Pregnancy में ऐसे रखें बेबी का ख्याल

अगर आप पहली बार मां बन रही हैं तो आपके लिए यह जानना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यहां हम आपको गर्भावस्था को हेल्दी बनाए रखने और नौ महीनों के दौरान शिशु के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी टिप्स बता रहे हैं।
संतुलित आहार
प्रेगनेंसी के दौरान ही नहीं बल्कि कंसीव करने से पहले और डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को अपनी डायट का ध्यान रखना होता है। प्रेगनेंसी में पौष्टिक आहार लेने से शिशु के मस्तिष्क का सही विकास होने में मदद मिलती है और जन्म के समय शिशु का वजन भी ठीक रहता है। संतुलित आहार से शिशु में जन्म विकार, प्रेगनेंसी में एनीमिया, मॉर्निंग सिकनेस आदि से भी बचाव होता है। जंकफूड खाने से बचें।
कैसी एक्सरसाइज करें
स्वस्थ और फिट रहने के लिए एक्सरसाइज से बेहतर और कोई तरीका नहीं है। प्रेगनेंसी में बढ़ने वाले वजन को भी एक्सरसाइज से कंट्रोल किया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो नियमित व्यायाम से मां और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं लेकिन गर्भावस्था में सही एक्सरसाइज चुनना बहुत जरूरी है।
सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मॉडरेट इंटेसिंटी एक्सरसाइज करें। रोज कुछ मिनट पैदल चलें। ब्रीदिंग एक्सरसाइज से भी फायदा होगा, लेकिन भारी वजन उठाने वाली और कठिन व्यायाम करने से बचें।
अच्दी आदतें अपनाएं
स्वस्थ जीवनशैली का सीधा प्रभाव बच्चे की सेहत पर पड़ेगा। गर्भवती महिला को तंबाकू, सिगरेट और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। प्रेगनेंसी में शराब पीने से मां की रक्त वाहिकाओं से एल्कोहल शिशु की रक्त वाहिकाओं में पहुंच सकता है जिससे फीटल एल्कोहल सिंड्रोम हो सकता है।
ऐसा प्रेगनेंसी के नौ महीनों में लगातार शराब पीने से होता है। सिगरेट शिशु तक पहुंचने वाले ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह को प्रभावित कर सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्भावस्था के दौरान इन सब चीजों से दूर रहें
स्ट्रेस
स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन है तनाव यानी स्ट्रेस। स्ट्रेस का असर गर्भवती महिला और उसके बच्चे दोनों पर पड़ता है। मानसिक और शारीरिक तनाव से दूर रह कर प्रेगनेंसी और प्रसव के दौरान कई संभावित जटिलताओं से बचा जा सकता है।
स्ट्रेस के कारण कंसीव करने में भी दिक्कत आ सकती है और यहां तक कि प्रीमैच्योर लेबर भी हो सकता है। यही वजह है कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहने की सलाह दी जाती है।
एरोमाथैरेपी
एरोमा थैरेपी के लिए एसैंशियल ऑयल प्रयोग में लाए जाते हैं। एसैंशियल ऑयल ऑयल के कारण मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान एरोमाथेरेपी लेने से बचें। रिचर्स के मुताबिक नेर ऑयल (ऑरेंज ब्लॉसम फ्लॉवर) तथा मैनड्रेन, ये दो ऐसे ऑयल हैं जो सबसे ज्यादा आराम देने वाले तथा सेफ हैं। इन्हें गर्भावस्था में प्रयोग में लाया जा सकता है। लेवेंडर ऑयल प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में प्रयोग में न लाएं। इसे तीन महीने बाद यूज किया जा सकता है।
एक्स-रे
प्रेग्नेंसी के दौरान एक्स रे न करवाएं तो बेहतर है। डैंटल एक्स-रे भी भ्रूण को नुक्सान पहुंचा सकता है।
विटामिन ए
विटामिन ए कि जरूरत से ज्यादा सेवन बच्चे में बर्थ डिफैक्ट पैदा कर सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन ए का सप्लीमैंट न लें। अगर आप मल्टी विटामिन ले रही हैं तो चैक करें कि उसमें विटामिन ए न हो।