उज्जैन:हमारे शहर के कोरोना योद्धा जो डटे हुए हैं आपकी सेवा और सुरक्षा के लिए जबकि…

By AV NEWS

किसी के परिवार ने पैतृक गांव आ जाने को कहा तो किसी ने एक वर्ष के लिए यह पेशा छोडऩे की दी सलाह

उज्जैन।शहर के युवा डॉक्टर्स की टीम इस समय संभाग के एकमात्र कोविड-19 हॉस्पिटल,माधवनगर में कोरोना मरीजों की साज संभाल में जुटी हुई है। यह वे युवा है, जिन्होने डिग्री लेते वक्त शपथ ली थी कि वे मरीज की जान बचाने का अंतिम प्रयास करेंगे। अब वे अपनी शपथ को पूरी करते हुए इसी प्रयास में अपने परिवार और बच्चों को मिस करते हुए सतत 12 से 18 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे कर्मयोद्धाओं से अक्षरविश्व ने चर्चा की और उनके जज्बे को सलाम करते हुए उनसे पूछा कि वे हाई रिस्क झोन(कोरोना मरीजों के वार्ड एवं आयसीयू)में काम करने के बाद जब घर पहुंचते हैं तो क्या सावधानियां रखते हैं ?

सभी को ङ्क्षचता रहती है


डॉ.शशांक रावत के अनुसार गत वर्ष से सतत शा.माधवनगर की आयसीयू में सेवा दे रहा हूं। घर में माता-पिता के अलावा छोटा भाई और बहू है। दो छोटे बच्चे हैं। एक पांच वर्ष की श्रेया और दूसरी 9 माह की ओजस्वी। रोजाना घर जाने पर घर के बाहर बाड़े में कपड़े उतारकर स्वयं साबून से धोता हूं, इसके बाद स्नान करता हूं। सारा सामान सेनेटाईज करता हूं और अलग जगह पर रख देता हूं। इसके बाद अपने कमरे में जाता हूं।

घर के कपड़े पहनकर परिवार के बीच जाता हूं। चूंकि संयुक्त परिवार में रहते हैं, ऐसे में सभी रात का खाना अक्सर साथ में खाते हैं। नाइट ड्यूटी रहती है तो खाना खाकर निकलता हूं और नहीं रहती है तो रात में सबके साथ खा लेता हूं। सभी को मेरी चिंता रहती है और मुझे परिवार की। वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुका हूं। रोजाना महाकाल से प्रार्थना करता हूं कि मैरे हाथों से अधिक से अधिक जान बचे और लोग स्वस्थ होकर अपने घर जाएं। मरीज के परिवारों की आंखों में उठने वाले प्रश्न मन को द्रवित कर देते हैं। उन्हे यही कहता हूं कि सब ठीक हो जाएगा।

परिवार को गांव छोड़ा


डॉ.सुखदेव मुण्डला गांव से हैं। गत वर्ष से माधवनगर अस्पताल में कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे हैं और आयसीयू में सेवा दे रहे हैं। उन्होने बताया कि गत वर्ष जब कोरोना चरम पर था। लगातार मौतें हो रही थी तो परिवारजनों ने सलाह दी कि यह काम एक वर्ष के लिए छोड़ दूँ घर आ जाउं। मैने अपनी पत्नि बच्चे को पैतृक गांव छोड़ा और स्वयं यहां रहकर कर्तव्य निभाया। लगातार ड्यूटी करते हुए एक वर्ष से अधिक हो चुका है।

वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं। घर जाने पर सारी सावधानियां रखता हूं,ताकि परिवार पर संक्रमण का असर न गिरे। अब परिवार में भी विश्वास जाग गया है। ड्यूटी से घर जाने के बाद एक वर्ष से स्वयं के कपड़े धोना, बाहर ही नहाना, अपने कक्ष में जाकर आयसोलेट हो जाना,आदि काम करता हूं। अनेक बार जब मन नहीं करता है तो अपने कमरे में ही खाना खा लेता हूं। सामान्य दिनों में परिवार के साथ समय देता हूं। अभी हालात खराब है, इसलिए स्वयं को आयसोलेट कर लेता हूं।

स्वयं को आइसोलेट किया


डॉ.राहुल के अनुसार वे एक वर्ष से माधवनगर अस्पताल में लगातार आयसीयू और ओपीडी में सेवा दे रहे हैं। कोरोना मरीजों के बीच लगातार काम करते हुए स्वयं को बहुत संतुलित रखना पड़ता है। मरीजों की साज संभाल करना और उनके शरीर पर कोरोना वायरस के अचानक आने वाले परिवर्तनों को समझकर तत्काल दवाईयों में बदलाव करना, स्टॉफ के साथ आयसीयू में लगातार मानीटरिंग करके मरीज की स्थिति में कैसे सुधार आए, यह देखना आदि करता हूं। इसके लिए सबसे बड़ी आवश्यकता होती है एकाग्रता की।

यही एकाग्रता घर पर भी रखता हूं। परिवार से अलग, उपरी मंजिल पर स्थित कमरे में स्वयं को एक वर्ष से आयसोलेट कर रखा है। परिवार के साथ निश्चित दूरी रखकर बातचीत होती है। परिवारजन भोजन की थाली दे देते है, वापस धोकर देता हूं। यह सावधानी रखने से एक वर्ष हो गया,पूरा परिवार कोरोना से सुरक्षित है। महाकाल से प्रार्थना रहती है कि आगे भी सब ठीकठाक रहे।

फोन पर मार्गदर्शन देता हूँ


डॉ.चंदेल की ड्यूटी इस समय चरक कोविड सेंटर पर है। वे लगातार मरीजों की मानीटरिंग में लगे हुए हैं। नोडल अधिकारी होने से वे 24 घंटे मरीजों को देखने, उनकी काउंसलिंग करने तथा आगे के निर्णय लेने में जुटे रहते हैं। उनके परिवार में एक 2 वर्ष का एवं एक 7 वर्ष का बच्चा है। उनके अनुसार इस समय चरक भवन में सारे बेड भरे हैं और मरीजों का आना जाना चलता रहता है।

इन सबके बीच काम करते हुए घर पर भी जाना होता है। घर जाने का समय तय नहीं है लेकिन जाने के बाद स्वयं के कपड़ों को धोना, सैनिटाइज होना,सामान आदि को सैनिटाइज करके अलग रखना तथा बीच-बीच में फोन आने पर मार्गदर्शन करने का काम भी चलता रहता है। परिवार के बीच सारी सावधानी के साथ समय बिताते हैं। फूड हेबीट नार्मल रखी है। जंक फूड ओर अन्य तला हुआ भोजन इस सम अवाइट करते हैं, ताकि शरीर की इम्युनिटी बनी रहे और लगातार काम करने के बाद संक्रमण की चपेट से दूर रह सकें।

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