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एस्ट्रोबायोलॉजी इसरो व नासा में काम का मौका…

बारहवीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम का चयन करने वाले स्टूडेंट्स के लिए इंजीनियरिंग, मेडिकल, रिसर्च जैसे फील्ड्स में काम करने के अलावा भी कई क्किल्प उपलब्ध हैं। इनमें एस्ट्रोबायोलॉजी एक अच्छा क्किल्प है। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो ) जैसे स्पेस ऑर्गेनाइजेशन द्वारा पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों में जीवन की संभावनाओं को तलाशने के कार्यों ने एस्ट्रोनॉमी से जुड़े क्षेत्र – एस्ट्रोबायोलॉजी में स्कोप बढ़ा दिया है।

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उदाहरण के तौर पर नासा द्वारा मार्स में जीवन ढूंढने के लिए शुरू किया गया पहला मिशन मार्स साइंस लैबोरेटरी (एमएसएल ) में एस्ट्रो बायोलॉजिस्ट का बड़ा योगदान है। इसके साथ ही यूरोपियन स्पेस एजेंसी, रशियन फेड्रल स्पेस एजेंसी (रॉसकॉसमॉस ) के साथ मिलकर एक्सोमार्स एस्ट्रोबायोलॉजी रोवर बना रहा है। वहीं मार्स पर जाने के बाद पृथ्वी पर लौटने के लिए नासा मार्स एस्ट्रोबायोलॉजी रोवर बनाना रहा है। स्पष्ट है कि आने वाले समय में एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट की मांग और बढऩे वाली है। ऐसे में अगर आपने बारहवीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम का चयन किया है और एस्ट्रोनॉमी में कैरिअर बनाना चाहते हैं तो एस्ट्रोबायोलॉजी से जुड़ी जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी।

ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति से जुड़ा विषय है एस्ट्रोबायोलॉजी

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एस्ट्रोबायोलॉजी जिसे हिंदी में खगोल कहा जाता है, दरअसल यह विज्ञान,  ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति, विकास, वितरण और भविष्य से जुड़ा विषय है। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, एस्ट्रोनॉमी, बायोलॉजी, इकोलॉजी, प्लैनेटरी साइंस, ज्योग्राफी और जियोलॉजी का इस्तेमाल कर दूसरी दुनिया में जीवन तलाशने का काम किया जाता है। चुंकि जीवन की उत्पत्ति से संबंधित विषय में साइंस स्ट्रीम से जुड़े हर व्यक्त की जरूरत होती है। यही कारण है कि विज्ञान के क्षेत्र में बारहवीं या ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स इस कोर्स की पढ़ाई कर सकते हैं।

एस्ट्रोबायोलॉजी में कर सकते हैं एमएससी या पीएचडी

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एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट बनने के लिए एस्ट्रोनॉमी, जियोलॉजी, इकोलॉजी, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, प्लेनेट्री साइंस, जियोग्राफी, केमिस्ट्री, फिजिक्स जैसे विषयों में ग्रेजुएशन अनिवार्य है। यूजी के बाद इसमें डिप्लोमा, सर्टिफिकेट या एमएससी की पढ़ाई की जा सकती है।

विदेश में भी कर सकते हैं पढ़ाई

फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यूएसए के स्पेस साइंस एस्ट्रोबायोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई नासा एस्ट्रोबायोलॉजी इंस्टीट्यूट, कनाडा के कैनेडियन एस्ट्रोबायोलॉजी ट्रेनिंग प्रोग्राम आदि से पढ़ाई कर सकते हैं। अलावा नासा में इंटर्नशिप का अवसर भी मिलता है।

इन इंस्टीट्यूटस से कर सकते हैं पढ़ाई

देशभर में कई संस्थान और यूनिवर्सिटी हैं जो बैचलर्स, मास्टर्स आदि प्रोग्राम के अलावा सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स और शोध कार्य भी संचालित करती है। सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी, पुणे, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु, इंडियन एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट रिसर्च सेंटर, मुम्बई, एम.पी. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, बेंगलुरु

नासा और इसरो में काम करने का मिलेगा मौका-

इस क्षेत्र में अध्ययन के बाद एस्ट्रोनॉमी, जियोलॉजी, स्पेस साइंस रिसर्च, बायोमेडिकल रिसर्च, एनवायरनमेंट रिसर्च के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। बायोकेमिस्ट और एस्ट्रोनॉमर के तौर पर इसरो व नासा जैसे संस्थानों का हिस्सा बन सकते हैं। इसके अलावा वैज्ञानिक, जियोसाइंटिस्ट, एस्ट्रोनॉमर, बायोकेमिस्ट आदि पदों पर काम कर सकते हैं। देशी और विदेशी यूनिवर्सिटी या कॉलेजों में होने वाले रिसर्च कार्यों के दौरान आप बतौर एस्ट्रो बायोलॉजिस्ट काउंसलर के रूप में भी जा सकते हैं।

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