उज्जैन:समय पर मीटर रीडिंग नहीं होने से बदल जाता स्लैब

नतीजा- महंगी पड़ रही यूनिट, सब्सिडी का भी नहीं मिल पा रहा लाभ

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अप्रैल-मई में 40 प्रतिशत से भी कम उपभोक्ताओं के यहां हुई मीटर रीडिंग

उज्जैन। शहर के बिजली उपभोक्ताओं को कोरोना काल के बीच बढ़े बिजली बिल परेशान कर रहे हैं। बिजली कंपनी के कुछ जोन में इस तरह की शिकायतें ज्यादा हैं। जहां समय पर मीटर रीडिंग नहीं होना और औसत बिल जारी करना समस्या का कारण बना हुआ है। खास बात तो यह है कि इस संबंध में बिजली कंपनी अधिकारी खुद स्वीकार कर रहे है कि कोरोना काल में 50 से 60 प्रतिशत घरों में ही मीटर रीडिंग हो सकी हैं। वहीं कुछ बिजली जोनों में मीटर रीडिंग का कार्य 40 प्रतिशत से भी कम रहा है। कंपनी के सूत्रों के अनुसार बढ़े हुए बिलों की ज्यादातर शिकायतें महाश्वेता नगर जोन, खेड़ापति जोन, कियोस्क जोन में ज्यादा आ रही हैं। इन जोनों में अप्रैल-मई में उपभोक्ताओं के यहां मीटर रीडिंग नहीं किए जाने से अब उपभोक्ताओं को बिना रीडिंग के एवरेज वाले बिल थमाएं जा रहे हैं।

रीडिंग नहीं होने से महंगी पड़ रही बिजली
लगातार दो महीने रीडिंग नहीं होने के बाद जब रीडिंग ली जाती है तो उपभोक्ता की खपत बढ़ जाती है और उसका स्लैब भी बदलने से उसके लिए बिजली भी महंगी होती है। इसे यूं समझा जा सकता है। 100 यूनिट तक की खपत वाले उपभोक्ता के लिए बिजली की दर करीब 4 रुपए प्रति यूनिट होती है। एक-दो महीने गैप होने के बाद उपभोक्ता के यहां रीडिंग होती है तो यूनिट भी दोगुनी दर्ज हो जाती है।

इनका कहना है
हां, मीटर रीडिंग नहीं होने से भी बढ़ सकती है खपत, उदाहरण के तौर पर यदि किसी घरेलू उपभोक्ता के यहां एक माह में 100 यूनिट बिजली खपत होती है, यदि किसी माह उसके यहां मीटर रीडिंग नहीं हुई वहीं कंपनी द्वारा जीरो यूनिट का बिल भेजा गया, लेकिन जब दूसरे माह रीडिंग हुई तो उसकी यूनिट 100 से बढ़कर 200 हो जाती है, ऐसे में उपभोक्ता बिजली सब्सिडी के बाहर हो जाता हैं।
– सचिन मालवीय, जेई, कियोस्क जोन

रीडिंग नहीं होने से नहीं मिल रहा सब्सिडी का लाभ
बिजली कंपनी द्वारा 150 यूनिट तक बिजली खपत पर सब्सिडी मिलने के आदेश हैं, लेकिन दो-दो माह तक मीटर रीडिंग नहीं होने से 100 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के यहां भी बिजली की खपत ज्यादा हो रही हैं, जिसके कारण प्रतिमाह 150 यूनिट से कम खपत वाले उपभोक्ताओं को भी सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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