विधानसभा चुनाव से पहले हरी झंडी नहीं मिली तो लंबा इंतजार
उज्जैन के मास्टर प्लान पर अब भोपाल में मंथन…
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष ने उठाई आवाज, जीवनखेड़ी की जमीन भी सिंहस्थ के लिए करो आरक्षित
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर अब भोपाल में नगरीय प्रशासन विभाग मंथन कर रहा है। जीवनखेड़ी की जमीन भी सिंहस्थ के लिए आरक्षित की जाए या नहीं, इसको लेकर विचार का दौर चल रहा है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद प्रो. चिंतामणि मालवीय ने विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि जीवनखेड़ी गांव की जमीन भी सिंहस्थ के लिए आरक्षित की जाए।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की दखल पर मास्टर प्लान में संशोधन कर 148 हेक्टेयर जमीन को दोबारा आवासीय से कृषि भूमि कर सिंहस्थ के लिए आरक्षित किया जा रहा है। उज्जैन कस्बा और सावराखेड़ी की जमीन को वापस कृषि उपयोग की करने की कवायद भोपाल में चल रही है। नगरीय प्रशासन विभाग पर यह दबाव भी बढ़ रहा है कि जीवनखेड़ी की जमीन सिंहस्थ क्षेत्र से आरक्षित करने से क्यों छोड़ दी जबकि यह भी सिंहस्थ बायपास के पास है और आवासीय रखने से यहां भी कॉलोनियां कट जाएंगी और आने वाले समय में सिंहस्थ महापर्व के आयोजन के लिए इस क्षेत्र में जमीन का संकट खड़ा हो सकता है।
इस मामले में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो. चिंतामणि मालवीय ने विभाग को एक पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज कराई है कि जीवनखेड़ी की जमीन को आवासीय क्यों रखा गया है। इसे भी सिंहस्थ के लिए आरक्षित करना जरूरी है। इसके सहित अन्य आपत्तियां भी विभाग के पास पहुंची हैं। इस कारण सरकार उहापोह की स्थिति में है। साधु संत और अखाड़ा परिषद भी जीवनखेड़ी की जमीन को सिंहस्थ के लिए आरक्षित करने के पक्ष में है। साधु संतों की उपेक्षा होने पर सिंहस्थ के समय परेशानी खड़ी हो सकती है।
जीवनखेड़ी के नक्शे होल्ड पर
नगर तथा ग्राम निवेश विभाग (टीएंडसीपी) ने अभी जीवनखेड़ी के नक्शों को भी होल्ड पर रखा है। मास्टर प्लान की स्थिति साफ होने तक जीवनखेड़ी के नक्शे होल्ड पर ही रहेंगे। विभाग को भोपाल से संकेत या हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
चुनाव के कारण अधर में न पड़ जाए… -मास्टर प्लान को लेकर भाजपा में बने अंतर्विरोध के कारण देरी होने का अंदेशा भी जताया जा रहा है। कांग्रेस इस मामले पर अपनी नजऱ जमाए हुए है ताकि मौका मिलते ही चुनाव में इस मुद्दे को भुनाया जा सके। प्लान की स्थिति जल्द साफ नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण यह अधर में पड़ सकता है।
सिंहस्थ 2016 में बायपास इसीलिए बनाया गया था ताकि आने वाले सिंहस्थ में इस क्षेत्र में साधु संतों के पड़ाव लगाए जा सकें। शिप्रा नदी पास में होने और इंदौर रोड से कनेक्टिविटी अच्छी होने के कारण जीवनखेड़ी की जमीन भी सिंहस्थ के लिए आरक्षित की जाना जरूरी है। इसको लेकर विभाग को आपत्ति दर्ज कराई है। प्रो. चिंतामणि मालवीय प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष