कब है सर्व पितृ अमावस्या, इन बातो का ज़रूर रखे ध्यान

By AV NEWS

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है. माना जाता है  कि इन 15 दिनों तक पितृ पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिजनों के बीच रहकर अन्न और जल ग्रहण करते हैं. सर्व पितृ अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है. ये पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है.

शास्त्रों के मुताबिक वैसे तो पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर उन्हें याद कर पिंडदान, श्राद्ध करना चाहिए, लेकिन अगर किसी कारण संभव न हो पाए तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों को नाम से दान और ब्रह्रण या जरूरतमंदों को भोजन कराने से भी पूर्वज प्रसन्न होते हैं. इनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है.अपनी सेवा से प्रसन्न होकर वो अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

पितृपक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है. इसे सर्वपितृ अमावस्या या पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पितरों को विशेष तरह से विदाई दी जाती है. इस बार पितृ पक्ष 10 सिंतबर को शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं. यानी सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर है. पितरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहे इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.


इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए ब्राह्मणों को घर बुलाएं और आदर के साथ उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें। इस दिन गाय, कुते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होंगे।

सर्व पितृ अमावस्या के दिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं,गाय को हरा चारा खिलाएं ऐसा करने से आपको कष्टों से मुक्ति मिलेगी।पितृपक्ष में पशु पक्षियों को अन्न-जल देने से विशेष लाभ मिलता है। इन्हें भोजन देने से पितृगण संतुष्ट होते हैं।

इस दिन पितरों के निमित्त असहाय एवं गरीब लोगों को भरपेट भोजन कराएं। ऐसा करने से घर की आर्थिक परेशानी दूर होती है और धन संपत्ति का आगमन होता है।

इस दिन संध्याकाल में घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपको सभी सुखों की प्राप्ति होगी।

अनेकों परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं और किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें।

यह न करें

सर्वपितृ अमावस्या के दिन जो कोई भी व्यक्ति आपके घर दान-दक्षिणा लेने आए उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। आप जितना दान या दक्षिणा देने में समर्थ हों उतना जरूर करें। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अगर इस दिन आपके घर कोई भूखा व्यक्ति खाना मांगते हुए आता है तो उसे खाने के लिए मना नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को खाना खिलाएं या चावल-आटा दान करें।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन भूलकर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें,ऐसा करना पितृ दोष का कारण बन सकता है इसलिए इस दिन मांस-मदिरा के सेवन से बचें।

इस दिन बाल,नाखून नहीं काटने चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि इस दिन दाढ़ी भी नहीं बनानी चाहिए ,मान्यता के अनुसार ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

इस दिन किसी के साथ बुरा व्यवहार न करें। अपने से बड़े लोगों का अपमान नहीं करें ऐसा व्यवहार अच्छा नहीं माना जाता है। माना जाता है कि विशेष रूप से सर्वपितृ अमावस्या के दिन ऐसा करने से घर में पितृ दोष लगता है।

सर्व पितृ अमावस्या पर कैसे दें पितरों को विदाई ?

सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन स्नान कर सफेद वस्त्र पहनकर पितरों के नाम तर्पण करें.

दक्षिण मुखी होकर बैठे और एक तांबे के पात्र में गंगाजल या स्वच्छ पानी भर लें. उसमें काले तिल और थोड़ा कच्चा दूध और कुशा डालकर तर्पण करें. तर्पण करते वक्त इस मंत्र का जाप करें. ‘ॐ पितृ गणाय विद्महे जगधारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात्’ और पितरों की शांति की प्रार्थना करें.

इस दिन ब्राह्रण भोजन जरूर कराएं. भोजन में खीर जरूर बनवाएं. ब्राह्मणों के लिए जो भोजन बनाया है उसमें से 5 हिस्से निकालें, देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों के लिए.

अब ब्राह्मणों को वस्त्र और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा उनका आशीर्वाद लें और उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें. इस दिन दीप दान करने की परंपरा है.

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