दो दिनों पूर्व इंजेक्शन लगाने के बाद मरीजों की तबियत बिगड़ी थी
उज्जैन। कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके कुछ लोगों में पोस्ट कोविड के चलते ब्लैक फंगस की बीमारी हो रही है जिन्हें जिला चिकित्सालय के विभिन्न वार्डों में भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है। खास बात यह कि वार्ड फुल हो चुके हैं, कुछ मरीज घर से गद्दे लाकर लेटे हैं। दो दिनों पूर्व इंजेक्शन लगाने के बाद मरीजों की तबियत बिगड़ी थी। कल मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगाये गये।
जिला चिकित्सालय के एफ वार्ड, हड्डी वार्ड के पास और ए वार्ड में ब्लैक फंगस के मरीजों को भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है। एक दिन पहले तक इन वार्डों में मरीजों की कुल संख्या 35 थी जो बढ़कर 38 हो चुकी है। अस्पताल स्टाफ ने बताया कि मरीजों के उपचार में 8 हजार रुपये का एक इंजेक्शन प्रतिदिन, एक हजार रुपये की एक गोली प्रतिदिन 8 गोलियां दी जाती हैं। शासन स्तर पर इंजेक्शन व गोलियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। कभी स्टाक खत्म होने पर इंजेक्शन नहीं लगाये जाते। दो दिनों पहले इंजेक्शन लगाने के कारण कुछ मरीजों की तबियत बिगड़ गई थी संभवत: इसी कारण शुक्रवार को मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगाये गये। अस्पताल में भर्ती मरीज भूपेन्द्र माली निवासी देवास के पुत्र लखन ने बताया कि शुक्रवार को इंजेक्शन नहीं लगाये गये। वहीं भेरूसिंह निवासी खोकरिया के पुत्र महेन्द्र ने बताया कि पिता की तबियत बिगड़ी थी लेकिन अभी ठीक हैं। एफ वार्ड में भर्ती मरीज सतीश पिता बाबूलाल निवासी मेंडिया को रैफर किया गया है।
सिविल सर्जन ने सुरक्षित रखवाई संबंधित इंजेक्शन की खाली शिशियां
उज्जैन। जिला हॉस्पिटल में दो दिन पूर्व ब्लेक फंगस के उपचार के लिए लगाए जा रहे एंटी फंगस इंजेक्शन को लगाने के बाद कुछ मरीजों द्वारा कंपकपी की शिकायत की गई थी। जिला हॉस्पिटल में आज सुबह तक 35 मरीज ब्लैक फंगस के उपचार के लिए भर्ती थे। इनमें से पांच ऐसे हैं जिनकी आंखों में संक्रमण आ गया है। संभावना है कि इन्हे आज शाम तक एम व्हाय, इंदौर या उनके परिजनों की इच्छा होने पर किसी अन्य प्रायवेट हॉस्पिटल अथवा आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज में रैफर कर दिया जाए। शेष मरीजों ने चर्चा में कहाकि यहां उपचार ठीक चल रहा है और वे संतुष्ट हैं। सिविल सर्जन डॉ.पी एन वर्मा के अनुसार हमने शिकायतवाले दिन की इंजेक्शन की सारी खाली शिशियां पंचनामा बनाकर सुरक्षित रख दी है। किसी को जांच करवाना हो तो करवा सकते हैं। इसमें न तो हॉस्पिटल प्रशासन की गलती है और न ही कर्मचारियों की। जो इंजेक्शन प्राप्त होते हैं,वही लगाए जाते हैं। भोपाल स्थित मुख्यालय को बता दिया है। उस दिन वाले इंजेक्शन अब नहीं आ रहे हैं। लेकिन वह भी गलत नहीं थे।