अबोध बालिका है।

उसे महिला हेड कांस्टेबल भारती तथा चाइल्ड लाइन की नेहा पुरी के साथ ट्रेन अटेंड कर बच्ची को उतारा गया। यात्रियों ने आरपीएफ टीम को बताया कि जबडी स्टेशन पर कोई महिला बच्ची को कोच में छोड़कर ट्रेन से उतर गई थी। उसे चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया गया।शुरू किये गये।

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