एक ने स्थगन ले रखा है, शासन ने जिसे भेजा वे आए नहीं
उज्जैन।विक्रम विवि में कुलसचिव को लेकर स्थिति साफ नहीं है। शासन ने जिसे हटाया वे न्यायालय से स्थगन लेकर आ गए हैं। जिन्हें पदस्थ किया है, उन्होंने पद भार ग्रहण नहीं किया है। इसका असर विवि के कामकाज पर हो रहा है।
लगभग दो सप्ताह पहले मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने पारम्परिक विश्वविद्यालयों में पदस्थ करीब दर्जन भर कुलसचिव को उपकुलसचिव के तबादले किए थे।
इसमें कुलसचिव बने हुए प्राध्यापक और सह प्राध्यापक की प्रतिनियुक्ति और अतिरिक्त प्रभार समाप्त करते हुए मूल पदस्थापना स्थल पर पदस्थ किया गया था। विक्रम विश्वविद्यालय में कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक को मूल विभाग एनएसएस समन्वयक के पद पर स्थांनातरित किया था। इनके स्थान पर देवी अहिल्या विवि इंदौर के उपकुलसचिव प्रज्जवल खरे को विक्रम विश्वविद्यालय में कुलसचिव बनाया गया था। खरे ने अभी तक ज्वाइंन नही किया है। वहीं डॉ.पुराणिक शासन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए।
शासन के स्थानांतरण आदेश के बाद से डॉ. पुराणिक ने वित्तीय मामलों की फाइलों पर हस्ताक्षर करना बंद कर दिया। विश्वविद्यालय में केवल वेतन, विद्युत, पानी के बिल जैसे जरूरी फाइल ही हो रही है। ऐसे में फाइनेंस कंट्रोलर भी वित्तीय मामलों में फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हंै। यही स्थिति महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय की है। यहां पदस्थ कुलसचिव दिलीप सोनी को वापस कॉलेज में भेजा गया है। इनके स्थान पर विक्रम विश्वविद्यालय से उप कुलसचिव डॉ. डीके बग्गा को कुलसचिव नियुक्त किया है। विक्रम विश्वविद्यालय ने डॉ. बग्गा को रीलिव नही किया। ऐसे में दिलीप सोनी संस्कृत में कार्य कर रहे हैं। वैसे दिलीप सोनी भी शासन के आदेश के बाद हाईकोर्ट गए हंै।