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उज्जैन:रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर अभी भी परेशानी में है प्रायवेट हॉस्पिटल के मरीज, डिमांड अधिक सप्लाई कम

निजी अस्पताल संचालक बोले इंजेक्शन किस मरीज को लगाए यह भी प्रशासन तय करके भेजें

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उज्जैन। शहर में राज्य सरकार के माध्यम से आ रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर जिला प्रशासन की नीति तो साफ है लेकिन मरीजों के परिजनों का आरोप है की प्रायवेट हॉस्पिटल्स एवं नर्सिंग होम्स में कोविड मरीजों का उपचार कर रहे डॉक्टर्स द्वारा मरीजों के परिजनों के समक्ष स्थिति साफ नहीं की जा रही है। इस प्रकार की शिकायत सीएमएचओ एवं ड्रग इंस्पेक्टर के पास भी पहुंच रही है।

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इनका कहना है…
ड्रग इंस्सपेक्टर धरमसिंह कुशवाह के अनुसार हमारे पास हॉस्पिटल से अधिकृत डिमाण्ड आती है। उसी अनुसार प्राप्त इंजेक्शनों में से वितरण करते हैं। सीधे किसी मरीज को पर्चे के आधार पर देने की शासन की ओर से मनाही है। कई लोग सीधे फोन लगाकर मांग करते हैं,जबकि यह जिम्मेदारी हॉस्पिटल प्रबंधन की है।

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यहां हो रही है गड़बड़ी…
सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल के अनुसार उनके पास अनेक शिकायतें आ रही है कि डॉ.ने इंजेक्शन लिख दिया और हॉस्पिटल से नहीं मिल रहा है। इसके पीछे का मूल कारण मरीजों के परिजनों को और समझना होगा। डॉ. खण्डेलवाल ने सलाह दी कि यदि उनके मरीज को कोविड है और उसका उपचार प्रायवेट हॉस्पिटल में चल रहा है तथा उपचार कर रहा डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखता है तो परिजन डॉक्टर से कहे कि शासन के नियमों का पालन करे।

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शासन के निर्देश है कि जो भी डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखेगा,वह तय प्रोफार्मा को भरेगा। उस कागज में डॉक्टर का नाम, पंजीयन क्रं. मरीज का नाम, बेड नम्बर, बीमारी, रेमडेसिविर क्यों लगाना है,आदि जानकारी भरेगा। इसके बाद वह पर्चा डॉक्टर सीधे हॉस्पिटल संचालक को देगा। यहां से शाम को एक साथ डिमाण्ड जाएगी और संबंधित मरीज के नाम से इंजेक्शन जारी होगा तथा उसे अनिवार्य रूप से लगाना होगा। यदि कोई डॉक्टर यह पर्चा नहीं भरता है और सिर्फ इंजेक्शन लिखकर चला जाता है तो इसकी शिकायत मरीज के परिजन संबंधित हॉस्पिटल के संचालक को करें। वे उक्त फार्म भरवाएंगे और इंजेक्शन का इंतजाम करवाएंगे।

निजी अस्पताल संचालक बोले : इंजेक्शन के साथ मरीजों की सूची भी बना कर दे प्रशासन
दूसरी और निजी नर्सिंग होम संचालकों का कहना है की हमारे यहां से जितनी डिमांड जाती है उतने पूरे इंजेक्शन प्राप्त नहीं होते। उदहारण के तौर पर यदि 20 इंजेक्शन की डिमांड गई और 14 इंजेक्शन प्राप्त हुए तो हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है की किसे इंजेक्शन लगाएं और किसे नहीं। मरीज या उनके परिजनों को हम संतुष्ट नहीं कर पाते। इसलिए प्रशासन इंजेक्शन के साथ मरीज के नाम की भी एक सूची बना कर दे की किन मरीजों को हम यह इंजेक्शन लगाए या किन मरीजों के लिए उन्होंने यह इंजेक्शन स्वीकृत किये हैं। इस व्यवस्था से इंजेक्शन की कालाबाजारी भी रुकेगी और अस्पतालों में विवाद की स्थिति नहीं बनेगी।

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