उज्जैन:तीसरी लहर और डेल्टा प्लस वैरिएंट के खतरे के अनुमान के बीच जिले में सीरो सर्वे शुरू

लेकिन जिन पर तीसरी लहर के सबसे ज्यादा प्रभाव का अनुमान वे 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को ही सर्वे में नहीं किया शामिल

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उज्जैन।शहर में जबलपुर से आई टीम द्वारा शासकीय स्वास्थ्य कर्मचारियों के ब्लड सेंपल लिए जा रहे हैं। आज यह टीम आम जनता के बीच से चिंहित सेम्पल लेगी। ये सेम्पल चैन्नई भेजे जाएंगे। वहां से जांच रिपोर्ट आएगी कि कितने प्रतिशत लोगों में कितने प्रतिशत एंटीबॉडी, कोरोनारोधी दो टीके लगवाने के बाद बनी है? इससे यह निष्कर्ष निकाला जाएगा कि तीसरी लहर में उज्जैन जिले के लोग कोरोना यौद्धा की तरह लड़ पाएंगे या नहीं ? इस टीम द्वारा शून्य से 17 वर्ष तक के बच्चों के सेम्पल लिए जाएंगे,ऐसा फिलहाल तय नहीं है।

गत वर्ष भी सीरो सर्वे हुआ था। उसके जांच सेम्पल भी चैन्नई भेजे गए थे। वहां से क्या रिपोर्ट मिली और उस रिपोर्ट के आधार पर क्या रणनीति कोरोना से लडऩे के लिए बनाई गई,इसकी जानकारी मीडिया से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कथित तौर पर छिपा ली गई। यह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। जबलपुर से आई टीम द्वारा मंगलवार को स्वास्थ्य कर्मचारियों के ही ब्लड सेम्पल लिए गए। बुधवार को आम आदमी के बीच से सेम्पल लिए जाएंगे। यह मांग उठ रही है कि इस टीम द्वारा शहर के संक्रमित रहे हॉट स्पाट क्षेत्रों में बच्चों के भी सीरो सर्वे हो,ताकि यह पता चल सके कि तीसरी लहर जिसमें बच्चों को खास करके चिंता के दायरे में लिया गया है,कितने प्रतिशत में एंटीबॉडी है?

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बच्चों का सीरो सर्वे बहुत आवश्यक- डॉ.कुमरावत
जिले के डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ डॉ.संजीव कुमरावत के अनुसार मुंबई में बच्चों के सीरो सर्वे में 51 प्रतिशत बच्चों में कोरोना संक्रमण के प्रति एंटीबॉडीज पाई गई। याने वहां तीसरी लहर में 49 प्रतिशत बच्चों की ओर खास ध्यान रखना है,जिनमें इम्युनिटी की कमी है या अन्य गंभीर बिमारियों से पीडि़त है। उनके अनुसार मुंबई में 1 अप्रेल से 15 जून तक 45 दिनों में नवजात शिशु से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों का सीरो सर्वे करवाया गया। यह सर्वे वहां के चिंहित 24 वार्डो में किया गया और 2100 सेम्पल लिए गए। इस सर्वे में निष्कर्ष निकला कि 51 प्रतिशत बच्चों में कोविड के प्रति एंटीबॉडी पाई गई।

अर्थात ये वे बच्चे थे,जिन्हे कोरोना संक्रमण हुआ था और जो अब कोविड के विरूद्ध अपने शरीर में इम्युनिटी पैदा कर चुके हैं। ये वे बच्चे थे जो हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुए। इनमें कोरोना के माइल्ड लक्षण थे या बिना लक्षण के इन्हे कोविड छूकर निकल गया था। डॉ.कुमरावत के अनुसार विशेषज्ञों को केवल एक ही चिता है कि यदि कोरोना का वायरस म्यूटेंट होता है और म्युटेशन के कारण इम्युनिटी सिस्टम पर हावी हो जाता है,तब उसे मात देना मुश्किल होगा। इसी कारण से बच्चों में कोरोनारोधी टीका लगवाने के प्रति चिंता लेना होगी। उन्होने कहाकि उज्जैन जिले में डेल्टा+वेरिएंट मिल चुका है। ऐसे में हमारे यहां भी यदि बढ़ों के साथ बच्चों का सीरो सर्वे होना चाहिए।

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इनका कहना है: सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल के अनुसार टीम से आग्रह किया जाएगा कि वे शून्य से 17 वर्ष तक के बच्चों के भी रैंडम सेंपल लें ताकि उनमें एंटीबॉडी का पता लगाया जा सके।

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