महाकाल के शिवलिंग पर टू लेयर कपड़ा लगाकर होगी भस्मआरती
एएसआइ-जीएसआइ की टीम ने किया महाकाल मंदिर का निरीक्षण, प्रबंध समिति को दिए सुझाव
उज्जैन।महाकाल मंदिर के शवलिंग क्षरण रोकने व इसे सुरक्षित रखने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने करीब चार साल पहले आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) और जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) की रिपोर्ठ के बाद कुछ खास उपाय करने के संबंध में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को दिशा-निर्देश दिए थे।
साथ ही एएसआइ-जीएसआइ को कहा था कि समय-समय पर शिवलिंग का निरीक्षण-जांच कर मंदिर समिति को उचित कदम उठाने के सुझाव दें।
इसकी रिपार्ट भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। इसी क्रम में एएसआइ-जीएसआइ की टीम ने दो दिन पहले महाकाल मंदिर का दौरा कर शिवलिंग की गोलाई, ऊंचाई नापने के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री और जल का सैंपल भी लिए है। मंदिर समिति से कहा है कि महाकाल की भस्म आरती के समय शिवलिंग को टू-लेयर कपड़े से ढंका जाएगा। कोटि तीर्थ के जल का पीएच वैल्यू तय रखें।
आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने दिया है। दोनों की टीम ने शुक्रवार को महाकाल मंदिर का सर्वे किया। टीम ने शिवलिंग की गोलाई, ऊंचाई नापने के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री और जल का सैंपल भी लिया है। मंदिर समिति को शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए सुझाव भी दिए हैं।
शिवलिंग का गहराई से जांच की
टीम के सदस्यों ने मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से चर्चा की। इसके बाद भगवान महाकाल के शिवलिंग का गहन परीक्षण के दौरान दल के सदस्यों ने शिवलिंग की उंचाई, गोलाई का नाप लेकर रिकॉर्ड में दर्ज किया। शिवलिंग के छिद्र में लगी दूध, दही व पूजन सामग्री निकालकर रिकॉर्ड के लिए सैंपल भी लिया। शिवलिंग पर चढऩे वाले जल और जलाधारी के जल के सैंपल भी लिए। टीम ने शिवलिंग का निरीक्षण कर फोटो भी लिए हैं।
13 माह बाद फिर पहुंची एएसआइ-जीएसआइ टीम
महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग क्षरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश एएसआइ-जीएसआइ की टीम हर साल यहां जांच करने आती है। इससे पहले 29 सितंबर 2021 को दोनों विभाग के दल के सदस्यों ने जांच की थी। मंदिर समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर आशीषसिंह ने बताया कि टीम के सदस्यों ने शिवलिंग क्षरण रोकने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। मंदिर परिसर स्थित कोटितीर्थ कुंड के जल की पीएच वैल्यू रैगुलेट करने, भस्म अर्पित करने के दौरान शिवलिंग को कपड़े से ढंकने के लिए कहा है। हालांकि अभी तक शिवलिंग पर आगे कपड़ा ढांका जाता है।
चार साल पहले यह कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
महाकाल मंदिर की व्यवस्था और शिवलिंग क्षरण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसका निराकरण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में किस तरह से पूजा अर्चना हो यह तय करना हमारा काम नहीं है। हम केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए चिंतित हैं। कोर्ट ने कहा था कि भस्म आरती कैसे होगी यह हम तय नहीं कर सकते हैं। मंदिर की पूजा पद्धति में हम किसी तरह का दखल नहीं देंगे। कोर्ट शिवलिंग को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।
कोर्ट ने कहा था कि उसने कभी यह आदेश नहीं दिया कि धार्मिक अनुष्ठान कैसे हों और किस तरह से भस्म आरती की जाए। कोर्ट ने साफ किया कि था कि उसका मंदिर और पूजा के रीति-रिवाजों से कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट यह मामला केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए सुन रहा है और इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर मंदिर प्रबंधन समिति ने यह प्रस्ताव पेश किए थे।
अक्टूबर २०१७ में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरओ के पानी से महाकाल शिवलिंग का अभिषेक किया जाना चाहिए। दरअसल, भगवान को अर्पित होने वाली सामग्री से शिवलिंग का आकार का छोटा (क्षरण) होने के चलते कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें फैसला होना था कि अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, शहद, शकर और घी) से अभिषेक हो या नहीं और कितनी मात्रा में हो। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एएसआइ-जीएसआइ की टीम जांच के लिए भेजकर रिपार्ट और अनुशंसा के साथ मंदिर प्रबंध समिति के प्रस्ताव पेश करने के आदेश दिए थे।
इसके आधार पर शिवलिंग क्षरण को रोकने के उपायों का पालन करने का कहा था। २०१८ में कोर्ट ने यह भी कहा कि मंदिर में पूजन-अर्चन, भस्म आरती कैसे हो, शृंगार कैसे किया जाए, कितनी पूजन सामग्री, भांग अर्पण की जाए यह सब तय करना मंदिर प्रबंध समिति का काम है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जीएसआइ की ओर से पेश रिपोर्ट में बीते 40 वर्षों में शिवलिंग का आकार घटना बताया था। कोर्ट ने निर्देश में शिवलिंग क्षरण रोकने व इसे सुरक्षित रखने के उपायों का पालन करने को कहा था।