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45 मिनट में होगा उज्जैन-इंदौर का सफर पूरा

रैपिड रेल ट्रांजिक्ट सिस्टम रूट पर सर्वे पूर्ण,

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इंदौर के लवकुश चौराहे से महाकाल मंदिर उज्जैन तक रेल सेवा प्रोजेक्ट,

14 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कर सकते है घोषणा

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45 मिनट में होगा उज्जैन-इंदौर का सफर पूरा

@शैलेष व्यास.

उज्जैन उज्जैन-इंदौर के बीच की यात्रा को कम समय में सुगम-सरल बनाने के लिए रैपिड रेल ट्रांजिक्ट सिस्टम रूट पर सर्वे किया जा चुका है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर दोनों शहर के बीच का सफर 45 मिनट में पूरा हो जाएगा। वही यात्री महाकालेश्वर मंदिर परिक्षेत्र के एकदम करीब पहुंच जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 14 सितंबर को इंदौर में मेट्रो के ट्रायल रन के शुभारंभ अवसर पर इस प्रोजेक्ट की घोषणा कर सकते है।

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बता दें कि रैपिड रेल ट्रांजिक्ट सिस्टम जैसी परिवहन सुविधा के लिए प्रदेश की संस्कृति,पर्यटन धार्मिक एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने केंद्रीय सड़क परिवहन,राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी को पत्र लिखा था। ‘अक्षरविश्व ने सबसे पहले इस खबर को प्रकाशित किया था।’ इंदौर में मेट्रो ट्रेन चलाने की और अगले माह ट्रायल रन भी होने वाले की गतिविधियों के इंदौर के लवकुश चौराहे से महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन तक रैपिड रेल ट्रांजिक्ट सिस्टम (आरआरटीएस) भी बनाने की कवायद की जा रही है।

इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन कंसल्टेशन द्वारा इस रूट पर सर्वे किया जा चुका है। सिंहस्थ 2028 के पहले इंदौर से उज्जैन के बीच आरआरटीएस प्रोजेक्ट को तैयार करने की योजना है। ऐसे में भविष्य में इंदौर से एलिवेटेड ट्रेन में बैठकर उज्जैन जा सकेंगे। नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन द्वारा दिल्ली से मेरठ के बीच शुरू की आरआरटीएस के बाद इंदौर से उज्जैन के बीच इस तरह की ट्रेन सेवा का यह दूसरा प्रोजेक्ट देश में होगा। 14 सितंबर को इंदौर में होने वाले मेट्रो ट्रायल के रन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इंदौर से उज्जैन के बीच आरआरटीएस की घोषणा कर सकते हैं। जल्द ही इस प्रोजेक्ट के लिए निर्माण एजेंसी तय होने की संभावना जताई जा रही है।

44 किलोमीटर एलिवेटेडव और पांच किलोमीटर अंडग्राउंड होगा रेल ट्रैक

इंदौर से उज्जैन के बीच रैपिड रेल ट्रांजिक्ट सिस्टम के सर्वे के बाद इस प्रोजेक्ट के संबंध में मेट्रो रेल कार्पोरेशन के एमडी के समक्ष एक प्रेजेंटेशन दिया जा चुका है। इसमें भी इस रेल प्रोजेक्ट को शुरू करने की योजना बनाई गई थी। इंदौर के लवकुश चौराहे से महाकाल मंदिर तक 49 किमी दूरी में आरआरटीएस प्रोजेक्ट तैयार होना है। इसमें लवकुश चौराहे उज्जैन तक 44 किमी हिस्सा एलिवेटेड रहेगा।

पांच किमी अंडग्राउंड ट्रैक होगा। उज्जैन में महाकाल मंदिर के आसपास सघन बसाहट होने से एलिवेटेड मेट्रो के निर्माण के लिए जगह नहीं मिल पाएगी। ऐसे में उज्जैन में महाकाल मंदिर तक पांच हिस्सों में अंडरग्राउंड मेट्रो को प्रस्ताव दिया गया है। आरआरटीएस के इस हिस्से में 17 मेट्रो स्टेशन बनाने की योजना है। इंदौर से उज्जैन के बीच मौजूदा सड़क मार्ग के बीच सेंट्रल डिवाइडर वाले हिस्से में ही पिलर लगाए जाएंगे और उसके ऊपर वायडक्ट पर मेट्रो की तरह ही ट्रेन चलेगी।

महाकालेश्वर मंदिर के एकदम करीब पहुंच सकेंगे भक्त लोग

महाकाल-महालोक कारिडोर बनने के बाद भी इंदौर से उज्जैन जाने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। आकलन के मुताबिक प्रतिदिन इंदौर से एक से डेढ़ लाख लोग उज्जैन सड़क मार्ग से जाते हैं। ऐसे में इंदौर से सांवेर, धरमपुरी होते हुए उज्जैन तक आरआरटीएस बनने से एलिवेटेड रेल ट्रैक से लोगों की आवाजाही का मार्ग सुलभ होगा व सड़क मार्ग के मुकाबले कम समय में 40 से 45 मिनट में लोग आरआरटीएस के माध्यम से उज्जैन पहुंच सकेंगे।

इंदौर में मेट्रो का ट्रायल

इंदौर में 14 सितंबर को मेट्रो का ट्रायल रन होगा। शहर में गांधी नगर स्टेशन से सुपर कारिडोर के स्टेशन नंबर तीन के बीच 5.9 किलोमीटर हिस्से में मेट्रो का ट्रायल रन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के हाथों होना है। इसके लिए स्टेशन पर फूलों के साथ आकर्षक सजावट भी की जाएगी। इसके अलावा ट्रायल रन के शुभारंभ के पोस्टर- बैनर भी शहर में लगाए जाएंगे।

सबसे पहले अक्षरविश्व में पहल

उज्जैन-इंदौर के बीच परिवहन के विकल्प को तलाश जा रहा है। इसी क्रम में प्रदेश की संस्कृति,पर्यटन,धार्मिक एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने केंद्रीय परिवहन नितिन गड़करी को पत्र लिखा है,उसमें इंदौर-उज्जैन के बीच (आरआरटीएस) ,केबल कार की जैसी सुविधा देने की मांग की थी। इसके साथ अक्षरविश्व ने उज्जैन-इंदौर के बीच ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए आधुनिक परिवहन सुविधा की दरकार को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी।

क्या है रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम-रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम उच्च गति और उच्च क्षमता वाली रेल-आधारित सेवा है। जो परिवहन के लिए दो शहरें- क्षेत्रों को जोड़ती है। यह 160 किमी प्रति घंटे की औसत गति से हाई-फ्रीक्वेंसी, पाइंट-टू-पाइंट यात्रा की सुविधा मिलती है।

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