16 फरवरी को है बसंत पंचमी , कब और कैसे करे पूजा, जाने इसका महत्त्व

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन भी होता है। इस पर्व को प्रकृति का पर्व माना गया है, इसलिए इस दिन पीले रंग का बहुत महत्व माना जाता है। इसके साथ ही ज्ञान और स्वर की देवी मां सरस्वती की उत्पत्ति भी हुई थी, इसलिए यह दिन विद्यार्थियों, कला, संगीत के क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के लिए बहुत मायने रखता है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है और व्यक्ति ज्ञान रूपी उजाले को प्राप्त करता है। यह दिन विद्या आरंभ के लिए सबसे उत्तम माना गया है। तो चलिए जानते हैं कि बसंत पंचमी पर क्या शुभ योग बन रहे हैं और किस मुहूर्त में करनी चाहिए पूजा….
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बसंत पंचमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग
इस वर्ष बसंत पंचमी पर दो विशेष योग का निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसार इस दिन अमृत सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बनने जा रहा है। बसंत पंचमी पर पूरे दिन रवि योग रहेगा। जिससे इस पर्व का महत्व और भी अधिक बढ़ जाएगा। ज्योतिष के अनुसार इस बार बसंत पंचमी पर रेवती नक्षत्र रहेगा। इसे बुध का नक्षत्र माना जाता है और ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि, चातुर्य और वाकपटुता यानि वाणी का कारक माना गया है। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।
पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी की तिथि: 16 फरवरी 2021
पंचमी तिथि आरंभ: 16 फरवरी 2021 दिन मंगलवार सुबह 03 बजकर 36 मिनट से
पंचमी तिथि समाप्त: 17 फरवरी 2021 दिन बुधवार दोपहर 05 बजकर 46 मिनट तक
सरस्वती पूजा का शुभ मुहुर्त- 16 फरवरी 2021 प्रातः 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि-
- बसंत पंचमी पर प्रातः जल्दी उठकर स्नादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. हो सके तो पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- इसके बाद एक चौकी पर आसन बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- मां सरस्वती का तिलक करें और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाएं और पीले पुष्पों से मां सरस्वती का पूजन करें।
- तत्पश्चात मां सरस्वती को मिष्ठान का भोग लगाएं।
- इस दिन पढ़ाई से संबंधित सामाग्री जैसे कापी किताब आदि को भी मां सरस्वती के समक्ष रखकर पूजें।
- संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोगों को वाद्ययंत्रों की पूजा करनी चाहिए।
- पूजा संपन्न होने के बाद सरस्वती माता की स्तुति पढ़े।
वसंत की विभिन्न छटाएं
वसंत पंचमी के दिन श्रद्धालु गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के बाद मां सरस्वती की आराधना करते हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में तो श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा और संगम के तट पर पूजा अर्चना करने आते हैं। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड व अन्य राज्यों से श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश के तात्पानी में एकत्रित होते हैं और वहां सल्फर के गर्म झरनों में स्नान करते हैं। इस दिन उत्तर भारत के कई भागों में पीले रंग के पकवान बनाए जाते हैं और लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं। पंजाब में ग्रामीणों को सरसों के पीले खेतों में झूमते तथा पीले रंग की पतंगों को उड़ाते देखा जा सकता है। पश्चिम बंगाल में ढाक की थापों के बीच सरस्वती माता की पूजा की जाती है तो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में प्रसिद्ध सिख धार्मिक स्थल गुरु−का−लाहौर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही सिख गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था।