300 दवा ब्रांडों पर बार कोड या QR लगाना अनिवार्य किया

300 दवा ब्रांडों पर बार कोड या क्यूआर लगाना अनिवार्य किया
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केंद्र सरकार ने दिए नियम को सख्ती से लागू करने के निर्देश
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:दवाईयों के कच्चे माल के बाद अब दवाओं पर भी क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है। दवाओं के कच्चे माल (बेसिक ड्रग) पर बारकोड/क्यूआर कोड लगाने की व्यवस्था का नियम केंद्र सरकार बीते साल ही लागू कर चुकी थी। अब 300 दवा ब्रांडों पर बार कोड या क्यूआर लगाना अनिवार्य होगा।
दवा निमा्रध करने वालों के अनुसार वर्तमान में जो फार्मास्यूटिकल रॉ मैटेरियल भारत में बनता है या इंपोर्ट होता है दोनों पर क्यूआर कोड अनिवार्यता से कंपनियों द्वारा लगाया जा रहा है, जिसका फायदा यह होता है कि फार्मा रॉ मैटेरियल के नकली बनने व बिकने की संभावना समाप्त हो जाती है। उसी प्रकार दवाओं के एक्सपोर्ट पर भी क्यूआर कोड लगाने का नियम पहले से लागू है।
वहीं ड्रग डीलर्स एसोसिएशन द्वारा भी केंद्र सरकार से यह मांग की जा रही थी कि दवाइयों के रॉ मटेरियल के साथ-साथ जो दवाइयां भारत मे बिकती है उस पर भी क्यूआर कोड /बारकोड लागू किया जाए। एक्सपोर्ट होने वाली दवाइयों पर यह नियम लागू है तो घरेलू बाजार में दवाओं की गुणवक्ता तय करने के लिए यह नियम लागू होना चाहिए।इससे नकली दवाओं पर लगाम लग सके।
एक अगस्त 2023 या उसके बाद बने ब्रांडों पर लागू
केंद्र सरकार ने भारत के शीर्ष दवा नियामक ने शीर्ष 300 दवा ब्रांडों पर बार कोड या क्यूआर कोड लगाने के नियम को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। भारतीय औषधि नियंत्रण जनरल (डीसीजीआइ) ने फार्मा कंपनियों को नई व्यवस्था का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है और ऐसा नहीं करने पर उन पर कठोर जुर्माना लगाया जाएगा। भारत के शीर्ष दवा नियामक ने फार्मा निकाय संघों को सलाह दी है कि वे अपनी सदस्य कंपनियों को नए नियम का पालन करने की सलाह दें।
नियामक के अनुसार, यूनिक प्रोडक्ट आइडेंटिफिकेशन कोड में उचित जेनरिक नाम के अलावे ब्रांड नेम, दवा बनाने वाली कंपनी का नाम और पता, बैच नंबर, विनिर्माण की तारीख, एक्सपायरी की तारीख और विनिर्माण का लाइसेंस नंबर जैसी सभी जानकारी उपलब्ध रहनी चाहिए। अधिसूचना के अनुसार निर्दिष्ट दवा फॉर्मूलेशन के ब्रांडों के किसी भी बैच को जो एक अगस्त 2023 को या उसके बाद बना होगा, चाहे वह किसी भी विनिर्माण स्थल पर बना हो उसके लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड होना जरूरी है। दवा फॉर्मूलेशन के 300 ब्रांडों पर क्यूआर कोड प्रिंट करना/चिपकाना अनिवार्य है।
सीडीएससीओ ने दवा निर्माताओं को पत्र भेजा
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दवा निर्माताओं को इस बारे में पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई निर्माता स्वेच्छा से किसी अन्य ब्रांड के लिए बार कोड या क्यूआर कोड चिपकाना चाहता है या प्रिंट करना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है।